विश्व हिन्दी सम्मेलन

हिन्दी भाषा का सबसे बड़ा अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन

विश्व हिन्दी सम्मेलन हिन्दी भाषा का सबसे बड़ा अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन है, जिसमें विश्व भर से हिन्दी विद्वान, साहित्यकार, पत्रकार, भाषा विज्ञानी, विषय विशेषज्ञ तथा हिन्दी प्रेमी जुटते हैं। अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर हिन्दी के प्रति जागरुकता पैदा करने, समय-समय पर हिन्दी की विकास यात्रा का आकलन करने, लेखक व पाठक दोनों के स्तर पर हिन्दी साहित्य के प्रति सरोकारों को और दृढ़ करने, जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में हिन्दी के प्रयोग को प्रोत्साहन देने तथा हिन्दी के प्रति प्रवासी भारतीयों के भावुकतापूर्ण व महत्त्वपूर्ण रिश्तों को और अधिक गहराई व मान्यता प्रदान करने के उद्देश्य से 10 जनवरी 1975 में विश्व हिन्दी सम्मेलनों की शृंखला आरम्भ की गयी। इस बारे में तत्कालीन प्रधानमन्त्री श्रीमती इन्दिरा गान्धी ने पहल की थी। पहला विश्व हिन्दी सम्मेलन राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के सहयोग से नागपुर, महाराष्ट्र में सम्पन्न हुआ जिसमें प्रसिद्ध समाजसेवी एवं स्वतन्त्रता सेनानी विनोबा भावे ने अपना विशेष सन्देश भेजा।

विश्व हिन्दी सम्मेलन

भोपाल में आयोजित दसवाँ विश्व हिन्दी सम्मेलन
अवस्था क्रियाशील
शैली अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन
आवृत्ति ३ वर्ष में एक बार
सक्रीय वर्ष 50
उद्घाटन जनवरी 10, 1975 (1975-01-10)
पिछला 2023
अगला 2026
संरक्षक भारत सरकार
जालस्थल vishwahindisammelan.gov.in/index.htm

प्रारम्भ में इसका आयोजन हर चौथे वर्ष में किया जाता था लेकिन अब यह अन्तराल घटाकर तीन वर्ष कर दिया गया है। अब तक 12 विश्व हिन्दी सम्मेलन हो चुके हैं। मुख्यतः मारीशस, नई दिल्ली, त्रिनिडाड व टोबेगो, लन्दन, सूरीनाम न्यूयार्क और जोहांसबर्ग में। दसवाँ विश्व हिन्दी सम्मेलन २०१५ में भोपाल में आयोजित हुआ। २०१८ में इसका आयोजन मॉरीशस में हुआ है। 12वां विश्व हिंदी सम्मेलन 15-17 फरवरी 2023 में फिजी में हुआ।

विश्व हिन्दी सम्मेलन शृंखलाएँ
क्रम तिथि नगर देश
१०-१४ जनवरी 1975 नागपुर   भारत
२८-३० अगस्त 1976 पोर्ट लुई   मारीशस
२८-३० अक्टूबर 1983 नई दिल्ली   भारत
२-४ दिसम्बर 1993 पोर्ट लुई   मारीशस
४-८ अप्रैल 1996 त्रिनिडाड-टोबेगो   त्रिनिदाद और टोबैगो
१४-१८ सितम्बर 1999 लंदन   यूनाइटेड किंगडम
५-९ जून 2003 पारामरिबो   सूरीनाम
१३-१५ जुलाई 2007 न्यूयार्क   संयुक्त राज्य अमेरिका
२२-२४ सितम्बर 2012 जोहांसबर्ग   दक्षिण अफ्रीका
१० १०-१२ सितम्बर 2015 भोपाल   भारत
११ १८-२० अगस्त 2018 पोर्ट लुई   मॉरिशस
12 15-17 फरवरी 2023 नाड़ी[1]   फ़िजी

