किरण
रेडियोएक्टिवता या रेडियोधर्मी विकिरण की प्रकृति सन् 1904 में रदरफोर्ड ने रेडियोधर्मी तत्वों से निकलने वाले विकिरण की प्रकृति का अध्ययन किया, उन्हें कई रोचक परिणाम प्राप्त हुए। उन्होंने पाया कि किसी रेडियोधर्मी पदार्थ से उत्सर्जित होने वाले विकिरण एक समान नहीं होते हैं। रदरफोर्ड ने अपने प्रयोग में लेड के बॉक्स में कुछ रेडियोधर्मी पदार्थ रखा और अपने प्रेक्षणों में उन्होंने पाया कि रेडियोधर्मी पदार्थ से निकलने वाले विकिरण तीन प्रकार के होते है- 1. अल्फा विकिरण 2. बीटा विकिरण 3. गामा विकिरण 1.ऐसे विकिरण जो ऋण इलेक्ट्रोड की ओर झुक गए थे उनको अल्फा विकिरण कहा गया। इन कणों का द्रव्यमान 4 a.m.u. तथा आवेश 2 इकाई धनावेश होता है। दूसरे शबदों में अल्फा कण को द्विधन आवेशित हीलियम नाभिक के रूप में प्रदर्शित किया गया। 2.ऐसे विकिरण जो धन इलेक्ट्रोड की ओर झुक गए थे उन्हें बीटा विकिरण कहा गया। बीटा कणों का द्रव्यमान और आवेश इलेक्ट्रॉन के द्रव्यमान और आवेश के बराबर होता है। 3.ऐसे विकिरण जो किसी भी इलेक्ट्रोड की ओर नहीं झुकते उन्हें गामा विकिरण कहा गया है। ये विकिरण द्रव्य कणों द्वारा निर्मित नहीं होते अपितु ये विद्युत चुंबकीय तरंग होती है। महत्वूर्ण बात- किसी पदार्थ की रेडियोधर्मीता को मेडम क्यूरी के सम्मान में क्यूरी इकाई द्वारा किया जाता है। रेडियोधर्मिता की S.I. इकाई बैकुरल(Bq) होती है।