रत्नाकर स्वामी
रत्नाकर स्वामी संस्कृत के कवि थे। कश्मीर में अवंतिवर्मा के दरबार में मुक्ताकण, शिवस्वामी और आनंदवर्धन के साथ रत्नाकर का भी नाम लिया जाता है। अवंतिवर्मा का शासनकाल ८५५ से ८८४ ई॰ माना जाता है अत: इनका भी यही काल होना चाहिए।
'ध्वनि गाथा पंजिका', 'वक्रोक्तिपंजाशिका' तथा ५० सर्गोवाले एक बृहत्, आलंकारिका शैली में लिखे गए 'हरविजय' नामक महाकाव्य के लेखक के रूप में इनकी प्रसिद्धि है।
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