पहला विश्व हिन्दी सम्मेलन १० जनवरी से १४ जनवरी १९७५ तक नागपुर में आयोजित किया गया। सम्मेलन का आयोजन राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के तत्वावधान में हुआ। सम्मेलन से सम्बन्धित राष्ट्रीय आयोजन समिति के अध्यक्ष महामहिम उपराष्ट्रपति श्री बी डी जत्ती थे। राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के अध्यक्ष श्री मधुकर राव चौधरी उस समय महाराष्ट्र के वित्त, नियोजन व अल्पबचत मन्त्री थे। पहले विश्व हिन्दी सम्मेलन का बोधवाक्य था - वसुधैव कुटुम्बकम। सम्मेलन के मुख्य अतिथि थे मॉरीशस के प्रधानमन्त्री श्री शिवसागर रामगुलाम, जिनकी अध्यक्षता में मॉरीशस से आये एक प्रतिनिधिमण्डल ने भी सम्मेलन में भाग लिया था। इस सम्मेलन में ३० देशों के कुल १२२ प्रतिनिधियों ने भाग लिया।[2]

सम्मेलन में पारित किये गये मन्तव्य थे-

१- संयुक्त राष्ट्र संघ में हिन्दी को आधिकारिक भाषा के रूप में स्थान दिया जाये।
२- वर्धा में विश्व हिन्दी विद्यापीठ की स्थापना हो।
३- विश्व हिन्दी सम्मेलनों को स्थायित्व प्रदान करने के लिये अत्यन्त विचारपूर्वक एक योजना बनायी जाये।

दूसरा विश्व हिन्दी सम्मेलन मॉरीशस की धरती पर हुआ। मॉरीसस की राजधानी पोर्ट लुई में २८ अगस्त से ३० अगस्त १९७६ तक चले विश्व हिन्दी सम्मेलन के आयोजक राष्ट्रीय आयोजन समिति के अध्यक्ष, मॉरीशस के प्रधानमन्त्री डॉ॰ सर शिवसागर रामगुलाम थे। सम्मेलन में भारत से तत्कालीन केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार नियोजन मन्त्री डॉ॰ कर्ण सिंह के नेतृत्व में २३ सदस्यीय प्रतिनिधिमण्डल ने भाग लिया। भारत के अतिरिक्त सम्मेलन में १७ देशों के १८१ प्रतिनिधियों ने भी हिस्सा लिया।[3]

तीसरा विश्व हिन्दी सम्मेलन भारत की राजधानी दिल्ली में २८ अक्टूबर से ३० अक्टूबर १९८३ तक आयोजित किया गया। सम्मेलन के लिये बनी राष्ट्रीय आयोजन समिति के अध्यक्ष तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष डॉ॰ बलराम जाखड़ थे। इसमें मॉरीशस से आये प्रतिनिधिमण्डल ने भी हिस्सा लिया जिसके नेता थे श्री हरीश बुधू। सम्मेलन के आयोजन में राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा ने प्रमुख भूमिका निभायी। सम्मेलन में कुल ६,५६६ प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया जिनमें विदेशों से आये २६० प्रतिनिधि भी शामिल थे।[4] हिन्दी की सुप्रसिद्ध कवयित्री सुश्री महादेवी वर्मा समापन समारोह की मुख्य अतिथि थीं। इस अवसर पर उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा था - "भारत के सरकारी कार्यालयों में हिन्दी के कामकाज की स्थिति उस रथ जैसी है जिसमें घोड़े आगे की बजाय पीछे जोत दिये गये हों।"

चौथा विश्व हिन्दी सम्मेलन २ दिसम्बर से ४ दिसम्बर १९९३ तक मॉरीशस की राजधानी पोर्ट लुई में आयोजित किया गया। १७ साल बाद मॉरीशस में एक बार फिर विश्व हिन्दी सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा था। इस बार के आयोजन का उत्तरदायित्व मॉरीशस के कला, संस्कृति, अवकाश एवं सुधार संस्थान मन्त्री श्री मुक्तेश्वर चुनी ने संभाला था। उन्हें राष्ट्रीय आयोजन समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। इसमें भारत से गये प्रतिनिधिमण्डल के नेता थे श्री मधुकर राव चौधरी। भारत के तत्कालीन गृह राज्यमन्त्री श्री रामलाल राही प्रतिनिधिम्ण्डल के उपनेता थे। सम्मेलन में मॉरीशस के अतिरिक्त लगभग २०० विदेशी प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया।[5]

