मुक्तेश्वर (Mukteshwar) भारत के उत्तराखण्ड राज्य के नैनीताल ज़िले में स्थित एक गाँव और रमणीय पर्यटक स्थल है।[1][2][3]

मुक्तेश्वर
Mukteshwar
चौली की जाली से दृश्य
चौली की जाली से दृश्य
मुक्तेश्वर is located in उत्तराखंड
मुक्तेश्वर
मुक्तेश्वर
उत्तराखण्ड में स्थिति
निर्देशांक: 29°28′20″N 79°38′52″E / 29.4722°N 79.6479°E / 29.4722; 79.6479निर्देशांक: 29°28′20″N 79°38′52″E / 29.4722°N 79.6479°E / 29.4722; 79.6479
देश भारत
प्रान्तउत्तराखण्ड
ज़िलानैनीताल ज़िला
ऊँचाई2171 मी (7,123 फीट)
जनसंख्या (2011)
 • कुल812
भाषा
 • प्रचलितहिन्दी, कुमाऊँनी
पिनकोड263138
दूरभाष कोड05942
वाहन पंजीकरणUK-04
मुक्तेश्वर में एक घर

मुक्तेश्वर कुमाऊँ की पहाडियों में २२८६ मीटर (७५०० फीट) की ऊँचाई पर स्थित है। यहाँ से नंदा देवी, त्रिशूल आदि हिमालय पर्वतों की चोटियाँ दिखती हैं। यहाँ एक पहाड़ी के ऊपर शिवजी का मन्दिर है जो की २३१५ मीटर की ऊँचाई पर स्तिथ है। यह मंदिर 'मुक्तेश्वर मंदिर' के नाम से प्रसिद्ध है। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए लगभग 100 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। यहां भगवान शिव के साथ ब्रह्मा, विष्णु, पार्वती, हनुमान और नंदी जी भी विराजमान हैं। मंदिर के बाहर लंगूरों का जमावड़ा लगा रहता है।

मन्दिर के पास चट्टानों में चौली की जाली है। इसे 'चौथी की जाली' भी कहते हैं। ये जगह मुक्तेश्वर मंदिर के साथ ही है। यहां भी पहाड़ की थोड़ी-सी चढ़ाई करके पहुंचा जा सकता है। ऐसा विश्वास है कि यहां देवी और राक्षस के बीच युद्ध हुआ था। ये एक पहाड़ की चोटी है जिसकी सबसे ऊपर वाली चट्टान पर एक गोल छेद है। कहा जाता है कि अगर कोई निःसंतान स्त्री इस छेद में से निकल जाए तो उसे संतान की प्राप्ति होती है। पहाड़ की चोटी से घाटी का सुंदर नजारा दिखता है।

अगर मौसम साफ हो तो मुक्तेश्वर में हिमालय की पर्वत चोटियों के पाछे से उगते सूरज का सुंदर नजारा देखा जा सकता है और नालकंठ, नंदादेवी और त्रिशूल आदि पर्वतश्रेणियां भी देखी जा सकती हैं। यहां इंडियन वेटरनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट है जहां जानवरों पर रिसर्च की जाती है। ये इंस्टीट्यूट सन्‌ 1893 में बनवाया गया था। यहां एक म्यूजियम और लाइब्रेरी भी है जहां जानवरों पर रिसर्च से संबंधित पुराने समय का समान और किताबें सुरक्षित रखी गई हैं।

वैसे तो यहां साल में कभी भी जाया जा सकता है परंतु यहां जाने का उचित समय मार्च से जून और अक्टूबर से नवंबर तक है। अगर गर्मियों में यहां जाएं तो हल्के ऊनी कपड़े और सर्दियों में जाएं तो भारी ऊनी कपड़े साथ ले जाएं। गर्मियों में यहां का अधिकतम तापमान 30 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम 15 डिग्री और सर्दियों में अधिकतम तापमान 23 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम 0 डिग्री सेल्सियस तक रहता है। जनवरी में यहां बर्फबारी भी हो जाती है। चूंकि मुक्तेश्वर एक छोटा-सा हिल स्टेशन है इसलिए यहां रहने और खाने के ढेर सारे ऑप्शन तो नहीं मिलेंगे पर रहने-खाने की कोई परेशानी भी नहीं होती है। मुक्तेश्वर के आस-पास देखने के लिए ढेर सारी जगह हैं। यहां से अल्मोड़ा, बिन्सर और नैनीताल पास ही हैं। अगर चाहें तो मुक्तेश्वर जाते हुए या मुक्तेश्वर से वापिस आते हुए भीमताल पर बोटिंग का आनंद लिया जा सकता है।

