मुनीश्वर दत्त उपाध्याय
पंडित मुनीश्वर दत्त उपाध्याय भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, राजनेता, सामाजिक कार्यकर्ता,शिक्षकविद थे। वे भारत के प्रथम एवं द्वितीय लोकसभा में सांसद थे।[1][2]
पंडित मुनीश्वर दत्त उपाध्याय | |
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चुनाव-क्षेत्र | प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश |
जन्म | 3 अगस्त 1898 प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश, भारत |
राजनीतिक दल | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
जीवन संगी | अन्नपूर्णा उपाध्याय |
बच्चे | क्रांति कुमार उपाध्याय, गीता उपाध्याय, मीरा उपाध्याय |
निवास | प्रतापगढ़ |
धर्म | हिन्दू |
As of ५ सितम्बर, २०१२ Source: [2] |
जीवन
संपादित करेंपंडित मुनीश्वर दत्त उपाध्याय का जन्म 3 अगस्त 1898 को प्रतापगढ़ जनपद अंतर्गत लालगंज तहसील के लक्ष्मणपुर गांव में गजाधर प्रसाद उपाध्याय के घर हुआ था। सोमवंशी हायर सेकेंड्ररीस्कूल (पीबी इंटर कालेज) से हाईस्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद इलाहाबाद में परास्नातक और कानून की शिक्षा ग्रहण की। कुशाग्र बुद्धि के होने के कारण इलाहाबाद के महापौर कार्यालय में नौकरी प्राप्त की। इसी दौरान आजादी के लड़ाई के लिए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित होकर स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हो गए। भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के किसान आंदोलन का जिले में नेतृत्व करते हुए मुनीश्वर दत्त ने बाबा रामचंदर, झिंगुरी सिंह और पूर्व विधायक रामराम शुक्ल के साथ महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आंदोलन के जरिए पूरे देश में पंडितजी ईमानदारी और कर्मठता की अमिट छाप छोड़कर जवाहर लाल नेहरू के बेहद करीबी बन गए।[3]
त्याग की बदौलत मुनीश्वर दत्त उपाध्याय को प्रदेश कांग्रेस कमेटी का पहला अध्यक्ष बनाया गया। प्रदेश के राजस्व मंत्री, विधान परिषद सदस्य और संविधान निर्मात्री सभा के सदस्य के रूप कार्यरत रहे।
अत्यंत साधारण परिवार में जन्मे पंडित मुनीश्वरदत्त उपाध्याय को जिले का पहला सांसद बनने का मौका भी हासिल हुआ था। वह किसी के सामने झुकना नहीं जानते थे। कर्मठता और अदम्य साहस के बल पर उन्होंने लाल बहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी, मदनमोहन मालवीय, गोविंद बल्लभ पंत, पुरुषोत्तम दास टंडन के करीबियों में से एक थ
स्वतंत्रता आंदोलन के समय महात्मा गांधी द्वारा चलाए गए असहयोग आंदोलन को मुनीश्वर दत्त ने गांव-गांव तक पहुंचा कर बापू के सपनों को साकार किया। आजादी के बाद दिल्ली में उन्होंने पं॰ जवाहर लाल नेहरू, सरदार बल्लभ भाई पटेल, डॉ॰ राजेंद्र प्रसाद के बीच सफलता पूर्व कार्य करते हुए उनमें अपनी एक अलग पहचान बनाई। संविधान के निर्माण में भी उन्हें निर्मात्री सभा का सदस्य बनाया गया। बेल्हा के एक मात्र उपाध्याय जी ही हैं जिनका हस्ताक्षर भारत के संविधान में है। सुप्रीम कोर्ट ने उपाध्याय जी उत्तर प्रदेश के प्रतिनिधि रहे। उनकी संगठनात्मक क्षमता को देखते हुए वर्ष 1955 में उन्हें प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया। उपाध्याय जी वर्ष 1952 व 1957 में प्रतापगढ़ से दो बार सांसद हुए। उनकी प्रतिभा के सभी कायल थे। यही कारण रहा कि उन्हें संविधान निर्मात्री सभा का सदस्य बनाया गया। वर्ष 1966 में स्थानीय निकायों से उन्होंने राज्य विधान परिषद का चुनाव लड़ा और सफलता हासिल की। उनके मुकाबले मोहिसना किदवई चुनाव हार गई। यूपी में चंद्रभानु गुप्त के मंत्रिमंडल में पंडित जी को राजस्व मंत्री बनाया गया। वर्ष 1931 को प्रतापगढ़ जिले के कहला में किसानों पर गोली कांड के बाद उपाध्याय जी ने राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन व लाल बहादुर शास्त्री के साथ वहां जाकर किसानों को ढांढस बंधाया। देश के लोग आज भी उन्हें नहीं भूले हैं।[4]