पाँचवाँ विश्व हिन्दी सम्मेलन त्रिनिदाद एवं टोबेगो की राजधानी पोर्ट ऑफ स्पेन में ४ अप्रैल से ८ अप्रैल १९९६ के मध्य हुआ। इसका आयोजन त्रिनीदाद की हिन्दी निधि द्वारा किया गया। सम्मेलन के प्रमुख संयोजक थे हिन्दी निधि के अध्यक्ष श्री चंका सीताराम। भारत की ओर से इस सम्मेलन में भाग लेने वाले प्रतिनिधिमण्डल के नेता अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल श्री माता प्रसाद थे। सम्मेलन का केन्द्रीय विषय था- प्रवासी भारतीय और हिन्दी। जिन अन्य विषयों पर इसमें ध्यान केन्द्रित किया गया, वे थे - हिन्दी भाषा और साहित्य का विकास, कैरेबियाई द्वीपों में हिन्दी की स्थिति एवं कप्यूटर युग में हिन्दी की उपयोगिता। सम्मेलन में भारत से १७ सदस्यीय प्रतिनिधिमण्डल ने हिस्सा लिया। अन्य देशों के २५७ प्रतिनिधि इसमें शामिल हुए।[6] छठा विश्व हिन्दी सम्मेलन लन्दन में १४ सितम्बर से १८ सितम्बर १९९९ तक आयोजित किया गया। यू०के० हिन्दी समिति, गीतांजलि बहुभाषी समुदाय और बर्मिंघम भारतीय भाषा संगम, यॉर्क ने मिलजुल कर इसके लिये राष्ट्रीय आयोजन समिति का गठन किया गया जिसके अध्यक्ष थे डॉ॰ कृष्ण कुमार और संयोजक डॉ॰ पद्मेश गुप्त। सम्मेलन का केंद्रीय विषय था - हिन्दी और भावी पीढ़ी। सम्मेलन में विदेश राज्यमन्त्री श्रीमती वसुंधरा राजे के नेतृत्व में भारतीय प्रतिनिधिमण्डल ने भाग लिया। प्रतिनिधिमण्डल के उपनेता थे प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ॰ विद्यानिवास मिश्र। इस सम्मेलन का ऐतिहासिक महत्त्व इसलिए है क्योंकि यह हिन्दी को राजभाषा बनाये जाने के ५०वें वर्ष में आयोजित किया गया। यही वर्ष सन्त कबीर की छठी जन्मशती का भी था। सम्मेलन में २१ देशों के ७०० प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। इनमें भारत से ३५० और ब्रिटेन से २५० प्रतिनिधि शामिल थे।[7]

सातवाँ विश्व हिन्दी सम्मेलन सुदूर सूरीनाम की राजधानी पारामारिबो में ५ जून से ९ जून २००३ के मध्य हुआ। इक्कीसवीं सदी में आयोजित यह पहला विश्व हिन्दी सम्मेलन था। सम्मेलन के आयोजक थे श्री जानकीप्रसाद सिंह और इसका केन्द्रीय विषय था - विश्व हिन्दी: नई शताब्दी की चुनौतियाँ। सम्मेलन में हिस्सा लेने वाले भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व विदेश राज्य मन्त्री श्री दिग्विजय सिंह ने किया। सम्मेलन में भारत से २०० प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। इसमें १२ से अधिक देशों के हिन्दी विद्वान व अन्य हिन्दी सेवी सम्मिलित हुए। सम्मेलन का उद्घाटन ५ जून को हुआ था। यह भी एक संयोग ही था कि कुछ दशक पहले इसी दिन सूरीनामी नदी के तट पर भारतवंशियों ने पहला कदम रखा था।[8]

