मुरुदेश्वर
मुरुदेश्वर (Murudeshwar) भारत के कर्नाटक राज्य के उत्तर कन्नड़ ज़िले की भटकल तालुका में स्थित एक नगर है। यह भटकल नगर से लगभग 13 किमी दूर अरब सागर तट पर स्थित है। यह एक हिन्दू तीर्थस्थल है और यहाँ विश्व का दूसरी सबसे बड़ी भगवान शिव की मूर्ति है। यहाँ का मुरुदेश्वर मन्दिर भी प्रसिद्ध है।[1][2] इस मंदिर का निर्माण 2008 में पूर्ण हुआ था और इस मंदिर की ऊंचाई 249 फ़ीट है।[3]
मुरुदेश्वर Murudeshwar ಮುರುಡೇಶ್ವರ | |
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मुरुदेश्वर मन्दिर का गोपुरम और शिव की मूर्ति | |
निर्देशांक: 14°05′35″N 74°28′59″E / 14.093°N 74.483°Eनिर्देशांक: 14°05′35″N 74°28′59″E / 14.093°N 74.483°E | |
देश | भारत |
प्रान्त | कर्नाटक |
ज़िला | उत्तर कन्नड़ ज़िला |
तालुका | भटकल |
भाषा | |
• प्रचलित | कन्नड़ |
समय मण्डल | भामस (यूटीसी+5:30) |
पिनकोड | 581350 |
दूरभाष कोड | 08385 |
नामोत्पत्ति
संपादित करें'मुरुदेश्वर' भगवान शिव का एक नाम है।
विवरण
संपादित करेंमुरुदेश्वर अरब सागर के तट पर स्थित है और मैंगलुरु से 165 किलोमीटर दूर अरब सागर के किनारे बहुत ही सुन्दर एवं शांत स्थान पर बना हुआ है। मुरुदेश्वर सागरतट, कर्णाटक के सब से सुन्दर तटों में से एक है। पर्यटकों के लिए यहाँ आना दोगुना लाभप्रद रहता है, जहां एक ओर इस धार्मिक स्थल के दर्शन होते हैं, वहीं दूसरी तरफ प्राकृतिक सुन्दरता का आनन्द भी मिलता है। मुरुदेश्वर मंगलुरु-मुम्बई रेलपथ पर स्थित एक रेलवे स्टेशन भी है। मुरुदेश्वर मन्दिर परिसर के पीछे एक दुर्ग है जो विजयनगर साम्राज्य के काल का है।
पौराणिक सन्दर्भ
संपादित करेंकन्दुका पहाड़ी पर, तीन ओर से पानी से घिरा यह मुरुदेश्वर मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। यहाँ भगवान शिव का आत्म लिंग स्थापित है, जिस की कथा रामायण काल से है। अमरता पाने हेतु रावण जब शिव जी को प्रसन्न करके उनका आत्मलिंग अपने साथ लंका ले जा रहा था। तब रास्ते में इस स्थान पर आत्मलिंग धरती पर रख दिए जाने के कारण स्थापित हो गया था। गुस्से में रावण ने इसे नष्ट करने का प्रयास किया उस प्रक्रिया में, जिस वस्त्र से आत्म लिंग ढका हुआ था वह म्रिदेश्वर जिसे अब मुरुदेश्वर कहते हैं में जा गिरा। इस की पूरी कथा शिव पुराण में मिलती है। राजा गोपुरा या राज गोपुरम विश्व में सब से ऊँचा गोपुरा माना जाता है। यह २४९ फीट ऊँचा है। इसे एक स्थानीय व्यवसायी ने बनवाया था। द्वार पर दोनों तरफ सजीव हाथी के बराबर ऊँची हाथी की मूर्तियाँ देखी जा सकती हैं।[4]
मुरुदेश्वर मंदिर के बाहर बनी शिव भगवान की मूर्ति विश्व की दूसरी सबसे ऊँची शिव मूर्ति है और इसकी ऊँचाई १२३ फीट है। अरब सागर में बहुत दूर से इसे देखा जा सकता है। इसे बनाने में दो साल लगे थे और शिवमोग्गा के काशीनाथ और अन्य मूर्तिकारों ने इसे बनाया था। इसका निर्माण उसी स्थानीय श्री आर एन शेट्टी ने करवाया और लगभग ५ करोड़ भारतीय रुपयों की लागत आई थी। मूर्ति को इस तरह बनवाया गया है कि सूरज की किरणे इस पर पड़ती रहें और यह चमकती रहे।
चित्रदीर्घा
संपादित करें-
भगवान शिव की मूर्ति
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मुरुदेश्वर मंदिर का शिखर
इन्हें भी देखें
संपादित करेंबाहरी कड़ियाँ
संपादित करेंविकिमीडिया कॉमन्स पर मुरुदेश्वर से सम्बन्धित मीडिया है। |
- कर्नाटक.कॉम पर मुरुदेश्वर
- मुरुदेश्वर यात्रा की जानकारी
- राज्य के पर्यटन जालस्थल पर
- मुरुदेश्वर- डांच विद शैडॊज़ पर
- मणिपाल के निकट स्थान
- पिकासा[मृत कड़ियाँ] पर मुरुदेश्वर के चित्र
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "Lonely Planet South India & Kerala," Isabella Noble et al, Lonely Planet, 2017, ISBN 9781787012394
- ↑ "The Rough Guide to South India and Kerala," Rough Guides UK, 2017, ISBN 9780241332894
- ↑ "Murudeshwara | Lord Shiva Statue". Karnataka Tourism (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2023-09-14.
- ↑ मुरुदेश्वर मंदिर कर्णाटक Archived 2011-06-06 at the वेबैक मशीन- ताऊ.इन। सु. अल्पना वर्मा। १९ अप्रैल २०१०