मुरारी शर्मा
मुरारी शर्मा[1][2] (अंग्रेजी: Murari Sharma, जन्म: १ जनवरी १९०१, मृत्यु: २ अप्रैल १९८२) विश्वविख्यात काकोरी काण्ड में प्रत्यक्ष रूप से हिस्सा लेने वाले क्रान्तिकारी थे जिन्हें अन्त तक पुलिस गिरफ्तार नहीं कर पायी।[3] इनका वास्तविक नाम मुरारीलाल गुप्त था परन्तु मुरारी शर्मा के छद्म नाम से इन्होंने हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन की सदस्यता ली, काकोरी काण्ड में भाग लिया और फरार हो गये। यह रहस्योद्घाटन उनके यशस्वी पुत्र दामोदर स्वरूप 'विद्रोही' ने १९ जून १९९७ को हिन्दी अकादमी, दिल्ली द्वारा राजेन्द्र भवन दिल्ली में आयोजित "राम प्रसाद 'बिस्मिल' जयन्ती" समारोह में बोलते हुए किया था। मुरारीलाल जी कुछ दिनों दिल्ली[4] जाकर छिपे रहे फिर शाहजहाँपुर जनपद स्थित अपने गाँव मुडिया पँवार चले गये। आप पक्के आर्य समाजी थे कभी भी रिक्शे पर नहीं बैठे। कहा करते थे इसे आदमी खींचता है मैं एक आदमी होकर एक आदमी से अपना बोझा उठवाऊँ यह नहीं हो सकता। २ अप्रैल १९८२[5] को आपने अपने घर पर स्वेच्छा से प्राण त्याग दिये।
मुरारी शर्मा | |
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मुरारीलाल (जन्म:१९०१-मृत्यु:१९८२) | |
जन्म |
मुरारीलाल 01 जनवरी 1901 शाहजहाँपुर, ब्रिटिश भारत |
मौत |
2 अप्रैल 1982 शाहजहाँपुर, उत्तर प्रदेश, भारत | (उम्र 81 वर्ष)
राष्ट्रीयता | भारतीय |
उपनाम | मुरारीलाल गुप्त |
पेशा | स्वतंत्रता सेनानी |
प्रसिद्धि का कारण | काकोरी काण्ड |
सन्दर्भ
संपादित करें- जगदीश 'जगेश' कलम आज उनकी जय बोल १९८९ हिन्दी प्रचारक संस्थान पो०बॉ० ११०६ वाराणसी
- दामोदर स्वरूप 'विद्रोही' दीवार के साये में (आत्मकथा) २००५ गान्धी पुस्तकालय शाहजहाँपुर
इन्हें भी देखें
संपादित करेंबाहरी कड़ियाँ
संपादित करें- Daredevilry of sons of the soil -टाइम्स ऑफ इण्डिया का लेख
- हिसाब माँग रही शहीदों की सरजमीं - Liveहिन्दुस्तान.com में आनन्द शर्मा का लेख