आठवाँ विश्व हिन्दी सम्मेलन १३ जुलाई से १५ जुलाई २००७ तक संयुक्त राज्य अमेरिका की राजधानी न्यू यॉर्क में हुआ। इस सम्मेलन का केन्द्रीय विषय था - विश्व मंच पर हिन्दी। इसका आयोजन भारत सरकार के विदेश मन्त्रालय द्वारा किया गया। न्यूयॉर्क में सम्मेलन के आयोजन से सम्बन्धित व्यवस्था अमेरिका की हिन्दी सेवी संस्थाओं के सहयोग से भारतीय विद्या भवन ने की थी। इसके लिए एक विशेष वेबसाईट का निर्माण भी किया गया। इसे प्रभासाक्षी.कॉम के समूह सम्पादक बालेन्दु शर्मा दाधीच के नेतृत्व वाले प्रकोष्ठ (सैल) ने विकसित किया।

नौवाँ विश्व हिन्दी सम्मेलन २२ सितम्बर से २४ सितम्बर २०१२ तक, दक्षिण अफ्रीका के शहर जोहांसबर्ग में हुआ। इस सम्मेलन में २२ देशों के ६०० से अधिक प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। इनमें लगभग ३०० भारतीय शामिल हुए। सम्मेलन में तीन दिन चले मंथन के बाद कुल १२ प्रस्ताव पारित किए गए और विरोध के बाद एक संशोधन भी किया गया।[9]

दसवाँ विश्व हिन्दी सम्मेलन 10 से 12 सितंबर तक भोपाल में हुआ। दसवें सम्मेलन का मुख्य कथ्य (थीम) था - ' हिन्दी जगत : विस्तार एवं सम्भावनाएँ '।

ग्यारहवाँ विश्व हिन्दी सम्मीलन मॉरिशस में आयोजित किया गया।[10]

बारहवाँ विश्व हिन्दी सम्मेलन 15 से 17 फरवरी 2023 में नाडी, फ़िजी के देनाराऊ द्वीप कन्वेंशन सेंटर में आयोजित किया गया।[1] यह आयोजन अबकी बार पाँच साल बाद हो रहा है, आखिरी बार यह 2018 में आयोजित किया गया था। इस साल विश्व हिंदी दिवस की थीम पारंपरिक ज्ञान से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस है। विश्व हिंदी सम्मेलन की आधिकारिक वेबसाइट पर एक पोस्ट में लिखा है। सम्मेलन में सांस्कृतिक कार्यक्रम और कवि सम्मेलन भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद, नई दिल्ली द्वारा आयोजित किए गए हैं।[1]फिजी के राष्ट्रपति विलियम काटोनिवेरे और भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने नाडी में 12वे विश्व हिंदी सम्मेलन में हिस्सा लिया।[11]

विश्व हिन्दी सम्मेलनों में पारित प्रस्ताव

संपादित करें

प्रथम विश्व हिन्दी सम्मेलन

संपादित करें
  • संयुक्त राष्ट्र संघ में हिन्दी को आधिकारिक भाषा के रूप में स्थान दिया जाए।
  • वर्धा में विश्व हिन्दी विद्यापीठ की स्थापना हो।
  • विश्व हिन्दी सम्मेलनों को स्‍थायित्‍व प्रदान करने के लिए ठोस योजना बनाई जाए।

द्वितीय विश्व हिन्दी सम्मेलन

संपादित करें
  • मॉरीशस में एक विश्व हिन्दी केंद्र की स्थापना की जाए जो सारे विश्व में हिन्दी की गतिविधियों का समन्वय कर सके।
  • एक अंतरराष्‍ट्रीय हिन्दी पत्रिका का प्रकाशन किया जाए जो भाषा के माध्यम से ऐसे समुचित वातावरण का निर्माण कर सके जिसमें मानव विश्‍व का नागरिक बना रहे और आध्यात्म की महान शक्ति एक नए समन्वित सामंजस्य का रूप धारण कर सके।
  • हिन्दी को संयुक्‍त राष्ट्र् संघ में एक आधिकारिक भाषा के रूप में स्थान मिले। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए एक समयबद्ध कार्यक्रम बनाया जाए।

