खगोलशास्त्र में रिक्तियाँ गैलेक्सियों के रेशों के बीच के ख़ाली स्थान होते हैं जिनमें या तो गैलेक्सियाँ होती ही नहीं या बहुत कम घनत्व में मिलती हैं। इनकी खोज सब से पहले सन् १९७८ में की गयी थी।[1] रिक्तियाँ आम तौर से ३ से ५० करोड़ प्रकाश-वर्ष का व्यास (डायामीटर) रखती हैं। किसी बहुत बड़ी अकार की रिक्ति को महारिक्ति कहा जाता है।

पृथ्वी के इर्द-गिर्द एक अरब प्रकाश-वर्ष का इलाक़ा जिसमें रेशे, महागुच्छे और रिक्तियाँ देखे जा सकते हैं

अन्य भाषाओँ में संपादित करें

अंग्रेज़ी में "गैलेक्सियों के रेशों" को "गैलॅक्सी फ़िलामॅन्ट" (galaxy filament), "रिक्तियों" को "वोइड" (void), "महारिक्तियों" को "सुपरवोइड" (supervoid) और "महागुच्छों" को "सुपरक्लस्टर" (supercluster) कहते हैं। "महान दीवारों" को "ग्रेट वाल" (great wall) कहते हैं।

इन्हें भी देखें संपादित करें

सन्दर्भ संपादित करें

  1. Freedman, R.A., & Kaufmann III, W.J. (2008). Stars and galaxies: Universe. New York City: W.H. Freeman and Company.