मौलाराम तोमर (1743-1833) हिन्दी के सुप्रसिद्ध कवि और चित्रकार थे।

मई 1658 में जब दाराशिकोह का पुत्र सुलेमान शिकोह औरंगजेब के भय से भागकर गढ़वाल गया तब उसके साथ दो चित्रकारो को भी लाये थे, कुंवर श्यामदास और उनके पुत्र हरदास।

हरदास के पुत्र हीरालाल के पुत्र मंगतराम के पुत्र मोलाराम थे। हिंदी पद्य में 'गढ़वाल राजवंश का इतिहास' लिखा था। जिन्होने अपने चित्रों के साथ कविताएँ भी रचीं। वे संतों, नाथों और सिद्धों से बहुत प्रभावित थे। उनके लिखे 'मन्मथ पंथ' ग्रंथ से यही सिद्ध होता है। मोलाराम के सात हस्तलिखित काव्य ग्रंथ उपलब्ध हुए हैं।

मोलाराम के चित्रो को बैरिस्टर मुकुन्दिलाल ने दुनिया के सामने 1969 रखा। इनका परिवारिक पेेशा सुनार ही था, पर ये चित्रकारी में पारंगत थे। "गढ़राजवंश का इतिहास" इनकी सबसे प्रसिद्ध रचना है। इनके चित्रों का संग्रह आज भी बोस्टन म्यूजियम में संग्रहित है।

बाहरी कड़ियाँ

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