तृतीय विश्व हिन्दी सम्मेलन

संपादित करें
  • अंतरराष्ट्रीय भाषा के रूप में हिन्दी के प्रचार-प्रसार की संभावनाओं का पता लगा कर इसके लिए गहन प्रयास किए जाएं।
  • हिन्दी के विश्वव्यापी स्वरूप को विकसित करने के‍ लिए विश्‍व हिन्दी विद्यापीठ स्थापित करने की योजना को मूर्त रूप दिया जाए।
  • विगत दो सम्मेलनों में पारित संकल्पों की संपुष्टि करते हुए यह निर्णय लिया गया कि अंतरराष्‍ट्रीय भाषा के रूप में हिन्दी के विकास और उन्नयन के लिए अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर एक स्‍थायी समिति का गठन किया जाए। इस समिति में देश-विदेश के लगभग 25 व्‍यक्ति सदस्य हों।

चतुर्थ विश्व हिन्दी सम्मेलन

संपादित करें
  • विश्व हिन्दी सचिवालय मॉरीशस में स्थापित किया जाए।
  • भारत में अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय स्थापित किया जाए।
  • विभिन्न विश्वविद्यालयों में हिन्दी पीठ खोले जाएं।
  • भारत सरकार विदेशों से प्रकाशित दैनिक समाचार-पत्र, पत्रिकाएं, पुस्तकें प्रकाशित करने में सक्रिय सहयोग करे।
  • हिन्दी को विश्व मंच पर उचित स्थान दिलाने में शासन और जन-समुदाय विशेष प्रयत्न करे।
  • विश्व के समस्त हिन्दी प्रेमी अपने निजी एवं सार्वजनिक कार्यों में हिन्दी का अधिकाधिक प्रयोग करें और संकल्प लें कि वे कम से कम अपने हस्ताक्षरों, निमंत्रण पत्रों, निजी पत्रों और नामपट्टों में हिन्दी का प्रयोग करेंगे।
  • सम्मेलन के सभी प्रतिनिधि अपने-अपने देशों की सरकारों से संयुक्त राष्ट्र में हिन्दी को आधिकारिक भाषा बनाने के लिए समर्थन प्राप्त करने का सार्थक प्रयास करेंगे।
  • चतुर्थ विश्व हिन्दी सम्मेलन (दिसम्बर-1993) के बाद विश्व हिन्दी सचिवालय की स्थापना मॉरीशस में हुई

पांचवाँ विश्व हिन्दी सम्मेलन

संपादित करें
  • विश्व व्यापी भारतवंशी समाज हिन्दी को अपनी संपर्क भाषा के रूप में स्थापित करेगा।
  • मॉरीशस में विश्व हिन्दी सचिवालय की स्थापना के लिए भारत में एक अं‍तर-सरकारी समिति बनाई जाए।
  • सभी देशों, विशेषकर जिन देशों में अप्रवासी भारतीय बड़ी संख्या में हैं, उनकी सरकारें अपने-अपने देशों में हिन्दी के अध्ययन-अध्यापन की व्यवस्था करें। उन देशों की सरकारों से आग्रह किया जाए कि वे हिन्दी को संयुक्त राष्ट्र की भाषा बनाने के लिए राजनीतिक योगदान और समर्थन दें।

