मुरादाबाद

उत्तर प्रदेश का एक जिला

मुरादाबाद (Moradabad) भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के मुरादाबाद ज़िले में स्थित एक नगर है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है।[1][2] उत्तर प्रदेश का मुरादाबाद जिला रामगंगा नदी के किनारे पर स्थित है यहां की जलवायु सम व विषम है तथा मुरादाबाद जिले में एक नगर पंचायत कांठ भी तथा तहसील व कांठ थाना उत्तर प्रदेश में नंबर 1 की श्रेणी में प्रथम स्थान प्राप्त है।

मुरादाबाद
Moradabad
मुरादाबाद का एक दृश्य
मुरादाबाद का एक दृश्य
मुरादाबाद is located in उत्तर प्रदेश
मुरादाबाद
मुरादाबाद
उत्तर प्रदेश में स्थिति
निर्देशांक: 28°50′N 78°47′E / 28.83°N 78.78°E / 28.83; 78.78निर्देशांक: 28°50′N 78°47′E / 28.83°N 78.78°E / 28.83; 78.78
देश भारत
राज्यउत्तर प्रदेश
ज़िलामुरादाबाद ज़िला
शासन
 • महापौरविनोद अग्रवाल (भाजपा)
 • ज़िलाधिकारीशैलेंद्र कुमार
 • विधायकरीतेश कुमार गुप्त (भाजपा)
क्षेत्रफल
 • कुल149 किमी2 (58 वर्गमील)
ऊँचाई198 मी (650 फीट)
जनसंख्या (2011)
 • कुल8,89,810
भाषाएँ
 • प्रचलितहिन्दी, उर्दु
समय मण्डलभारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30)
पिनकोड244001
दूरभाष कोड0591
वाहन पंजीकरणUP-21
वेबसाइटwww.moradabad.nic.in

मुरादाबाद पीतल हस्तशिल्प के निर्यात के लिए प्रसिद्ध है। रामगंगा नदी के तट पर स्थित मुरादाबाद पीतल पर की गई हस्तशिल्प के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। इसका निर्यात केवल भारत में ही नहीं अपितु अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, जर्मनी और मध्य पूर्व एशिया आदि देशों में भी किया जाता है। अमरोहा, गजरौला और तिगरी आदि यहाँ के प्रमुख पयर्टन स्थलों में से हैं।[3] रामगंगा]] और गंगा यहाँ की दो प्रमुख नदियाँ हैं। मुरादाबाद विशेष रूप से प्राचीन समय की हस्तकला, पीतल के उत्पादों पर की रचनात्मकता और हॉर्न हैंडीक्राफ्ट के लिए सबसे अधिक प्रसिद्ध है। यह जिला बिजनौर जिला के उत्तर, बदायूँ जिला के दक्षिण, रामपुर जिला के पूर्व और ज्योतिबा फुले नगर जिला के पश्चिम से घिरा हुआ है।

पूर्व में यह शहर चौपला नाम से जाना जाता था जो हिमालय के तराई और कुमाऊं क्षेत्रों में व्यवसाय और दैनिक जीवनोपयोगी वस्तुओं की प्राप्ति का प्रमुख स्थान रहा है बाद में इसका वर्तमान नाम यह सन् १६००+ में मुग़ल सम्राट शाहजहाँ के बेटे मुराद के नाम पर रखा गया; जिसके कारण इस शहर का नाम मुरादाबाद पड़ गया। 1624 ई. में सम्भल के गर्वनर रुस्तम खान ने मुरादाबाद शहर पर कब्जा कर लिया था और इस जगह पर एक किले का निर्माण करवाया था। उनके नाम पर इस जगह का नाम रुस्तम खान रखा गया। इसके पश्चात् मुरादाबाद शहर की स्थापना मुगल शासक शाहजहाँ के पुत्र मुराद बख्श ने की थी। अत: उसके नाम पर इस जगह का नाम मुरादाबाद रख दिया गया।

मुरादाबाद की स्थिति 28°50′N 78°00′E / 28.83°N 78.°E / 28.83; 78.[4] पर है। यहां की औसत ऊंचाई है 186 मीटर (610 फीट).

