मेरे सपनोँ का स्वर्ग 'मुण्डोता' राजस्थान राज्य की राजधानी जयपुर जिले की आमेर तहसील में स्थित एक बेहद ही खूबसूरत गांव है। यह गाँव अरावली पर्वतमाला श्रेणी के एक पहाड़ की तलहटी में बसा हुआ है|इस गांव की जनसंख्या लगभग 5000 है। गाँव में प्रवेश के लिए थोड़ी डरावनी पहाड़ी घाटी से गुजरना होता है जो अत्यंत रोमांचकारी और अपुर्व अनुभव देती है। यह मुण्डोता घाटी के नाम से प्रसिद्ध है। घाटी में ही भैरव बाबा का मंदिर स्थित है जो वाहन चालकों व लोगों की रक्षा करता है। पहाड़ की सबसे ऊंची चोटी पर एक अति प्राचीन किला है जिसकी तलहटी में अपनी वास्तुकला के लिये प्रसिद्ध दुर्ग और यह मुण्डोता गाँव बसा है। मुख्य रूप से मुण्डोता की घाटी और दुर्ग पर्यटको का आकर्षण का केंद्र रहा है। ठा.तेजसिंह जी व विक्रम सिंह जी के द्वारा दुर्ग को शाही होटल के रूप में पुनःनिर्माण कराया गया है, यह दुर्ग व यहाँ की मेहमान नवाजी आपको शानदार व शाही अनुभव देती है। सालभर देशी व विदेशी सैलानी यहाँ घूमने आते है। पहाड़ी पर स्थित किले से नीचे गाँव व खेतों का नजारा अपने आप में बेहद रमणीय है। सैलानियों व पोलो के शौकीन लोगो के लिये गांव में एक पोलो ग्राउंड भी है जहाँ सालभर कई पोलो मैच खेले जाते है। गाँव के कई सालों से सरपंच पद पर कार्यरत जनप्रिय नेता भींवाराम जी कालीरावणा ने गाँव के विकास पर बेहतरीन योगदान दिया है। इनके अथक प्रयासों व गांववासियों के समर्थन से आज यह गाँव एक पर्यटन स्थल व फिल्मो की शूटिंग का बढ़िया केंद्र बन चुका है।

बेहतर तरक्की के कारण इस गाँव को उपतहसील का दर्जा प्राप्त है। मुण्डोता गाँव अपनी एकता व अखण्डता के लिये जाना जाता है क्योंकि यहाँ सभी जातियों व धर्मों के लोग मिलजुल कर रहते है।

गाँव की भूमि उपजाऊ होने के कारण इसमें गेँहू की अधिक उपज होती है। इसी कारण यह गाँव धान का कटोरा भी कहलाता है। यहाँ पर बाजरा, ग्वार, ज्वार,मोठ,तारामीरा भी काफी बोया जाता है। वर्तमान में कृषि में उन्नत तकनीकों का अधिक प्रयोग करके लोग सामान्य जल स्तर पर भी भारी मात्रा में सब्जियां उगाते है।

पशुपालन में यहाँ के लोग गाय,भैँस,भेड़,बकरी पालते हैँ तथा शहर में इनके दूध की सप्लाई की जाती है। जो कि यहाँ लोगों की आमदनी का अच्छा स्रोत है। मुण्डोता गाँव मे शिक्षा का स्तर बहुत ही अच्छा है। गाँव मे एक संस्कृत विद्यालय ,एक उच्च प्राथमिक विधालय व 6 अन्य सरकारी विद्यालय है। इनके अलावा 5 निजी विद्यालय व 2 महाविद्यालय है। गाँव मे एक बड़ा सरकारी अस्पताल भी मौजूद है। यह गाँव सेना को समर्पित है कहने का मतलब इस गांव ने अपने 1300 बीघा भूमि सेना को समर्पित की है। स्थिति:-जयपुर से 40 कि.मी. पश्चिम कालवाड़ के पास

मुण्डोता

मेरे सपनोँ का स्वर्ग