मुंहासे या पिटिका (Pimples or Acne) त्वचा की एक स्थिति है जो सफेद, काले और जलने वाले लाल दाग के रूप में दिखते हैं। यह लगभग 13 वर्ष से शुरू होकर 30 वर्ष तक कभी भी निकल सकते हैं। ये निकलते समय तकलीफ दायक होते हैं व इसके बाद में भी इसके दाग-घब्बे चेहरे पर रह जाते हैं।

मुहांसे

मुंहासों के अलग-अलग रूप

संपादित करें

मुंहासों के कई रूप होते है जैसे-पसदार मुंहासे, बिना पस कील के रूप में, काले खूटें के रूप में आदि। मुंहासों की शुरूआत भी अजीब होती है। पहले ये छोटे-छोटे दानों के रूप में चेहरे पर उभरते हैं। चेहरे में भी ललाट, गालों और नाक पर इनकी मात्रा ज्यादा होती है। यदि रोग की तीव्रता ज्यादा हो तो कंधे, पीठ और हाथ-पैरों पर हो सकते हैं। कुछ रोगियों में मुंहासे दाने के आकार से बड़े होकर पीवयुक्त गांठों के रूप में भी हो जाते हैं। इन मवादयुक्त गांठों में दर्द, जलन, सूजन और लालिमा पाई जाती है। कुछ मुंहासे काले सिर वाले होते हैं जिन्हें "कील" कहा जाता है। यदि इनको दबाया जाए, तो काले सिर के साथ-साथ भीतर से सफेद रोम जैसा पदार्थ बाहर निकलता है और इससे पैदा होने वाला छेद स्थाई हो जाता है।

पिंपल/मुंहासों के प्रकार

संपादित करें
  • कॉमेडोनिका (Comedonica) – किशोरों को होने वाले मुंहासे में से एक प्रकार कॉमेडोनिका एक्ने है। इसे माइल्ड एक्ने यानी हल्के मुंहासे के नाम से भी जाना जाता है। इस श्रेणी में ब्लैकहेड्स व व्हाइटहेड्स आते हैं।
  • पुस्टुल्स एक्ने (Pustules Acne) – इसे मॉडरेट (मध्यम) मुंहासे कहा जाता है। इस मुंहासे की स्थिति में पिंपल हल्की सूजन दिखाई देती है और हल्का पस भी जम जाता है।
  • नोड्यूल्स एक्ने (Nodules Acne) – मुंहासे के इस प्रकार को काफी गंभीर माना जाता है। इस स्थिति में एक्ने में सूजन हो जाती है और उनमें पीले रंग का पस भर जाता है।

पिंपल/मुंहासे के लक्षण

संपादित करें
  • व्हाइटहेड्स (बंद छिद्रित छिद्र)
  • ब्लैकहेड (खुली छिद्रित छिद्र)
  • छोटे लाल, टेंडर बम्प

पिंपल/मुंहासे होने के कारण

संपादित करें

ऐलोपैथिक चिकित्सा विज्ञान के अनुसार मुंहासों का कारण होता है - वसा ग्रन्थियों (सिबेसियस ग्लैंड्स) से निकलने वाले स्राव का रुक जाना। यह स्राव त्वचा को स्निग्ध रखने के लिए रोम छिद्रों से निकलता रहता है। यदि यह रुक जाए तो फुंसी के रूप में त्वचा के नीचे इकट्ठा हो जाता है और कठोर हो जाने पर मुंहासा बन जाता है। इसे 'एक्ने वल्गेरिस' कहते हैं। इसमें पस पड़ जाए तो इसे कील यानी पिम्पल कहते हैं। पस निकल जाने पर ही यह ठीक होते हैं।

क्रीम, लोशन, एक्सपायरी क्रीम का अधिक उपयोग करने से मुंहासे आ जाते हैं।
व्यक्ति का नींद पूरा ना होने के कारण मुंहासे निकल जाते हैं।
पाचन तंत्र में परेशानी होने के कारण भी चेहरे पर मुंहासे आ जाते हैं।
हार्मोन में बदलाव होने के कारण लड़को और लड़कियों को मुंहासे आ जाते हैं।
व्यक्ति के त्वचा पर पहले से मुंहासे है, तो तनाव होने के कारण मुंहासे और बढ़ जाते हैं।

मुहांसों के प्रभाव को कैसे कम करें?

