राजेन्द्र शाह
राजेन्द्र केशवलाल शाह (गुजराती: રાજેન્દ્ર કેશવલાલ શાહ; २८ जनवरी १९१३, कपाड़वनज, भारत - २ जनवरी २०१०) एक गुजराती भाषा के साहित्यकार थे। उन्होंने गुजराती में २० से अधिक काव्य और गीतों के संकलन रचे हैं, ज़्यादातर प्रकृति की सुंदरता और जनजाति और मछुआरों की रोज़मर्रा की ज़िन्दगी के विषयों पर। संस्कृत छंदों में रची उनकी कविताओं पर रविन्द्रनाथ टगोर की कृतियों का गहरा असर रहा है।
राजेन्द्र शाह રાજેન્દ્ર શાહ | |
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जन्म | 28 जनवरी 1913 खेड़ा, ब्रिटिश भारत |
मौत | 2 जनवरी 2010 | (उम्र 96 वर्ष)
पेशा | लेखक |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
काल | १९४७-२००३ |
उल्लेखनीय कामs | शांत कोलाहल विषादने साद |
उनके अनेक पेशों में उन्होंने बम्बई में प्रिंटिंग प्रेस भी चलाया है, जहाँ से उन्होंने कविलोक नाम की कविता पत्रिका छापी। हर रविवार सुबह उनके प्रेस में कवि आया करते थे, जो अपने आप में एक अहम प्रथा बन गयी।
काव्यों के अलावा शाह ने गुजराती में कई अनुवाद भी किए हैं, जिनमें से कुछ : टगोर का कविता संकलन बलाक, जयदेव रचित गीतगोविन्द, अंग्रेज़ी कवि कॉलरिज की द राइम ऑफ़ द एन्शियंट मेरिनर और इटली के दांते की प्रसिद्ध कृति डिवाइन कॉमेडी हैं।
शाह को वर्ष २००१ के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया।[1] निर्णायकों का कहना था, "इनके जज़बातों की तीव्रता और इनके काव्यों के रूप और अभिव्यक्ति में नयापन इन्हें एक ख़ास और मह्त्वपूर्ण कवि बतलाता है। इनकी कविता की आद्यात्मिकता कबीर और नरसी मेहता जैसे मध्यकालीन महान कवियों की परम्परा में है।"
सन्दर्भ
संपादित करेंराजेन्द्र शाह से संबंधित मीडिया विकिमीडिया कॉमंस पर उपलब्ध है। |
- ↑ "गुजराती कवि राजेन्द्र शाह को वर्ष 2001 का ज्ञानपीठ पुरस्कार". नवभारत टाइम्स. नई दिल्ली. वार्ता. १७ जुलाई २००३. अभिगमन तिथि १० जनवरी २०१३.