मुमताज़ शेख[1] (जन्म 1982) महिलाओं के अधिकारों के लिए काम करने वाली एक भारतीय कार्यकर्ता हैं। इन्होंने मुंबई में सभी को सार्वजनिक शौचालय मुहैया कराने का एक सफल शुरू किया था। वर्ष 2015 में बीबीसी ने इन इन्हें अपनी 100 इंस्पिरेशनल वुमेन कैम्पेन[2] के लिए चुना था।  

मुमताज़ शेख़
जन्म 1982
अहमदनगर,महाराष्ट्र, भारत
राष्ट्रीयता भारतीय
पेशा मानवाधिकार कार्यकर्ता
प्रसिद्धि का कारण 'राइट टूपी' अभियान
उल्लेखनीय कार्य {{{notable_works}}}

प्रारंभिक जीवन संपादित करें

मुमताज़ शेख़ का जन्म 1982 में भारतीय राज्य महाराष्ट्र के अहमदनगर शहर में हुआ था। उनके पिता, अबू बक़र, एक ड्राइवर थे और मलयाली भाषा बोलते थे। मुमताज़ की माँ, मदीना, मराठी भाषा बोलती थीं। जन्म के कुछ दिन बाद मुमताज़ अपने भाई रफ़ीक़ और परिवार के साथ मुंबई के चेम्बूर सबअर्ब के वाशी नाका में जाकर रहने लगे। घर में हुए झगड़ों के बाद मुमताज़ को अपने चाचा के यहाँ जाकर रहना पड़ा और वहां रहने के बदले घर के काम करने पड़े। नौवीं कक्षा में पढ़ाई छोड़ने के बाद, 15 वर्ष की आयु में मुमताज़ की शादी हो गई। एक वर्ष बाद ही बेटी के जन्म के बाद, मुमताज़ के विवाहित जीवन में काफ़ी उतार-चढ़ाव आए जिसके बाद मुमताज़ ने चुप-चाप कमिटी ऑफ़ रिसोर्स ऑर्गेनाइज़ेशन[3] के सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा घरेलु हिंसा पर आयोजित लेक्चरों में भाग लेना शुरू कर दिया। कुछ दिन बाद ही उन्होंने तलाक के लिए अर्ज़ी फ़ाइल कर दी।

करियर संपादित करें

मुमताज़ शेख़ को अपने सामाजिक कार्य के लिए लीडर्स क्वेस्ट फ़ेलोशिप [4]के लिए चुना गया। अपनी संस्था कोरो (CORO) की संयुक्त सचिव बनने के बाद इन्होंने 2006 में दोबारा विवाह किया। सार्वजनिक शौचालयों के लिए अभियान 2011 में छेड़ने के बाद मुमताज़ को 2011 में बीबीसी ने अपनी 100 इंस्पिरेशनल वुमेन कैम्पेन के लिए चुना। इस मुहिम में इन्होंने महाराष्ट्र में सार्वजनिक जगहों पर महिलाओं के लिए शौचालय की कमी को देखते हुए 'राइट टू पी' अभियान शुरू किया। इस अभियान के चलते 2013 में राज्य सरकार[5] ने शहर में प्रत्येक 20 किलोमीटर के दायरे में महिलाओं के लिए शौचालय[6] बनाने का निर्देश दिया। इसके अलावा पांच करोड़ रूपये की लागत से सरकार ने महिलाओं के लिए ख़ास डिज़ाइन किए गए 147 शौचालय[7] बनवाए। मुमताज़ की कोशिशों के चलते उन्हें राज्य सरकार ने 'महाराष्ट्र की बेटी' सम्मान से सम्मानित किया। मुमताज़ ने अपने इलाके में घरेलू हिंसा के ख़िलाफ़ संघर्ष करने के लिए 75 स्वयं सेवी समूहों की स्थापित करने में अहम भूमिका अदा की है। महिला मंडल फ़ेडरेशन की कार्यकारी अध्यक्ष, 34 साल की मुमताज़[8] कई गैर सरकारी संगठनों से जुड़ी हुई हैं।

सन्दर्भ संपादित करें

  1. "संग्रहीत प्रति". मूल से 11 दिसंबर 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 8 दिसंबर 2016.
  2. "संग्रहीत प्रति". मूल से 15 अक्तूबर 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 8 दिसंबर 2016.
  3. www.coroindia.org Archived 2016-12-20 at the वेबैक मशीन
  4. "संग्रहीत प्रति". मूल से 21 दिसंबर 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 8 दिसंबर 2016.
  5. "संग्रहीत प्रति". मूल से 17 जून 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 8 दिसंबर 2016.
  6. http://timesofindia.indiatimes.com/city/kolhapur/Mumtaz-Shaikh-selected-for-Kusum-award/articleshow/50926272.cms
  7. "संग्रहीत प्रति". मूल से 8 मई 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 8 दिसंबर 2016.
  8. "संग्रहीत प्रति". मूल से 21 दिसंबर 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 8 दिसंबर 2016.

बाहरी कड़ियां संपादित करें

  1. https://web.archive.org/web/20180407084016/https://twitter.com/mumtajcorommf

2. https://www.facebook.com/mumtazshaikh81?lst=100006668291826%3A100001498745982%3A1480595230