कृषि और उद्योग

संपादित करें
 

प्रमुख सड़क और रेल जंक्शन पर स्थित यह शहर कृषि उत्पादों का व्यापार केंद्र है। कृषि वस्तुओं के व्यापार का प्रमुख केन्द्र है। कलई किए गए पीतल के बर्तनों के लिए यह नगर प्रसिद्ध है। यहाँ पर कुछ चीनी व कपड़े की मिलें भी हैं। यहाँ के उद्योगों में कपास मिल, बुनाई, धातुकर्म, इलेक्ट्रोप्लेटिंग और छपाई उद्योग शामिल हैं। यहाँ अनाज, कपास और गन्ने की खेती होती है। चीनी मिल और सूती वस्त्र निर्माण यहाँ के प्रमुख उद्योग हैं।

प्रमुख आकर्षण

संपादित करें

मुरादाबाद में होलीडे रीजेंसी नाम का एक पंच सितारा होटल है। इसके अलावा प्रेम वाटर किंगडम घूमने के लिए उपयुक्त जगह है एवं यहाँ पर हाफिज साहब का मजार भी देखने योग्य है जो रामगंगा नदी के किनारे पर स्थित है साथ ही यहाँ 400 बर्ष से भी अधिक पुराना काली माता मंदिर है जो रामगंगा नदी के किनारे स्थित है। रेलवे हॉस्पिटल के पास स्थित प्राचीन मनोकामना मंदिर में भी मंगलवार को श्रद्धालुओं की अच्छी खासी भीड़ जुटा करती है,और नगर की चाऊ वाली बस्ती नामक पुरानी आबादी में स्थित मंदिर का जीर्णोद्धार होने से यह मंदिर भी चर्चा का विषय बन चुका है इसके पूरी दीवार को बहुत रमणीक भित्ति चित्रों से सजाया गया है यदि नवीनता की बात करें तो अब इस नगर में एक आबादी नया मुरादाबाद के नाम से बसी है और इसमें निर्मित हर्बल पार्क भी पर्यटकों के लिए आकर्षण का नया केंद्र बनकर उभरा है,कई एकड़ में फैला यह पार्क विभिन्न प्रजाति के पौधों के कारण तो चर्चा में है ही इसके अलावा समीप ही बह रही गांगन नदी का तट भी कुछ पर्यटकों को एकांतवास के लिए आकर्षित करता है , कुछ लोग नए मुरादाबाद के उस छोर में भी घूमना पसंद करते हैं जिस ओर आधुनिकीकरण की आभा बिखेरते बहुमंजिला टॉवर्स स्थित हैं, शहर सर्व धर्म समभाव का उत्कृष्ट उदाहरण है।

अमरोहा मुरादाबाद से तीस किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। कहा जाता है कि इस शहर का निर्माण लगभग 3,000 पूर्व हुआ था। इसकी स्थापना हस्तिनापुर के राजा अमरजोध ने की थी। बाद में दिल्ली के राजा पृथ्वी राजा की बहन अम्बा देवी द्वारा अमरोहा का पुनर्निर्माण करवाया गया। इसके बाद जब तक यहां मुगलों का प्रवेश नहीं हो गया इस जगह पर त्यागियों ने शासन किया। आम और मछली यहां बाहुल्य मात्रा में उपलब्ध है। इसके अतिरिक्त, ऐसा भी कहा जाता है कि जब शराफुद्दीन इस जगह पर आया था तब स्थानीय लोगों ने उन्हें आम और मछली पेश की थी। इसके बाद ही से इस जगह को अमरोहा के नाम से जाना जाने लगा। अमरोहा स्थित प्रमुख स्थलों में वसुदेव मंदिर, तुलसी पार्क, बायें का कुंआ, नसरूद्दीन साहिब की मजार, दरगाह भूरे शाह और मजार शाह विजयत साहिब आदि हैं।

गजरौला राष्ट्रीय राजमार्ग नम्बर 24 पर स्थित है। यह स्थान मुरादाबाद से 53 किलोमीटर और दिल्ली से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर है। यह शहर महत्वपूर्ण औद्योगिक शहर के रूप में विकसित हो रहा है। कई कुटीर व लघु उद्योग जैसे हिन्दुस्तान लीवर का शिवालिक सेलोलॉस, चड्ढ़ा रबर, वाम ओरगेनिक आदि यहाँ पर स्थित है।

