रायमल्ल
सन् १४६९ ई. में उदयसिंह महाराणा कुंभा को मारकर मेवाड़ का स्वामी बना। मेवाड़ के सरदारों ने छिपे छिपे इसका विरोध कर उसके छोटे भाई रायमल्ल को राज्य लेने के लिए बुलाया। अनेक लड़ाइयों में उदयसिंह को हराकर रायमल्ल सन् १४७४ में गद्दी पर बैठा। उदयसिंह के उकसाने पर मालवा के सुल्तान गयासुद्दीन ने रायमल्ल पर आक्रमण किया किंतु बुरी तरह से हारा। उसके बाद भी रायमल्ल और मालवा के सुल्तानों की लगातार शत्रुता रही। रायमल्ल ने सोलंकी, झाला आदि अनेक राजवंशियों को शरण देकर अपने राज्य में जागीरें दीं। उसने अनेक पुण्य कार्य भी किए। सन् १५०९ में रायमल्ल की मृत्यु हुई।[उद्धरण चाहिए]