छठा विश्व हिन्दी सम्मेलन

संपादित करें
  • विश्व भर में हिन्दी के अध्ययन-अध्यापन, शोध, प्रचार-प्रसार और हिन्दी सृजन में समन्वय के लिए महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय केंद्र सक्रिय भूमिका निभाए।
  • विदेशों में हिन्दी के शिक्षण, पाठ्यक्रमों के निर्धारण, पाठ्य-पुस्तिकों के निर्माण, अध्यापकों के प्रशिक्षण आदि की व्यवस्था भी विश्वविद्यालय करे और सुदूर शिक्षण के लिए आवश्यक कदम उठाएं।
  • मॉरीशस सरकार अन्य हिन्दी-प्रेमी सरकारों से परामर्श कर शीघ्र विश्व हिन्दी सचिवालय स्थापित करे।
  • हिन्दी को संयुक्त राष्ट्र में मान्यता दी जाए।
  • हिन्दी को सूचना तकनीक के विकास, मानकीकरण, विज्ञान एवं तकनीकी लेखन, प्रसारण एवं संचार की अद्यतन तकनीक के विकास के लिए भारत सरकार एक केंद्रीय एजेंसी स्थापित करे।
  • नई पीढ़ी में हिन्दी को लोकप्रिय बनाने के लिए आवश्यक पहल की जाए।
  • भारत सरकार विदेश स्थि‍त अपने दूतावासों को निर्देश दे कि वे भारतवंशियों की सहायता से विद्यालयों में एक भाषा के रूप में हिन्दी शिक्षण की व्यवस्था करवाएँ।

सातवाँ विश्व‍ हिन्दी सम्मेलन

संपादित करें
  • संयुक्त राष्ट्र में हिन्दी को आधिकारिक भाषा बनाया जाए।
  • विदेशी विश्वविद्यालयों में हिन्दी पीठ की स्थापना हो।
  • भारतीय मूल के लोगों के बीच हिन्दी के प्रयोग के प्रभावी उपाय किए जाएं।
  • हिन्दी के प्रचार हेतु वेबसाइट की स्थापना और सूचना प्रौद्योगिकी का प्रयोग हो।
  • हिन्दी विद्वानों की विश्व-निर्देशिका का प्रकाशन किया जाए।
  • विश्व हिन्दी दिवस का आयोजन हो।
  • कैरेबियन हिन्दी परिषद की स्थापना हो।
  • दक्षिण भारत के विश्व विद्यालयों में हिन्दी विभाग की स्थापना हो।
  • हिन्दी पाठ्यक्रम में विदेशी हिन्दी लेखकों की रचनाओं को शामिल किया जाए।
  • सूरीनाम में हिन्दी शिक्षण की व्यवस्था की जाए।

आठवाँ विश्व हिन्दी सम्मेलन

संपादित करें
  • विदेशों में हिन्दी शिक्षण और देवनागरी लिपि को लोकप्रिय बनाने के उद्देश्य से दूसरी भाषा के रूप में हिन्दी शिक्षण के लिए एक मानक पाठ्यक्रम बनाया जाए तथा हिन्दी के शिक्षकों को मान्यता प्रदान करने की व्यवस्था की जाए।
  • विश्व हिन्दी सचिवालय के कामकाज को सक्रिय करने एवं उद्देश्य परक बनाने के लिए सचिवालय को भारत तथा मॉरीशस सरकार सभी प्रकार की प्रशासनिक एवं आर्थिक सहायता प्रदान करें और दिल्ली सहित विश्व के चार-पाँच अन्य देशों में इस सचिवालय के क्षेत्रीय कार्यालय खोलने पर विचार किया जाए। सम्मेलन सचिवालय यह आह्वान करता है कि हिन्दी भाषा को लोकप्रिय बनाने के लिए विश्व मंच पर हिन्दी वेबसाइट बनाई जाए।
  • हिन्दी में ज्ञान-विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं तकनीकी विषयों पर सरल एवं उपयोगी हिन्दी पुस्तकों के सृजन को प्रोत्साहित किया जाए। हिन्दी में सूचना प्रौद्योगिकी को लोकप्रिय बनाने के प्रभावी उपाय किए जाएं। एक सर्वमान्य‍ व सर्वत्र उपलब्ध यूनिकोड को विकसित व सर्वसुलभ बनाया जाए।
  • विदेशों में जिन विश्वविद्यालयों तथा स्कूलों में हिन्दी का अध्ययन-अध्यापन होता है उनका एक डेटाबेस बनाया जाए और हिन्दी अध्यापकों की एक सूची भी तैयार की जाए।
  • यह सम्मेलन विश्व के सभी हिन्दी प्रेमियों और विशेष रूप से प्रवासी भारतीयों तथा विदेशों में कार्यरत भारतीय राष्ट्रिकों से भी अनुरोध करता है कि वे विदेशों में हिन्दी भाषा, साहित्य के प्रचार-प्रसार में योगदान करें।
  • वर्धा स्थित महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय में विदेशी हिन्दी विद्वानों के अनुसंधान के लिए शोधवृत्ति की व्यवस्था की जाए।
  • केंद्रीय हिन्दी संस्थान भी विदेशों में हिन्दी के प्रचार-प्रसार व पाठ्यक्रमों के निर्माण में अपना सक्रिय सहयोग दे।
  • विदेशी विश्वविद्यालयों में हिन्दी पीठ की स्थापना पर विचार-विमर्श किया जाए।
  • हिन्दी को साहित्य‍ के साथ-साथ आधुनिक ज्ञान-विज्ञान और वाणिज्य की भाषा बनाया जाए।
  • भारत द्वारा राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तरों पर आयोजित की जाने वाली संगोष्ठियों व सम्मेलनों में हिन्दी को प्रोत्साहित किया जाए।

