राखीगढ़ी
राखीगढ़ी हरियाणा के हिसार जिले में सरस्वती तथा दृषद्वती नदियों के शुष्क क्षेत्र में स्थित एक महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थान है।[2] राखीगढ़ी सिन्धु घाटी सभ्यता का भारतीय क्षेत्रों में धोलावीरा के बाद दूसरा विशालतम ऐतिहासिक नगर है। इसकी प्रमुख नदी घग्घर है ।राखीगढ़ी का उत्खनन व्यापक पैमाने पर 1997-1999 ई. के दौरान अमरेन्द्र नाथ द्वारा किया गया। राखीगढ़ी से प्राक्-हड़प्पा एवं परिपक्व हड़प्पा युग इन दोनों कालों के प्रमाण मिले हैं।[3] यहाँ से मातृदेेवी अंकित एक लघु मुद्रा प्राप्त हुई । राखीगढ़ी से महत्त्वपूर्ण स्मारक एवं पुरावशेष प्राप्त हुए हैं, जिनमें दुर्ग-प्राचीर, अन्नागार, स्तम्भयुक्त वीथिका या मण्डप, जिसके पार्श्व में कोठरियाँ भी बनी हुई हैं, ऊँचे चबूतरे पर बनाई गई अग्नि वेदिकाएँ आदि मुख्य हैं।[4],2014 में राखीगढी सबसे बडा स्थान घोषीत हुआ।
राखीगढ़ी | |
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वैकल्पिक नाम | Rakhi Garhi |
स्थान | Haryana, India |
निर्देशांक | 29°17′35″N 76°6′51″E / 29.29306°N 76.11417°Eनिर्देशांक: 29°17′35″N 76°6′51″E / 29.29306°N 76.11417°E |
प्रकार | Settlement |
क्षेत्रफल |
80–105 हेक्टेयर (0.80–1.05 कि॰मी2; 0.31–0.41 वर्ग मील) (Gregory Possehl, Rita P. Wright, Raymond Allchin, Jonathan Mark Kenoyer) |
इतिहास | |
संस्कृति | सिंधु घाटी सभ्यता |
स्थल टिप्पणियां | |
उत्खनन दिनांक | 1963, 1997–2000, 2011-present |
खोज एवं वर्तमान स्थिति
संपादित करें- दुनिया के सबसे बड़े एवं पुराने सिंधु घाटी सभ्यता के स्थलों में एक राखीगढ़ी तेज आर्थिक विकास के उफान के कारण विलुप्ति के कगार पर पहुँच गया है।[5] पुरातत्ववेत्ताओं ने हरियाणा स्थित राखीगढ़ी की खोज 1963 ई. में की थी। विश्व विरासत कोष की मई 2012 रिपोर्ट में 'ख़तरे में एशिया के विरासत स्थल' में 10 स्थानों को चिह्नित किया है। रिपोर्ट में इन 10 स्थानों को 'अपूरणीय क्षति एवं विनाश' के केन्द्र करार दिया गया है। इनमें हरियाणा में स्थित राखीगढ़ी भी है। भारतीय पुरातत्व विभाग ने राखीगढ़ी में खुदाई कर एक पुराने शहर का पता लगाया था और तकरीबन 5000 साल पुरानी कई वस्तुएँ बरामद की थीं।[6] राखीगढ़ी में लोगों के आने जाने के लिए बने हुए मार्ग, जल निकासी की प्रणाली, बारिश का पानी एकत्र करने का विशाल स्थान, कांसा सहित कई धातुओं की वस्तुएँ मिली थीं।
ख़तरे में एशिया के विरासत स्थल
संपादित करेंविश्व विरासत कोष ने इस सूची में ख़तरे में जिन स्थलों को रखा है, उनमें काशगर भी शामिल है, जो चीन के अंतिम रेशम मार्ग स्थलों में है। इसके अलावा अफ़ग़ानिस्तान स्थित मेस आयनाक भी है, जो प्राचीन बौद्ध मठ है। इसमें थाइलैंड में स्थित अयुथ्या, फ़िलीपींस का क़िला सेंटियागो, बांग्लादेश स्थित महाष्टंगण, म्यांमार स्थित म्यूक-यू, कंबोडिया स्थित प्रीह विहियर आदि हैं। विश्व विरासत कोष के कार्यकारी निदेशक जेफ़ मोरगन ने रिपोर्ट पेश करते हुए कहा कि ख़तरे में विरासत के 10 स्थल एशिया में अलग-अलग स्थानों पर हैं। इन स्थानों पर पुरातन विरासत है।
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ Sharma, Rakesh Kumar; Singh, Sukhvir (May 2015). "Harrapan interments at Rakhigarhi" (PDF). International Journal of Informative & Futuristic Research (IJIFR). 2 (9): 3403–3409. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 2347-1697. मूल से 8 जून 2015 को पुरालेखित (PDF). अभिगमन तिथि 11 May 2016.
- ↑ "राखीगढ़ी : एक सभ्यता की संभावना". मूल से 12 जून 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 जून 2018.
- ↑ "No Rakhigarhi migration since Harappan era: Experts". मूल से 17 जून 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 17 जून 2018.
- ↑ "Do Rakhigarhi DNA findings debunk the Aryan invasion theory or give it more credence?". मूल से 17 जून 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 17 जून 2018.
- ↑ "We Are All Harappans Outlook India". मूल से 5 अगस्त 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 5 अगस्त 2018.
- ↑ "Why Hindutva is Out of Steppe with new discoveries about the Indus Valley people". मूल से 24 जनवरी 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 8 सितंबर 2018.