रूप कंवर
रूपकुवर्बा कंवर (1969 – 4 सितम्बर 1987) भारतीय राजपूत महिला थीं, जिन्होंने भारत के राजस्थान के सीकर जिले के दिवराला गांव में स्वयं को सती करने को मजबूर किया। सती प्रथा एक ऐसी प्रथा है जिसमें महिला स्वयं का आत्मदाह कर लेती हैं।[1][2][3][4] सती होने के समय वो 18 वर्ष की थी और आठ महीने पहले ही माल सिंह शेखावत के साथ उसका विवाह हुआ था। 3 सितम्बर 1987 को (सती होने से एक दिन पहले) ही उनके पति की 24 वर्ष की आयु में मृत्यु हो गई थी और उनकी कोई संतान नहीं थी।[5]
रूपकुवर्बा कंवर | |
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जन्म |
1969 कुकनवाली नागौर |
मौत |
4 सितम्बर 1987 (आयु 18 वर्ष) दिवराला, सीकर जिला, राजस्थान, भारत |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
प्रसिद्धि का कारण | सती |
जीवनसाथी | माल सिंह |
निधन
संपादित करेंरूप कंवर को उनके पति की चिता पर जिंदा जला दिया गया था।[1] इसमें हजारों लोगों ने भाग लिया। उनकी मृत्यु के बाद, रूप कंवर को सती माता (या शुद्ध माँ) के रूप में सम्मानित किया गया। इस मौत से देश के विभिन्न हिस्सों में सार्वजनिक रूप से आक्रोश उत्पन्न होने लगा। इस तरह की घटनाओं पर रोकथाम के लिए पहले राज्य स्तर पर रोक लगाने के लिए कानूनी तैयारियाँ आरम्भ हुई। इसके बाद केन्द्र सरकार ने भी सती (रोकथाम) अधिनियम आयोग का गठन किया।[6]
समाचार रिपोर्ट
संपादित करेंप्रारम्भिक आधिकरिक रिकॉर्ड और प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार रूपकंवर ने सती होने क निर्णय स्वैच्छिक था, इसके गवाह के रूप में दोस्त, परिवारजन और ग्रामीण लोग थे।[7][8] कुछ समाचार रिपोर्टों का दावा है कि कंवर को वहाँ उपस्थित अन्य लोगों ने मौत चुनने के लिए मजबूर किया था।[5]
आरोप पत्र
संपादित करेंशुरूआती पूछताछ के आधार पर 45 लोगों पर उनकी मृत्यु का आरोप लगाया गया। सन् 2019 तक इनमें से 25 लोगों को नवंबर 2004 में बरी कर दिया गया था। छः लोग अब जीवित नहीं हैं और पांच को भगोड़ा घोषित किया गया था। नौ लोग मुकदमे का सामना कर रहे हैं।[2] बाद में विस्तृत जाँच होने के कारण कार्यक्रम में भाग लेने वाले दिवराला गांव के बड़ी संख्या में लोगों की गिरफ्तारी हुई। ऐसा कहा जाता है कि रूप कंवर के ससुर सुमेर सिंह और तीन अन्य रिश्तेदारों पर हत्या और आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप लगे।[1]
आखिरकार राज्य के राजनेताओं सहित 11 लोगों पर सती के महिमामंडन का आरोप लगा। 31 जनवरी 2004 को जयपुर की एक विशेष अदालत ने मामले के सभी 11 आरोपियों को बरी कर दिया।[9] अन्य 8 लोगों को भी सबूतों के अभाव में बरी कर दिया।[10]
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ अ आ इ "Rajasthan: Roop Kanwar forced Sati case in final stage" [राजस्थान: रूप कंवर को सती करने का मामला अंतिम चरण में]. द न्यू इंडियन एक्सप्रेस (अंग्रेज़ी में). 2019-09-05. अभिगमन तिथि 2024-01-24.
- ↑ अ आ "In Rajasthan's sati village, Roop Kanwar still burns bright" [राजस्थान के सती गांव में आज भी जलती है रूप कंवर की ज्योति]. द टाइम्स ऑफ़ इंडिया (अंग्रेज़ी में). 2019-09-05. अभिगमन तिथि 2024-01-24.
- ↑ वोज़ोला, एलिजाबेथ सी॰ (2014-01-23). Moral Development: Theory and Applications [नैतिक विकास: सिद्धांत और अनुप्रयोग] (अंग्रेज़ी में). रूटलेज. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-1-317-97507-6.
- ↑ फिशर-टिन, हेराल्ड; मान, माइकल (2004). Colonialism as Civilizing Mission: Cultural Ideology in British India [सभ्यता मिशन के रूप में उपनिवेशवाद: ब्रिटिश भारत में सांस्कृतिक विचारधारा] (अंग्रेज़ी में). एंथम प्रेस. पृ॰ 72. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-1-84331-092-1.
- ↑ अ आ "India Seizes Four After Immolation" [भारत ने आत्मदाह के बाद चार लोगों को हिरासत में लिया]. न्यूयॉर्क टाइम्स (अंग्रेज़ी में). 20 सितम्बर 1987. अभिगमन तिथि 31 मई 2008.
- ↑ "The Commission of Sati (Prevention) Act, 1987" [सती प्रथा (रोकथाम) अधिनियम, 1987] (अंग्रेज़ी में). महिला एवं बाल विकास मंत्रालय. मूल से 21 नवम्बर 2006 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 दिसम्बर 2006.
- ↑ "Roop Kanwar's sati greeted with shock across India, Deorala became a place of worship" [रूप कंवर की सती प्रथा का पूरे भारत में हुआ स्वागत, देवराला बना पूजा स्थल]. इंडिया टुडे (अंग्रेज़ी में). 15 अक्टूबर 1987. अभिगमन तिथि 2023-10-28.
- ↑ बार्टन, स्टीफन (2003-04-01). Holiness: Past and Present [पवित्रता: अतीत और वर्तमान] (अंग्रेज़ी में). ब्लूम्सबरी प्रकाशन. पृ॰ 425. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-567-54540-4.
- ↑ "Frontline, 2004". मूल से 10 अक्टूबर 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 जुलाई 2007.
- ↑ "रूपकंवर सती कांड: वो मामला जिसने राजस्थान की राजनीति को हिला दिया था". बीबीसी हिन्दी. 2024-10-11. अभिगमन तिथि 2024-10-11.