मुक्तेश्वर जाएं तो यहां मिलने वाली सूखी आलू की सब्जी और प्याज के पकौड़े जरूर ट्राई करें। प्याज के पकौड़े तो चटनी के साथ खाए जाते हैं, जबकि आलू की चटपटी सूखी सब्जी ऐसे ही बिना चपाती के खाई जाती है।

कुमाऊं की पहाड़ियों में बसा मुक्तेश्वर उत्तराखंड का एक खूबसूरत हिल स्टेशन है जो दिल्ली से करीब 350 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। दिल्ली से सड़क मार्ग द्वारा मुरादाबाद-हल्द्वानी-काठगोदाम-भीमताल होते हुए लगभग आठ घंटे की ड्राइव करके मुक्तेश्वर पहुंचा जा सकता है।

मुक्तेश्वर महादेव मंदिर.

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मुक्तेश्वर के धार्मिक स्थलों में सबसे प्रमुख स्थान पर मुक्तेश्वर महादेव मंदिर का नाम आता है । समुद्र तल से 7500 फीट की ऊंचाई पर स्थित यह मंदिर पहाड़ी चोटी पर बनी हुई है। यह मंदिर भगवान शिव जी को समर्पित है लेकिन जब आप मंदिर में प्रवेश करते हैं तो आपको मंदिर में भगवान शिव जी की प्रतिमा के साथ भगवान विष्णु, पार्वती एवं हनुमान जी की प्रतिमा के साथ अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमाएं भी दिखाई देती है ।

धानाचुली.

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देवभूमि उत्तराखंड को धरती का स्वर्ग कहा जाता है। प्राकृतिक सौंदर्य इसकी मुख्य पहचान है। और उन्हीं खूबसूरत जगह में से एक है धानाचुली जो कि नैनीताल जिले के मुक्तेश्वर क्षेत्र में स्थित हैं। खूबसूरत पहाड़ियां एवं समुद्र तल से 7000 फीट की ऊंचाई पर स्थित यह एक छोटा सा गांव है। जो कि प्राकृतिक सौंदर्य के साथ-साथ अपने पारंपरिक रीति-रिवाजों एवं संस्कृति के लिए भी मशहूर है।

ब्रह्मेश्वर मंदिर

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ब्रह्मेश्वर मंदिर मुक्तेश्वर के धार्मिक स्थलों में से एक है जो कि चोली की जाली नामक चट्टान के समीप स्थित है। भगवान शिव जी को समर्पित यह मंदिर आस्था एवं भक्ति का प्रमुख केंद्र है जहां पर हर वर्ष हजारों की संख्या में श्रद्धालु आए करते हैं। यह प्रसिद्ध मंदिर सड़क मार्ग से 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

चौली की जाली

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मानो यह जगह प्राकृतिक सौंदर्य को अपने आगोश में लिए बैठे हो। मुक्तेश्वर मंदिर के पीछे यानी कि थोड़ी सी दूरी पर स्थित चौली की जाली मुक्तेश्वर में घूमने के लिए एक अच्छी जगह है जो कि अपनी प्राकृतिक सौंदर्य के लिए काफी प्रसिद्ध है। यदि आप प्रकृति प्रेमी हैं तो आपको इस खूबसूरती जगह के दर्शन जरूर करना चाहिए। एचडी के दर्शन करने के दौरान आप अपने परिवार के साथ फोटोग्राफी एवं रैपलिंग और रॉक क्लाइंबिंग का आनंद भी ले सकते हैं।

रेलमार्ग से जाना चाहें तो दिल्ली से काठगोदाम तक सीधी रेल सेवा है। काठगोदाम से आगे मुक्तेश्वर तक का 73 किलोमीटर का सफर पूरा करने के लिए काठगोदाम से ही बस या टैक्सी आसानी से मिल जाती हैं। अगर वायु मार्ग से जाना चाहें तो नजदीकी हवाईअड्डा पंतनगर है जो मुक्तेश्वर से लगभग 100 किलोमीटर पहले है।

इन्हें भी देखें

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  1. "Start and end points of National Highways". मूल से 22 सितंबर 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 23 April 2009.
  2. "Uttarakhand: Land and People," Sharad Singh Negi, MD Publications, 1995
  3. "Development of Uttarakhand: Issues and Perspectives," GS Mehta, APH Publishing, 1999, ISBN 9788176480994