गंगा नदी पर स्थित तिगरी मुरादाबाद से लगभग 62 किलोमीटर की दूरी पर है। प्रत्येक वर्ष कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर प्रसिद्ध गंगा मेले का आयोजन किया जाता है। लाखों की संख्या में भक्त इस पवित्र जल में स्नान करने के लिए आते हैं।

वायु मार्ग

यहाँ का सबसे निकटतम हवाई अड्डा दिल्‍ली स्थित इन्दिरा गाँधी अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है। भारत के कई प्रमुख शहरों जैसे लखनऊ, कलकत्ता, मुम्बई, लखनऊ, चंडीगढ़ आदि से दिल्ली के लिए नियमित रूप से उड़ान भरी जाती है।

रेल मार्ग

सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन मुरादाबाद जंक्शन है। भारत के कई प्रमुख शहरों जैसे नई दिल्ली, कलकत्ता, मुम्बई, चैन्नई, आगरा और वाराणसी आदि से मुरादाबाद रेल द्वारा पहुँचा जा सकता है।[5]

सड़क मार्ग

मुरादाबाद सड़क मार्ग द्वारा भारत के कई प्रमुख शहरों जैसे मथुरा, दिल्ली, चंडीगढ़, कानपुर, लखनऊ, वाराणसी, झाँसी और आगरा आदि से पहुँचा जा सकता है। उत्तर प्रदेश राज्य मार्ग परिवहन निगम द्वारा इन सभी शहरों से मुरादाबाद के लिए बस सुविधा उपलब्ध करवा रखी है। इसके अतिरिक्त विभिन्न निजी लक्सरी बसों की सुविधा भी उपलब्ध है।

 
पीतल का एक सजावटी पेपरवेट

मुरादाबाद में खरीदारी किए बिना आपका सफर अधूरा ही रहेगा। मुरादाबाद स्थित मुख्य बाजार पीतल मंडी है। इस जगह पर कई सौ छोटी और बड़ी दुकानें है जहां तांबा और कांसा की बिक्री की जाती है। इन छोटी-छोटी दुकानों से जहां आप तांबा और कांसे से बनी खूबसूरत वस्तुओं की खरीदारी कर सकते हैं वहीं दूसरी ओर बड़ी दुकानों से बेशकिमती और आकर्षक वस्तुओं खरीद सकते हैं। यहां आपको तांबे के आइटम सभी साइज और शेप में मिल जाएंगे। उन पर की खूबसूरत नक्काशी का काम देखा जा सकता है। इसके अतिरिक्त यहां जिस चीज की बिक्री सबसे अधिक होती है वह इत्रदान और गुलाबपाश है। यह इत्रदान और गुलाबपाश आपको हर शेप में विशेष रूप से कांसे और तांबे के मिश्रण से बने बर्तन में आसानी से मिल जाएंगे। इसके साथ-साथ अफताब अथवा वाइन सर्वर की खरीदारी भी जरूर करें। इन पर तांबे की लाइंनिग का काम हुआ होता है और इसका भार भी अधिक होता है।

चित्र दीर्घा

संपादित करें

इन्हें भी देखें

संपादित करें

बाहरी कड़ियाँ

संपादित करें
  1. "Uttar Pradesh in Statistics," Kripa Shankar, APH Publishing, 1987, ISBN 9788170240716
  2. "Political Process in Uttar Pradesh: Identity, Economic Reforms, and Governance Archived 2017-04-23 at the वेबैक मशीन," Sudha Pai (editor), Centre for Political Studies, Jawaharlal Nehru University, Pearson Education India, 2007, ISBN 9788131707975
  3. "संग्रहीत प्रति". मूल से 7 नवंबर 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2 फ़रवरी 2012.
  4. "Falling Rain Genomics, Inc - Moradabad". मूल से 18 अप्रैल 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 12 मई 2009.
  5. "संग्रहीत प्रति". मूल से 1 अगस्त 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2 फ़रवरी 2012.