शिक्षण संस्थानों कि स्थापना
संपादित करेंउत्तर प्रदेश के पिछड़ेपन को दूर करने के लिए मुनीश्वर दत्त उपाध्याय ने जो प्रयास किया वह चिरस्मरणीय है। बेल्हा के मालवीय की उपाधि से विभूषित पंडित मुनीश्वर दत्त उपाध्याय कानून के जानकार होने के साथ ही शिक्षा से बेहद लगाव रखते थे। इसका परिणाम रहा कि उन्होंने जिले में लगभग दो दर्जन शिक्षण संस्थानों की स्थापना करके बेल्हा के मालवीय के रूप में अपनी पहचान बनाई। पंडित जी ने 22 शिक्षण संस्थानों की स्थापना कर पूरे उत्तर प्रदेश में शिक्षा की अलख जगाई। उन्होंने बेल्हा से अशिक्षा को दूर करने के लिए शिक्षण संस्थाओं की स्थापना की ओर ध्यान केंद्रित किया। उनका मानना था कि जिले का विकास शिक्षा के माध्यम से ही हो सकता है। उन्होंने 1948 में अपनी करीबी पूर्व विधायक राजराज मिश्र के नाम पर रामराज इंटर कालेज पट्टी और उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सैफाबाद की स्थापना की। ये उनकी पहली शिक्षण संस्था थी। इसके बाद जिले में बीस इंटर कालेज, दो डिग्री कालेज और दो जूनियर हाईस्कूल की स्थापना की। 1948-1983 के बीच जिले में इतने शिक्षण संस्थानों की स्थापना करके देश के बच्चों को सही मार्ग दिखाया। इन शिक्षण संस्थाओं में अध्ययन करने वाले विद्यार्थी आज देश और विदेश के उच्च सेवाओं में कार्यरत हैं।
- लोकमान्य तिलक इंटर कालेज, प्रतापगढ़ (1953-1954)
- गजाधर इंटर कॉलेज, लक्ष्मणपुर, प्रतापगढ़ (1953-1954)
- पट्टी डिग्री कॉलेज, पट्टी, प्रतापगढ़
- कालूराम इंटर कॉलेज, शीतलगंज, प्रतापगढ़ (1965-1966)
- स्वामी करपात्रीजी इंटर कॉलेज, रानीगंज, प्रतापगढ़ (1950-1951)
- श्याम शंकर इंटर कालेज, रामगंज, प्रतापगढ़ (1950-1951)
- राम दुल्हारे इंटर कॉलेज, सैफाबाद, प्रतापगढ़ (1954-1955)
- इंटर कॉलेज, तेजगढ़, प्रतापगढ़ (1964-65)
- मुनीश्वर दत्त पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज, प्रतापगढ़
- रामराज मध्यवर्ती कॉलेज, पट्टी, प्रतापगढ़ (1949-1950)
- सुखपत राम इंटर कालेज, साहबगंज, प्रतापगढ़ (1950-1951)
- सरयूप्रसाद इंटर कॉलेज, कुंडा, प्रतापगढ़ (1953-1954)
- इंद्राणी इंटर कॉलेज, संग्रामगढ़, प्रतापगढ़ (1953-1954)
- गांधी इंटर कॉलेज, सांगीपुर, प्रतापगढ़ (1949-1950)
- उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, गौरा, प्रतापगढ़ (1955-1956)
- शीतला प्रसाद इंटर कॉलेज, गडवारा (1949-1950)
- जगदीश नारायण इंटर कालेज, ढिंगवस, प्रतापगढ़ (1950-1951)
- मुनीश्वर दत्त इंटर कालेज, मंधाता, प्रतापगढ़ (1962-1963)
- उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, सराय नाहर राय, प्रतापगढ़ (1951-1952)
- आदर्श बालिका विद्यालय, प्रतापगढ़
साहित्यिक कृतियाँ
संपादित करें- किसान संगठन
- जमींदारी प्रथा
निधन
संपादित करें26 जून 1983 में मालवीय कहे जाने वाले भारत माँ के वीर सपूत पंडित मुनीश्वर दत्त उपाध्याय चिरनिद्रा में लीन हो गए। इनकी निधन कि खबर से पूरा देश शोकाकुल हो गया।
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "पंडित मुनीश्वर दत्त उपाध्याय के जन्म दिन पर उनको शत्-शत् नमन". रेनबो न्यूज़. 3 अगस्त 2013. मूल से 10 अगस्त 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 अगस्त 2014.
- ↑ "कांग्रेस के लिए उपजाऊ बन गई बेल्हा की सियासी धरती". उदण्ड मार्तंड. मूल से 10 अगस्त 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 अगस्त 2014.
- ↑ "मुनीश्वरदत्त, दिनेश सिंह के ही सिर बंधा लगातार जीत का सेहरा". अमर उजाला. मूल से 4 मार्च 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 अगस्त 2014.
- ↑ [1] Archived 2012-03-07 at the वेबैक मशीन. UP Legislative Assembly