रितु मेनन
रितु मेनन एक भारतीय नारीवादी और वामपंथी लेखिका तथा प्रकाशक हैं। उन्होने 1984 में उर्वशी बुटालिया के साथ मिलकर भारत की पहली फेमिनिस्ट पब्लिशिंग हाउस की सह स्थापना की। यह संस्था लंबे समय तक महिला अधिकारों के लिए संघर्षरत रही हैं। वर्ष 2003 में मेनन और बुटालिया के बीच कट्टर विरोधी व्यक्तिगत मतभेदों के फलस्वरूप यह संस्था बंद हो गयी और उसके बाद मेनन ने स्वतंत्र रूप से महिलाओं के असीमित अधिकारों के आलोक में एक और नारीवादी पब्लिशिंग हाउस की स्थापना की। उन्होने विभिन्न समाचार पत्रों में अपने लेखों के माध्यम से महिलाओं के खिलाफ हिंसा तथा धर्म की आड़ में महिलाओं के अधिकार हनन के साथ-साथ समाज में लिंग विभाजन पर खुलकर अपनी आवाज़ बुलंद की हैं।[1]
रितु मेनन | |
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राष्ट्रीयता | भारतीय |
पेशा | प्रकाशक और लेखिका |
वर्ष-2011 में साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान हेतु उन्हें उर्वशी बुटालिया के साथ पद्मश्री प्रदान किया गया।[2]
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "Ritu Menon" [रितु मेनन] (अंग्रेज़ी में). दि कनेडी सेंटर. मूल से 14 जुलाई 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 11 जुलाई 2014.
- ↑ "देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म सम्मानों की घोषणा". पत्र सूचना कार्यालय, भारत सरकार. 25 जनवरी 2011. मूल से 5 मार्च 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 11 जुलाई 2014.
बाहरी कड़ियाँ
संपादित करें- रितु मेनन, महिला असीमित बारे में(अँग्रेजी में)
- रितु मेनन, महिला विश्व के बारे में(अँग्रेजी में)