मैनेजर पाण्डेय
मैनेजर पाण्डेय (जन्म: 23 सितंबर 1941, लोहटी, गोपालगंज, बिहार, निधन: 6 नवंबर 2022, दिल्ली) हिन्दी में मार्क्सवादी आलोचना के प्रमुख हस्ताक्षरों में से एक हैं। उन्हें गम्भीर और विचारोत्तेजक आलोचनात्मक लेखन के लिए पूरे देश में जाना जाता है।[1][2][3]
मैनेजर पाण्डेय | |
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जन्म | 23 सितम्बर 1941 लोहटी, गोपालगंज, बिहार, भारत |
पेशा | हिन्दी आलोचक, विद्वान |
राष्ट्रीयता | भारत |
खिताब | शलाका सम्मान, दिल्ली सरकार द्वारा |
जीवन परिचय
संपादित करेंमैनेजर पाण्डेय का जन्म 23 सितम्बर, 1941 को बिहार प्रान्त के वर्तमान गोपालगंज जनपद के गाँव ‘लोहटी’ में हुआ। उनकी आरम्भिक शिक्षा गाँव में तथा उच्च शिक्षा काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में हुई, जहाँ से उन्होंने एम.ए. और पीएच. डी. की उपाधियाँ प्राप्त कीं।[4][5][6]आजीविका के लिए अध्यापन का मार्ग चुनने वाले मैनेजर पाण्डेय जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के भाषा संस्थान के भारतीय भाषा केन्द्र में हिन्दी के प्रोफेसर रहे हैं। वे जेएनयू में भारतीय भाषा केन्द्र के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। इसके पूर्व पाण्डेय जी बरेली कॉलेज, बरेली और जोधपुर विश्वविद्यालय में भी प्राध्यापक रहे।[7]
लेखन कार्य
संपादित करेंडॉ० मैनेजर पांडेय के मुताबिक, "विचारधारा के बिना आलोचना और साहित्य दिशाहीन होता है। आलोचना में पारिभाषिक शब्दावली का प्रयोग ईमानदारी से होना चाहिए क्योंकि पारिभाषिक शब्द विचार की लम्बी प्रक्रिया से उपजते हैं। ...साहित्य की सामाजिकता की खोज और सार्थकता की पहचान करना ही आलोचना की सबसे बड़ी चुनौती है।"[8] डॉ० मैनेजर पाण्डेय की साहित्यिक समीक्षा जगत में अपनी एक अलग पहचान है। समकालीन साहित्य के साथ भक्तिकाल और रीतिकाल के साहित्य पर पाण्डेय जी ने सर्वथा नवीन दृष्टि से विचार किया हैै और नवीन स्थापनाएँ दीं हैं। जिस रीतिकाल को राग और रंग का साहित्य कहा जाता है वहाँ भी वह समकालीन चेतना के बीज तलाश लेते हैं। रीतिकाल के प्रमुख कवि पद्माकर की कविता में अंग्रेजी साम्राज्यवाद के प्रति जनचेतना को रेखांकित करनेे का सामर्थ्य मैनेजर पाण्डेय ही रखते हैं-
मीनागढ़, बंबई, सुमंद, मंदराज, बंग,
बंदर को बंद कर बंदर बसाओगे।
कहैं पद्माकर कसक कश्मीर हूँ को,
पिंजर सो घेरि के कलिंजर छुड़ाओगे।
बाका नृप दौलत अलीजा महराज कभौ,
साजि दल पकड़ फिरंगिन भगाओगे।
दिल्ली दहपट्टि, पटना हू को झपटि कर,
कबहूँ लत्ता कलकत्ता की उड़ाओगे॥
प्रकाशित पुस्तकें
संपादित करेंपाण्डेय जी गत साढे़ तीन दशकों से हिन्दी आचोलना में सक्रिय हैं। उनकी अब तक प्रकाशित पुस्तकों की सूची इस प्रकार है:
- मौलिक आलोचनात्मक कृतियाँ
- शब्द और कर्म-1981ई० (परिवर्धित संस्करण-1997ई०)
- साहित्य और इतिहास-दृष्टि-1981
- भक्ति आन्दोलन और सूरदास का काव्य -1982 (परिवर्धित संस्करण-1993ई०)
- सूरदास (विनिबंध)-2008
- साहित्य के समाजशास्त्र की भूमिका-1989 (नवीन संस्करण साहित्य और समाजशास्त्रीय दृष्टि नाम से प्रकाशित)
- आलोचना की सामाजिकता-2005
- उपन्यास और लोकतंत्र-2013
- हिंदी कविता का अतीत और वर्तमान -2013
- आलोचना में सहमति-असहमति-2013
- भारतीय समाज में प्रतिरोध की परम्परा-2013
- साहित्य और दलित दृष्टि
- शब्द और साधना
- अनुवाद एवं संचयन
- संकट के बावजूद (मुख्यतः विदेशी लेखकों के कुछ चुनिंदा साक्षात्कारों एवं आलेखों का अनुवाद, चयन और सम्पादन)
- अनभै साँचा (प्रकाशित मौलिक पुस्तकों से चयनित आलेखों एवं दो साक्षात्कारों का संग्रह)
- मैनेजर पांडेय: संकलित निबन्ध-2008
- साक्षात्कार-संवाद
- मेरे साक्षात्कार-1998
