यशोविजय ( 1624 -1688), सत्रहवीं शताब्दी के जैन दार्शनिक-भिक्षु, एक उल्लेखनीय भारतीय दार्शनिक और तर्कशास्त्री थे। वह एक विचारक, विपुल लेखक और भाष्यकार थे, जिनका जैन धर्म पर एक मजबूत और स्थायी प्रभाव था। [1] वे श्वेताम्बर जैनों की तप गच्छ परम्परा से सम्बंधित भिक्षु हरिविजय के वंश में मुनि नयविजय के शिष्य थे। उन्होने मुगल सम्राट अकबर को मांस खाना छोड़ने के लिए प्रभावित किया था। [2] उन्हें सम्मानपूर्वक "महोपाध्याय यशोविजय" या "उपाध्याय यशोविजय" या "गनी यशोविजय" कहा जाता है।

आपने दिगम्बर मान्य निश्चय नय की घोर भर्त्सना की है, परन्तु अपनी रचनाओं में समयसार का खूब अनुसरण किया है।

  • अध्यात्मसार,
  • अध्यात्योपनिषद,
  • आध्यात्मिक मत खंडन,
  • नय रहस्य,
  • नय प्रदीप,
  • नयोपदेश,
  • जैन तर्क परिभाषा,
  • ज्ञान बिन्दु,
  • शास्त्रवार्ता समुच्चय टीका,
  • देवधर्म परीक्षा,
  • यतिलक्षण समुच्चय,
  • गुरुतत्त्व विनिश्चय,
  • अष्टसहस्री-तात्पर्यविवरण,
  • स्याद्वाद मञ्जरी की वृत्ति स्याद्वाद् मञ्जूषा,
  • जय विलास (भाषापद संग्रह),
  • दिग्पट चौरासी (दिगंबरांनाय की मान्यताओं पर आक्षेप) इत्यादि
  1. Dundas, Paul (2004) p.136
  2. Vashi, Ashish (2009-11-23). "Ahmedabad turned Akbar veggie". The Times of India. अभिगमन तिथि 2009-11-23.