मुहम्मद इस्माइल
मुहम्मद इस्माइल (1896 – 1972) तमिलनाडु एवं केरल के भारतीय राष्ट्रवादी मुस्लिम राजनेता तथा चमड़े और मांस उद्योग से जुड़े एक प्रसिद्ध व्यवसायी थे। वह स्वतंत्रता से पहले जिन्ना के नेतृत्व वाली अखिल भारतीय मुस्लिम लीग के सदस्य थे, जिन्ना के द्वि-राष्ट्र सिद्धांत के मुद्दे पर तथा भारत विभाजन पर अखिल भारतीय मुस्लिम लीग का भारतीय पक्ष वाला एक धड़ा पार्टी से अलग हो गया, वस्तुतः मुस्लिम लीग भंग हो गई। उन्होंने भारत विभाजन (1947) के बाद उन्होंने भारतीय पक्ष वाले धड़े के साथ मिलकर इण्डियन यूनियन मुस्लिम लीग के नींव रखी और संस्थापक अध्यक्ष चुने गए। उन्हें तमिलनाडु और केरल में "कायदे-ए-मिल्लत" ("राष्ट्र के नेता") के रूप में जाना जाता है।
मुहम्मद इसमाइल | |
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1996 के एक डाक टिकट पर मुहम्मद इस्माइल | |
मद्रास राज्य विधानसभा में विधायक
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पद बहाल 1946–1952 | |
भारतीय संविधान सभा के सदस्य
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पद बहाल 1948–1952 | |
राज्य सभा सांसद
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पद बहाल 1952–1958 | |
लोक सभा सांसद
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पद बहाल 1962–1972 | |
चुनाव-क्षेत्र | मंजेरी |
जन्म | 05 जून 1896 तिरूनेलवेली, तमिलनाडु |
मृत्यु | 5 अप्रैल 1972 चैन्नई, भारत | (उम्र 75 वर्ष)
राजनीतिक दल | मुस्लिम लीग (till 1947) इण्डियन यूनियन मुस्लिम लीग |
जीवन संगी | जमाल हमीदा बी |
बच्चे | जमाल मियाखान (पुत्र) |
निवास | चैन्नई, भारत |
परिचय
संपादित करेंएम. मुहम्मद इस्माइल का जन्म 5 जून 1896 को मद्रास राज्य वर्तमान तमिलनाडु राज्य के तिरुनेलवेली, में हुआ था। उन्होंने सेंट जोसेफ कॉलेज, त्रिचिनोपोली और क्रिश्चियन कॉलेज, मद्रास से शिक्षा प्राप्त की।
इस्माइल ने 1909 में (13 साल की उम्र में) अपने गृह नगर तिरुनेलवेली में 'यंग मुस्लिम सोसाइटी' की शुरुआत की। उन्होंने 1918 में 'मजलिस-उल-उलमा' ('इस्लामिक विद्वानों की परिषद') की स्थापना में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
वह 1920 के दशक में व्यवसाय में चले गए और चमड़े और मांस उद्योग और अंततः मद्रास वाणिज्य के नेता बन गए। इस्माइल ने नवंबर 1923 में जमाल हमीदा बी से शादी की।
राजनैतिक सफर
संपादित करें1930 के मध्य दशक में इस्माइल के भाई, के.टी.एम. अहमद इब्राहिम, और के. एम. सेठी साहब, बी.पोकर साहिब बहादुर मद्रास प्रेसीडेंसी में अखिल भारतीय मुस्लिम लीग के एक प्रमुख नेताओं में से एक थे।
मद्रास वाणिज्य में सफलता ने इस्माइल को भारतीय राजनीति में प्रवेश दिलाया। 1945 में, वह अखिल भारतीय मुस्लिम लीग की मद्रास राज्य इकाई के अध्यक्ष बने।
1946 के चुनावों में मुस्लिम लीग मद्रास राज्य विधानसभा में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी और इस्माइल ने (1946-52) के दौरान मद्रास राज्य विधान सभा में विपक्ष के नेता के रूप में कार्य किया।
जब ब्रिटिश भारत का विभाजन भारत और पाकिस्तान में हुआ, तो अखिल भारतीय मुस्लिम लीग का भारतीय पक्ष एक धड़ा पार्टी से अलग हो गया, वस्तुतः मुस्लिम लीग भंग हो गई।
स्वतंत्रता के बाद 1948 में लीग के भारतीय सदस्यों ने मुहम्मद इस्माईल साहिब के नेतृत्व में इण्डियन यूनियन मुस्लिम लीग का गठन किया और उन्हें संस्थापक अध्यक्ष चुना गया था। विभाजन के बाद इस्माइल को 1948 में मद्रास विधान सभा से संविधान सभा के लिए चुने गया।
जब अल्पसंख्यकों पर सलाहकार समिति की रिपोर्ट पर बहस हुई (1949) में , लीग के अध्यक्ष इस्माइल ने मुसलमानों के लिए आरक्षित सीटों और एक अलग सांप्रदायिक मतदाताओं के लिए एक प्रस्ताव पेश किया। लेकिन संविधान सभा ने इस प्रस्ताव को सरसरी तौर पर खारिज कर दिया।
1952 में, इस्माइल मद्रास से राज्यसभा के लिए चुने गए और 1958 तक सदस्य बने रहे। वर्ष 1956 में केरल राज्य के गठन के बाद उनकी राजनीति केरल स्थानांतरित हो गई। 1962, 1967, 1971 के संसदीय चुनावों में वह केरल की मंजेरी (वर्तमान मलप्पुरम) संसदीय सीट से तीन बार इण्डियन यूनियन मुस्लिम लीग के उम्मीदवार के रूप में लोकसभा के सदस्य निर्वाचित हुए।
राज्यसभा में रहते हुए उन्होंने भारतीय मुसलमानों के लिए शरीयत कानून बनाए रखने का समर्थन किया। मुहम्मद इस्माइल का 5 अप्रैल 1972 को (लंबी बीमारी के बाद) निधन हो गया। वह तमिलनाडु और केरल में "कायद-ए-मिल्लत" ("राष्ट्र के नेता") के रूप में लोकप्रिय थे।
उनके निधन पर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के राजनेता एवं तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री एम. भक्तवत्सलम, ने अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए, इस्माइल को "सभी विपक्षी नेताओं के लिए एक मॉडल" के रूप में वर्णित किया था।
तमिलनाडु में कई कॉलेज जिनमें कायदे-ए-मिल्लत गवर्नमेंट कॉलेज फॉर विमेन, चेन्नई और कायदे-ए-मिल्लत कॉलेज, मेदावक्कम,चेन्नई । उनके नाम पर रखे गए हैं। वर्ष 1996 में भारतीय डाक सेवा द्वारा उनके सम्मान में डाक टिकट जारी किया गया है।