- मैं भी मुँह में जुबान रखता हूँ
- संवाद-परिसंवाद-2013
- बतकही
- सम्पादित पुस्तकें
- देश की बात (सखाराम गणेश देउस्कर की प्रसिद्ध बांग्ला पुस्तक ‘देशेर कथा’ के हिन्दी अनुवाद की लम्बी भूमिका के साथ प्रस्तुति)
- मुक्ति की पुकार
- सीवान की कविता
- नागार्जुन: चयनित कविताएँ
- सूर संचयिता
- पराधीनों की विजय यात्रा (छत्तीस पराधीन देशों के स्वतंत्रता आंदोलनों का इतिहास)-2014 [मुंशी नवजादिक लाल श्रीवास्तव की पुस्तक का संपादन एवं प्रस्तुतीकरण]
- आचार्य द्विवेदी की स्मृति में (द्विवेदी अभिनंदन ग्रंथ)-2015
- मुग़ल बादशाहों की हिंदी कविता-2016
- लोकगीतों और गीतों में 1857
- मैनेजर पांडेय के आलोचना कर्म पर केन्द्रित कृतियाँ
- आलोचना का आत्मसंघर्ष-2011, सं०-रवि रंजन
- दूसरी परम्परा का शुक्ल पक्ष- 2016, कमलेश वर्मा, सुचिता वर्मा
- मैनेजर पाण्डेय: एक शिनाख्त- 2021, सम्पादक: डॉ० अर्चना त्रिपाठी और डॉ० मिथिलेश कुमार शुक्ल
सम्मान
संपादित करेंप्रोफेसर मैनेजर पांडेय को आलोचनात्मक लेखन के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है, जिनमें प्रमुख हैं:
- हिन्दी अकादमी, दिल्ली द्वारा 'शलाका सम्मान'[9]
- राष्ट्रीय दिनकर सम्मान
- रामचन्द्र शुक्ल शोध संस्थान, वाराणसी का गोकुल चन्द्र शुक्ल पुरस्कार
- दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा का सुब्रह्मण्य भारती सम्मान[10]
बाहरी कड़ियाँ
संपादित करें- "शब्द और कर्म". books.google.co.in. मूल से 13 दिसंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2017-07-16.
- "SAHITYA AUR ITIHAS DRISHTI". vaniprakashan.in. मूल से 27 अगस्त 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2017-07-16.
- "मैनेजर पांडेय का आलोचना साहित्य". gadyakosh.org. मूल से 7 जून 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2017-07-16.
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "Manager Pandey". rajkamalprakashan.com. मूल से 18 जुलाई 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2017-07-16.
- ↑ "Manager Pandey". hindibook.com. मूल से 13 दिसंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2017-07-16.
- ↑ "75 की उम्र में भी छात्र हैं मैनेजर पांडेय". livehindustan.com. मूल से 14 दिसंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2017-07-17.
- ↑ "मैनेजर पांडेय को मिलेगा हिन्दी अकादेमी का शलाका सम्मान". लाइव हिन्दुस्तान. मूल से 22 अगस्त 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 मार्च 2017.
- ↑ "मैनेजर पाडेय". hindisamay.com. मूल से 12 जून 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2017-07-16.
- ↑ "मैनेजर पाडेय". gadyakosh.com. मूल से 6 जून 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2017-07-16.
- ↑ "Faculty Profile". jnu.ac.in. मूल से 2 मार्च 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2017-07-16.
- ↑ [https://m.bhaskar.com/news/UP-AGRA-manager-pandey-says-banned-love-is-honor-killing-4463127-PHO.html "प्रेम पर पाबंदी है आनर किलिंग - मैनेजर पाण्डेय �"]. दैनिक भास्कर. अभिगमन तिथि 13 दिसंबर 2013.
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में 48 स्थान पर replacement character (मदद)[मृत कड़ियाँ] - ↑ "मैनेजर पांडेय को हिंदी अकादमी का सर्वोच्च सम्मान". indiaview.in. अभिगमन तिथि 2017-07-16.[मृत कड़ियाँ]
- ↑ "प्रसिद्ध वामपंथी आलोचक मैनेजर पांडेय की तसवीर वायरल, गदर के बाद दूसरे वामपंथी धर्म की राह पर". prabhatkhabar.com. मूल से 6 जून 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2017-07-16.