मृदुला गर्ग
मृदुला गर्ग (जन्म:२५ अक्टूबर, १९३८)[1] कोलकाता में जन्मी, हिंदी की सबसे लोकप्रिय लेखिकाओं में से एक हैं। उपन्यास, कहानी संग्रह, नाटक तथा निबंध संग्रह सब मिलाकर उन्होंने २० से अधिक पुस्तकों की रचना की है। १९६० में अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर उपाधि लेने के बाद उन्होंने ३ साल तक दिल्ली विश्वविद्यालय में अध्यापन भी किया है।
मृदुला गर्ग | |
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जन्म | 1938 (आयु 85–86) कलकत्ता, बंगाल प्रेसीडेंसी, ब्रितानी भारत |
भाषा | हिन्दी, अंग्रेज़ी |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
विधा | लघुकथा, उपन्यास |
उल्लेखनीय काम | मिलजुल मन (2013) |
खिताब | साहित्य अकादमी पुरस्कार (2013) |
उनके उपन्यासों को अपने कथानक की विविधता और नयेपन के कारण समालोचकों की बड़ी स्वीकृति और सराहना मिली। उनके उपन्यास और कहानियों का अनेक हिंदी भाषाओं तथा जर्मन, चेक, जापानी और अँग्रेजी में अनुवाद हुआ है। वे स्तंभकार रही हैं, पर्यावरण के प्रति सजगता प्रकट करती रही हैं तथा महिलाओं तथा बच्चों के हित में समाज सेवा के काम करती रही हैं। उनका उपन्यास 'चितकोबरा' नारी-पुरुष के संबंधों में शरीर को मन के समांतर खड़ा करने और इस पर एक नारीवाद या पुरुष-प्रधानता विरोधी दृष्टिकोण रखने के लिए काफी चर्चित और विवादास्पद रहा था। उन्होंने इंडिया टुडे के हिन्दी संस्करण में २००३ से २०१० तक 'कटाक्ष' नामक स्तंभ लिखा है जो अपने तीखे व्यंग्य के कारण खूब चर्चा में रहा।
उनके आठ उपन्यास - उसके हिस्से की धूप, वंशज, चित्तकोबरा, अनित्य, 'मैं और मैं', कठगुलाब, 'मिलजुल मन' और 'वसु का कुटुम'; ग्यारह कहानी संग्रह - 'कितनी कैदें', 'टुकड़ा टुकड़ा आदमी', 'डैफ़ोडिल जल रहे हैं', 'ग्लेशियर से', 'उर्फ सैम', 'शहर के नाम', 'चर्चित कहानियाँ', समागम, 'मेरे देश की मिट्टी अहा', 'संगति विसंगति', 'जूते का जोड़ गोभी का तोड़', चार नाटक- 'एक और अजनबी', 'जादू का कालीन', 'तीन कैदें' और 'सामदाम दंड भेद'; तीन निबंध संग्रह - 'रंग ढंग' ,'चुकते नहीं सवाल' तथा 'कृति और कृतिकार', एक यात्रा संस्मरण- 'कुछ अटके कुछ भटके' तथा दो व्यंग्य संग्रह - 'कर लेंगे सब हज़म' तथा 'खेद नहीं है' प्रकाशित हुए हैं।
प्रसिद्ध पुस्तकें
- अनित्य (उपन्यास -१९८०) [2]
- उर्फ सैम (कथासंग्रह -१९८६)
- उसके हिस्से की धूप (उपन्यास -१९७५)
- एक और अजनबी (नाटक -१९७८)
- एक यात्रा संस्मरण- कुछ अटके कुछ भटके (ललित लेखसंग्रह)
- कठगुलाब (उपन्यास -१९९६)
- कर लेंगे सब हज़म (व्यंग्य -२००७)
- कितनी कैदें (कथासंग्रह -१९७५)
- खेद नहीं है (व्यंग्य -२००९)
- ग्लेशियर से (कथासंग्रह -१९८०)
- चर्चित कहानियाँ (कथासंग्रह -१९९३)
- चित्तकोबरा (उपन्यास -१९७९)
- चुकते नहीं सवाल (ललित लेखसंग्रह -१९९९)
- छत पर दस्तक (कथासंग्रह -२००६)
- जादू का कालीन (नाटक -१९९३)
- जूते का जोड़ गोभी का तोड़ (कथासंग्रह -२००६)
- टुकड़ा टुकड़ा आदमी (कथासंग्रह -१९७६)
- डैफ़ोडिल जल रहे हैं (कथासंग्रह -१९७८)
- तीन कैदें (नाटक -१९९६)
- दस प्रतिनिधी कहानियाँ (कथासंग्रह -२००७)
- मंज़ूर नामंज़ूर (प्रेमकथा -२००७)
- मिलजुल मन (उपन्यास -२००९)
- मृदुला गर्ग की यादगारी कहानियाँ (कथासंग्रह -२०१०)
- मेरे देश की मिट्टी अहा (कथासंग्रह २००१)
- मैं और मैं (उपन्यास -१९८४)
- रंग ढंग (ललित लेखसंग्रह -१९९५)
- वंशज (उपन्यास -१९७६)
- शहर के नाम (कथासंग्रह -१९९०)
- संगति विसंगति (कथासंग्रह, दो खंड -२००३)
- समागम (कथासंग्रह -१९९६)
- सामदाम दंड भेद (बालनाटक -२०११)
पुरस्कार
- हिन्दी अकादमी, दिल्ली द्वारा साहित्यकार सम्मान (1988)
- उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ द्वारा साहित्य भूषण (1999)
- ह्यूमन राइट वाच, न्यूयॉर्क द्वारा साहसी लेखन के लिए हेलमैन-हैमेट ग्रान्ट (2001)
- विश्व हिन्दी सम्मेलन, सूरीनाम में साहित्य में जीवनभर के योगदान (लाइफटाइम कॉन्ट्रिब्यूशन) के लिए सम्मानित (2003)
- कृति कठगुलाब के लिए, हिन्दी में उत्कृष्ट लेखन, व्यास सम्मान (2004)
- मध्यप्रदेश साहित्य परिषद द्वारा 'उसके हिस्से की धूप' (उपन्यास) और 'जादू का कालीन (नाटक) के लिए सम्मान (क्रमशः वर्ष 1975 और 1993)
- मिलजुल मन (उपन्यास) को साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया (2013) [3]
- उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ से राम मनोहर लोहिया सम्मान (2016)
- डी.लिट. "ऑनोरिस कौसा" आईटीएम विश्वविद्यालय, ग्वालियर (2016)
सन्दर्भ
- ↑ A Novelist on 'Writing the Self' Archived 2008-12-13 at the वेबैक मशीन। फैलैन्क्स।(अंग्रेज़ी)
- ↑ Anitya (1. Rājakamala saṃskaraṇa संस्करण). Rājakamala Prakāśana. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-8126723010.
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(मदद) - ↑ [1] Archived 2013-12-19 at the वेबैक मशीन। साहित्य अकादमी
बाहरी कड़ियाँ
- शब्दांकन पर पढ़े मिलजुल मन उपन्यास अंश
- गद्य कोष पर मृदुला गर्ग
- भारतीय साहित्य संग्रह पर मृदुला गर्ग की कृतियां व पुस्तकें
- चित्त कोबरा Archived 2022-05-16 at the वेबैक मशीन-अभिलाष.ऑर्ग पर