रामदास गौड़
रामदास गौड़ (1881 - 1937) स्वतंत्रता सेनानी, हिन्दी लेखक तथा विज्ञान परिषद के संस्थापकों में से एक थे। आप 'जीवित विश्वकोश' (लिविंग एन्साइक्लोपीडिया) के नाम से प्रसिद्ध थे। वे हिन्दी में विज्ञान लेखन के अगुवा भी थे।[1]
परिचय
संपादित करेंश्री रामदास गौड़ का जन्म सन् 1881 में जौनपुर में हुआ था। आपकी प्रारंम्भिक शिक्षा जौनपुर व वाराणसी में हुई। 1907 में प्रयाग के म्योर सेन्ट्र्रल कॉलेज से आपने बी0 ए0 की पढाई की। आप सेन्ट्र्रल हिन्दू कॉलेज (बनारस) में रसायन के सहायक अध्यापक रहे। 1908 से 1910 तक कायस्थ पाठशाला प्रयाग में रसायन के अध्यापक रहे। रसायन से एम0 एस0 सी0 करके आप प्रयाग विश्वविद्यालय में रसायन के डिमांस्ट्रेटर भी रहे। 1918 में आप काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में प्रोफेसर रहे परन्तु 1921 में असहयोग आन्दोलन के दौरान नौकरी छोड़ दी। आप कांग्रेस की प्रान्तीय समिति के सदस्य तथा हिन्दी साहित्य सम्मेलन की स्थायी समिति के भी सदस्य रहे। डेढ़ वर्ष तक आप जेल में भी रहे।
रामदास गौड़ दो कार्यों के लिए विशेष रूप से स्मरण किए जाते हैं। उन्होंने 'हिन्दुत्व' नामक ऐसे ग्रंथ की रचना की, जो संभवतः समस्त भारतीय भाषाओं में अद्वितीय रहा है। यह एकमात्र ऐसा ग्रंथ है जो वेद, वेदांग, दर्शन, स्मृति, इतिहास, पुराण, तंत्र, संप्रदाय, पंथ आदि का पूरा और प्रामाणिक परिचय देता है। हिन्दू धर्म के क्रमिक विकास की भी इससे पूरी जानकारी मिलती है।[2] इस ग्रन्थ में 10 खण्ड और 80 अध्याय हैं। 'हिंदुत्व' में आपने कबीर द्वारा रचित ७१ पुस्तकें गिनायी हैं।
हिन्दी में वैज्ञानिक लेखन को प्रोत्साहित करने के लिए 1913 में आपने प्रयाग में विज्ञान परिषद की स्थापना की। 1933-1937 तक आप 'विज्ञान' पत्रिका के संपादक रहे तथा 1915-1916 तक परिषद के प्रधानमंत्री रहे। आपकी 'वैज्ञानिक अद्वैतवाद' पुस्तक भी प्रसिद्ध है। इन्होंने 'रामचरितमानस' के पाठ का सम्पादन भी किया।
आपने 23 पुस्तकें लिखीं तथा 200 से अधिक लेख लिखे। अपने समय में आप वैज्ञानिक-दार्शनिक विषयों के लेखक के रूप में प्रसिद्ध थे। आपने प्रेमचन्द के प्रेमाश्रम की भूमिका के रूप में अनुवचन लिखा था। आपके 'विज्ञान हस्तामलक' को 1936 में मंगला प्रसाद पुरस्कार प्रदान किया गया। 'हस्तामलक' का अर्थ होता है, 'हाथ में लिया हुआ आँवला' अर्थात वह वस्तु या विषय जिसका अंग प्रत्यंग हाथ में लिए हुए आँवले के समान, अच्छी तरह समझ में आ गया हो।
1937 ई. में आपका निधन हो गया।
कृतियाँ
संपादित करें- हिन्दुत्व
- विज्ञान हस्तामलक
- वैज्ञानिक अद्वैतवाद
- रामचरितमानस की भूमिका
बाहरी कड़ियाँ
संपादित करें- अगर आचार्य रामदास की मुहिम चलती रहती तो हिंदी में विज्ञान लेखन की इतनी दुर्गति न होती
- हिंदुत्व (डाउनलोड)
- विज्ञान पत्रिका (सम्पादक: रामदास गौड़ ; सन १९३५ ई)
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ हिन्दी में विज्ञान लेखन के अगुआ रामदास[मृत कड़ियाँ]
- ↑ भारतीय चरित कोश (पृष्ठ ७३२)