नौवाँ विश्व हिन्दी सम्मेलन

संपादित करें

22 से 24 सितम्‍बर 2012 को दक्षिण अफ्रीका में आयोजित 9वें विश्‍व हिन्दी सम्‍मेलन ने, जिसमें विश्‍वभर के हिन्दी विद्वानों, साहित्‍यकारों और हिन्दी प्रेमियों आदि ने भाग लिया, रेखांकित किया कि:

  • हिन्दी के बढ़ते हुए वैश्‍वीकरण के मूल में गांधी जी की भाषा दृष्टि का महत्‍वपूर्ण स्‍थान है।
  • मॉरीशस में विश्‍व हिन्दी सचिवालय की स्‍थापना की संकल्‍पना प्रथम विश्‍व हिन्दी सम्‍मेलन के दौरान की गई थी। यह सम्‍मेलन इस सचिवालय की स्‍थापना के लिए भारत और मॉरीशस की सरकारों द्वारा किए गए अथक प्रयासों एवं समर्थन की सराहना करता है।
  • महात्‍मा गांधी अंतरराष्‍ट्रीय हिन्दी विश्‍वविद्यालय भी विश्‍व हिन्दी सम्‍मेलनों में पारित संकल्‍पों का ही परिणाम है। यह विश्‍वविद्यालय हिन्दी के प्रचार-प्रसार और उपयुक्‍त आधुनिक शिक्षण उपकरण विकसित करने में सराहनीय कार्य कर रहा है।
  • सम्‍मेलन केंद्रीय हिन्दी संस्‍थान की भी सराहना करता है कि वह उपयुक्‍त पाठ्यक्रम और कक्षाओं का संचालन करके विदेशियों और देश के गैर हिन्दी भाषी क्षेत्र के लोगों के बीच हिंन्दी का प्रचार-प्रसार कर रहा है।

दसवाँ विश्व हिन्दी सम्मेलन

संपादित करें
 
भोपाल में १०वाँ विश्व हिन्दी सम्मेलन

दसवाँ विश्व हिन्दी सम्मेलन १० सितम्बर से १२ सितम्बर २०१५ तक भोपाल में हुआ। इसका उद्घाटन भारत के प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने किया। सम्मेलन का मुख्य विषय "हिन्दी जगत : विस्तार एवं संभावनाएं " था।

ग्यारहवाँ विश्व हिन्दी सम्मेलन

संपादित करें

११वाँ विश्व हिन्दी सम्मेलन १८-२० अगस्त २०१८ तक मॉरीशस की राजधानी पोर्ट लुई में आयोजित किया जा रहा है[12]। इस सम्मेलन का आयोजन भारत सरकार के विदेश मंत्रालय द्वारा मॉरीशस सरकार के सहयोग से होगा। इस सम्मेलन की योजना का निर्णय सितंबर २०१५ में भोपाल में आयोजित १०वें विश्व हिंदी सम्मेलन में लिया गया था।[13]

