राजमा (व्यंजन)
राजमा: एक स्वादिष्ट और पौष्टिक दाल
राजमा एक डोगरी व्यंजन है[1][2]। यह एक बहुत ही प्रसिद्ध भारतीय व्यंजन है राजमा एक स्वादिष्ट और पौष्टिक दाल है जो भारत, मेक्सिको और दक्षिण अमेरिका में लोकप्रिय है।
यह एक प्रकार की बीन होती है जो आमतौर पर भूरी, लाल या काली होती है। राजमा में प्रोटीन, फाइबर, आयरन और अन्य पोषक तत्वों का अच्छा स्रोत होता है।
भारत में राजमां, को भारतीय मसालों के साथ गाढ़ी ग्रेवी में बनाया जाता है और मुुुुख्य रूप से इसे चावल व रोटी के साथ परोसा जाता है।
यद्यपि राजमा मूलतः भारत की उपज नहीं है, परन्तु वर्तमान में यह उत्तर भारत के नित्य-प्रतिदिन के खान-पान का एक मुख्य व्यंजन बन चुका है। सुप्रसिद्ध व्यंजन होने के कारण अब इसे भारत में विशेष अवसरों पर भी बनाया जाता है।
राजमा का स्वाद और रंग
राजमा का रंग गहरा लाल होता है। यह रंग राजमा में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और फ्लेवोनोइड्स के कारण होता है। ये पदार्थ राजमा को हानिकारक मुक्त कणों से बचाते हैं और इसके स्वाद और रंग को बढ़ाते हैं।
राजमा का स्वाद थोड़ा मीठा और थोड़ा कड़वा होता है। इसका रंग गहरा लाल होता है। राजमा को आमतौर पर उबला जाता है, लेकिन इसे पकाया या भुना भी जा सकता है।
राजमा को अक्सर उबला जाता है, लेकिन इसे पकाया या भुना भी जा सकता है। उबालने से राजमा का रंग हल्का हो जाता है, जबकि पकाने या भूनने से यह और भी गहरा हो जाता है।
राजमा के स्वाद को बढ़ाने के लिए इसे अक्सर मसालों के साथ पकाया जाता है। मसालों के साथ पकाने से राजमा का स्वाद और भी अधिक बढ़ जाता है।
राजमा की उत्पत्ति - राजमा: एक प्राचीन दाल
राजमा एक प्रकार की दाल है जो भारत और दुनिया के अन्य हिस्सों में लोकप्रिय है। यह अपने स्वादिष्ट स्वाद, पौष्टिक गुणों और आसानी से उपलब्धता के लिए जानी जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि राजमा की उत्पत्ति कहाँ हुई थी?
राजमा की उत्पत्ति मध्य अमेरिका में हुई थी। यह लगभग 7,500 साल पहले प्राचीन मेसोअमेरिका में उगाया जाने लगा था। आज, राजमा दुनिया भर में कई देशों में उगाया जाता है, लेकिन भारत में इसका सबसे अधिक उत्पादन होता है।
राजमा को दुनिया भर में कई नामों से जाना जाता है। भारत में इसे राजमा, राजमा बीन्स, किडनी बीन्स के नाम से जाना जाता है राजमा दुनिया भर में कई देशों में उगाया जाता है, लेकिन भारत में इसका सबसे अधिक उत्पादन होता है। यह एक लोकप्रिय दाल है जिसे कई तरह की व्यंजनों में इस्तेमाल किया जा सकता है।
बाहरी कड़ियाँ
संपादित करेंसन्दर्भ
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- ↑ Sākshātkāra. Ma. Pra. Śāsana Sāhitya Parishad. 2009.
- ↑ Brien, Charmaine O' (2013-12-15). The Penguin Food Guide to India (अंग्रेज़ी में). Penguin UK. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-93-5118-575-8.