राव मेदा सीहरा 11वीं 12वीं शताब्दी के एक मीणा सरदार थे जो मांच के राजा थे। इनके पिता जी राव नाथू सीहरा बहुत ही बहादुर और स्वाभिमानी मीणा सरदार थे। जब कच्छवाहा राजपूत दूल्हे राय ढूंढाड़ को जीतने के लिए आगे बढ़ रहा था तब उसने मांच पर आक्रमण किया। युद्ध हुआ जिसे माच का द्वितीय युद्ध कहा जाता हैं। जिसमें राव मेदा ने दुल्हे राय को हरा दिया।

जब रात के समय सभी मीणा इकट्ठे होकर जीत का जश्न मना रहे थे, तभी दुल्हे राय ने उन पर हमला कर दिया। उसने धोखाधड़ी से राव राजा मेदा सीहरा को मार दिया। मांच का नाम बदलकर जमवारामगढ़ रख दिया।