राष्ट्रीय अंडा समन्वय समिति

राष्ट्रीय अंडा समन्वय समिति (एनईसीसी या नेक) भारत में 25000 से अधिक किसानों की सदस्यता के साथ कुक्कुट पालन किसानों का संघ है। पिछले दो दशकों में, नेक ने सामान्य रूप से पोल्ट्री उद्योग की बेहतरी के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, और विशेष रूप से अंडा उद्योग की सहायता उन्होंने अपने विभिन्न कार्यक्रमों जैसे बाजार हस्तक्षेप, मूल्य समर्थन अभियान, अंडा संवर्धन अभियान, उपभोक्ता शिक्षा, बाजार अनुसंधान के माध्यम से, ग्रामीण बाजार विकास और उद्योग से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दों पर सरकार के साथ संपर्क के माध्यम से किया है।

राष्ट्रीय अंडा समन्वय समिति
स्थापना मई 1982
अध्यक्ष डॉ. बंदा वासुदेव राव
स्थान , भारत
जालस्थल www.e2necc.com

1980 की शुरुआत में भारतीय पोल्ट्री उद्योग को संकटों की एक असामान्य श्रृंखला का सामना करना पड़ा, क्योंकि बिक्री मूल्य उत्पादन लागत से कम हो गया था। कई कुक्कुट किसानों ने भारी नुकसान के परिणामस्वरूप इसके पालन कार्य को बंद कर दिया। डॉ. बी.वी. राव और चौ. जगपति राव के प्रेरणा से किसानों के एक समूह ने देश भर में यात्रा की और समूहों, व्यक्तियों और व्यापारियों के साथ 300 से अधिक बैठकों का आयोजन किया। उनका उद्देश्य पूरे भारत के पोल्ट्री किसानों को एकजुट करना और अपने भाग्य को नियंत्रित करना था। मई 1982 में, नेक को औपचारिक रूप से भारतीय सोसायटी पंजीकरण अधिनियम के तहत एक ट्रस्ट के रूप में पंजीकृत किया गया, और 14 मई, 1982 को नेक ने अंडे की कीमतें घोषित करना शुरू किया।[1]

उद्देश्य

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नेक के भारतीय अंडा उद्योग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए विशाल उद्देश्य हैं जो मुख्य रूप से अंडे की कीमत पर ध्यान केंद्रित करते हैं। अपने मूल उद्देश्य को पूरा करने के बाद नेक ने अपनी गतिविधियों का दायरा बढ़ाते हुए कई अन्य लक्ष्य हासिल करने के लिए प्रतिबध्द है।[2]

  • ग्राहक के लिए उचित मूल्य के आधार पर, बिचौलिया के लिए उचित मार्जिन और किसान को उचित मुनाफा, यह अंडे की कीमत की घोषणा करता है।[3]
  • निगरानी, प्रबंध, शेयरों को अधिशेष से घाटे वाले क्षेत्रों में विनियमित करना।
  • एग्रोकॉर्पेक्स इंडिया लिमिटेड के माध्यम से बाजार में हस्तक्षेप।
  • बाज़ारियों का एक भरोसेमंद और करीबी संजाल होना जो उत्पादों को बेचने के लिए मल्टी लेवल मार्केटिंग का उपयोग करता है।
  • अंडा व्यापार, अंडे के फार्म, अंडे के निर्यात को बढ़ावा देना।
  • अंडे के बढ़े हुए उत्पादन के लिए तकनीक और जानकारी उपलब्ध कराना।

नेक ने न केवल देश के कुक्कुट किसानों को उनके उत्पाद का बेहतर मूल्य प्रदान किए हैं बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर उनके हितों का भी ध्यान रखा है। अंडे की कीमतें तय करने के अलावा, यह बाजार के हस्तक्षेप, मूल्य-समर्थन संचालन, अंडे के प्रचार अभियान और उपभोक्ता शिक्षा में भी मदद करता है। नेक टीवी विज्ञापनों की श्रृंखला ने राष्ट्र की कल्पना को पकड़ा था और इसकी सफलता वास्तव में महसूस हुई जब अंडे की खपत में काफी वृद्धि हुई और इससे देश भर के किसानों को फायदा हुआ। जिसमें से एक जिंगल "संडे हो या मंडे, रोज खाओ अंडे" बहुत प्रशिध्द हुआ था।[4]

  1. "The Beginning". National Egg coordination Committee. मूल से 23 अक्तूबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि December 11, 2012.
  2. "Objectives : Aiming high and how are they achieved". National Egg coordination Committee. मूल से 23 अक्तूबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 11 December 2012.
  3. "NECC fixes minimum wholesale price for egg". The Hindu. अभिगमन तिथि 11 December 2012.
  4. "Roz khao ande: When a pro-egg campaign was a hit with Indian vegetarians". theprint.in. द प्रिन्ट. मूल से 15 अक्तूबर 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 अक्टूबर 2019.