रसतरंगिणी
रसतरंगिणी (=रस की नदी) , रसशास्त्र का एक ग्रन्थ है जिसकी रचना महामहोपाध्याय सदानन्द शर्मा नें लगभग 200 वर्ष पूर्व की है। इस ग्रंथ के ग्रंथकार नें कुछ द्रव्यों का औषधीय प्रयोग बतलाया है जो अन्यत्र नहीं मिलते हैं।
सन्दर्भ
संपादित करेंइन्हें भी देखें
संपादित करेंबाहरी कड़ियाँ
संपादित करें- रसतरंगिणी (श्री काशीनाथ शास्त्री द्वारा हिन्दी भाषाटीका सहित)
- REVIEW ON RASATARANGINI – AN AUTHORITATIVE TREATISE IN INDIAN ALCHEMY