संपादित करें
  • मुहाँसे की शुरुआत होते ही सर्वप्रथम किसी चर्म रोग विशेषज्ञ से परामर्श लें।
  • भोजन में ज्यादा घी, तेल, मसालों का प्रयोग न करें। भरपूर मात्रा में पानी पिएँ। कब्ज न होने दें।
  • चिकनाई वाले कॉस्मेटिक उत्पाद न लगाएं।
  • अपने मेकअप ब्रश को अच्छी तरह से धोने की आदत डालें। इससे ब्रश में बैक्टीरिया नहीं पनपते हैं।
  • चेहरे को किसी अच्छे मैडीकेटेड साबुन से धोएं।
  • अपने बालों की सफाई का पूरा ध्यान रखें। बालों में रूसी न होने पाए, इस बात का ध्यान रखें।
  • मुंहासे ज्यादा हों, तो कुछ दिन के लिए बालों में तेल न लगाएं।
  • अगर कोई पिंपल निकले तो उसे दबाए नहीं। ऐसा करने से पिंपल अन्य जगहों पर फैल सकता है।
  • मुंहासों को दबाने, फोड़ने या रगड़ने से बचने का प्रयास करें।
  • हाथ या अंगुलियों से चेहरे को छूने से परहेज करें। बार-बार चेहरे को न छुएँ।
  • ज़्यादा नमक खाने से पिंपल हो सकता है इसलिए सीमित मात्रा में नमक का सेवन करें।
  • कच्ची सब्जियां व कम से कम 10-12 गिलास पानी दिन में पीएं।
  • तनाव मुक्त रहें क्योंकि तनाव व नींद पूरी न होने से भी मुंहासे बढ़ते हैं।
  • प्रात: काल ताजी स्वच्छ हवा में घूमें व व्यायाम करें।
  • गर्म चीजों का सेवन न करें।
  • ज्यादा मीठा, चाय-कॉफी, मिर्च मसाले भी कब्ज पैदा करते हैं, जिससे मुंहासे होते हैं। अत: इनका सेवन न करें।
  • होमियोपैथिक चिकित्सा भी इस समस्या में लाभकारी होती है।
  • मुहासों ने गंभीर रूप ले लिया हो, तो त्वचा रोग विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।

घरेलू उपचार

संपादित करें
  • त्वचा को कच्चे दूध में नींबू मिलाकर रूई द्वारा साफ करें, इससे त्वचा पर जमी गंदगी हट जाएगी।
  • मुल्तानी मिट्टी में नींबू व टमाटर का रस मिलाकर लगाएं, सुखने पर धो डालें। मुल्तानी मिट्टी में चंदन पाउडर व गुलाब जल मिलाकर भी लगाया जा सकता है। यह पैक त्वचा में कसाव उत्पन्न करता है व रोमछिद्रों को सिकोड़ देता है।
  • मसूर की दाल का पाउडर बना लें, अब दो चम्मच पाउडर में चुटकी भर हल्दी, नींबू की कुछ बूंदें, दही मिलाकर लेप बनायें व चेहरे पर लगायें, सूखने पर गुनगुने पानी से चेहरा धो लें।
  • एक बड़ा चम्मच तुलसी के पत्तों का पाउडर, एक चम्मच नीम के पत्तों का पाउडर और एक चम्मच हल्दी पाउडर मिला लें। थोड़ा सा मुल्तानी मिट्टी का पाउडर भी मिला लें। जब भी प्रयोग करना हो, इसका पेस्ट बनाकर सप्ताह में दो बार चेहरे पर लगाएं। चेहरा कोमल व साफ बनेगा।
  • नीम के पत्तों को बारीक पीसकर उसका पेस्ट तैयार करें, फिर इसको मुँहासे बाली जगह पर लगाये कुछ ही दिन में मुँहासे जड़ से खत्म हो जायेंगे
  • सप्ताह में एक बार चेेेेहरेे को दही मे हल्दी +शहद +गुुुुलाबजल का पेेेेस्ट बनाकर लगाना चाहिये ।
  • चेहरे को धोकर गर्म पानी से भाप लें, ब्लैक हैड रिमूवर से कील दबाकर निकाल दें, अब रूई से कील वाले स्थान पर स्किन टोनर लगाएं। बाद में ठंडे पानी से मुँह धो लें व फेस पैक लगा लें।

बाहरी कड़ियाँ

संपादित करें