  1. "विश्व हिंदी सम्मेलन आज से शुरू, जानें साल 2023 का क्या है थीम". प्रभात खबर.
  2. "जब साथ आए दो प्रधानमन्त्री". विश्व हिन्दी. Archived from the original (एचटीएम) on 15 जुलाई 2007. Retrieved १३ जुलाई २००७. {{cite web}}: Check date values in: |access-date= (help); Cite has empty unknown parameter: |6= (help)
  3. "मॉरीशस के प्रधानमन्त्री थे आयोजक". विश्व हिन्दी. Archived from the original (एचटीएम) on 20 अक्तूबर 2007. Retrieved १३ जुलाई २००७. {{cite web}}: Check date values in: |access-date= and |archive-date= (help); Cite has empty unknown parameter: |6= (help)
  4. "इन्दिराजी का वह ओजस्वी भाषण". विश्व हिन्दी. Archived from the original (एचटीएम) on 20 अक्तूबर 2007. Retrieved १३ जुलाई २००७. {{cite web}}: Check date values in: |access-date= and |archive-date= (help); Cite has empty unknown parameter: |6= (help)
  5. "विश्व हिन्दी सम्मेलन फिर लौटा मॉरीशस". विश्व हिन्दी. Archived from the original (एचटीएम) on 20 अक्तूबर 2007. Retrieved १३ जुलाई २००७. {{cite web}}: Check date values in: |access-date= and |archive-date= (help); Cite has empty unknown parameter: |6= (help)
  6. "सुदूर त्रिनीदाद में प्रवासी भारतीयों के बीच". विश्व हिन्दी. Archived from the original (एचटीएम) on 18 अक्तूबर 2007. Retrieved १३ जुलाई २००७. {{cite web}}: Check date values in: |access-date= and |archive-date= (help); Cite has empty unknown parameter: |6= (help)
  7. "यादगार हुई हिन्दी को राजभाषा बनाये जाने की स्वर्ण जयन्ती". विश्व हिन्दी. Archived from the original (एचटीएम) on 18 अक्तूबर 2007. Retrieved १३ जुलाई २००७. {{cite web}}: Check date values in: |access-date= and |archive-date= (help); Cite has empty unknown parameter: |6= (help)
  8. "इक्कीसवीं सदी का पहला विश्व हिन्दी सम्मेलन". विश्व हिन्दी. Archived from the original (एचटीएम) on 18 अक्तूबर 2007. Retrieved १३ जुलाई २००७. {{cite web}}: Check date values in: |access-date= and |archive-date= (help); Cite has empty unknown parameter: |6= (help)
  9. "विश्व हिन्दी सम्मेलन : संयुक्त राष्ट्र में हिन्दी के लिए अब समयबद्ध कार्रवाई". मेरीखबर.कॉम. Archived from the original (एचटीएम) on 26 सितंबर 2012. Retrieved २५ सितम्बर २०१२. {{cite web}}: Check date values in: |access-date= (help); Cite has empty unknown parameter: |6= (help)
  10. "मॉरीशस में होगा 11वां विश्व हिंदी सम्मेलन". नवभारत टाइम्स. 13 सितम्बर 2015. Archived from the original on 3 जनवरी 2018. Retrieved 17 दिसम्बर 2017. {{cite web}}: Check date values in: |date= (help)
  11. "Vishwa Hindi Sammelan: वैश्विक मंच पर आवाज उठा रहीं औपनिवेशिक युग के दौरान दबाई गई भाषाएं- एस जयशंकर". दैनिक जागरण. Retrieved 16 फरवरी 2023. {{cite news}}: Check date values in: |accessdate= (help)
  12. "18-20 अगस्त तक मॉरीशस में होगा 'विश्व हिंदी सम्मेलन', लोगो और वेबसाइट उद्घाटित". Archived from the original on 13 अप्रैल 2018. Retrieved 13 अप्रैल 2018.
  13. विदेश मंत्रालय, भारत सरकार. "11वां विश्व हिन्दी सम्मेलन : मीडिया लॉंच". Archived from the original on 15 जुलाई 2018. {{cite web}}: Cite has empty unknown parameter: |dead-url= (help)

इन्हें भी देखें

संपादित करें

बाहरी कड़ियाँ

संपादित करें