रेलू राम पूनियां
रेलू राम पूनिया भारत के प्रांत हरियाणा के बरवाला विधानसभा से पूर्व विधायक (१९९६) थे, उनका जन्म गांव प्रभुवाला में जाट परिवार में हुआ था। वह एक समाजसेवी थे।
रेलू राम पूनिया
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कार्यकाल 22 मई 1996 – 14 दिसंबर 1999 | |
पूर्व अधिकारी | जोगिंदर सिंह |
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उत्तराधिकारी | जय प्रकाश |
निर्वाचन क्षेत्र | बरवाला से हरियाणा विधानसभा में |
जन्म | 4 अप्रैल 1952 [1] प्रभुवाला, हिसार, हरियाणा |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
राजनैतिक पार्टी | निर्दलीय |
जीवन संगी | कृष्णा देवी |
संतान | सुनील (बेटा), सोनिया, प्रियंका (बेटियां) |
व्यवसाय | राजनेता |
धर्म | हिंदू |
पूर्व जीवन
संपादित करेंरेलू राम पूनिया गांव प्रभुवाला के रहने वाले थे। कई सालो तक फरीदाबाद में काले तेल का व्यापर करने के बाद वे १९८९ में गांव में रहने लगे तो गांव वालो ने उन्हें सर्वसमति से १९९० में गांव का सरपँच बना दिया। वह समाजसेवी थे इसलिए १९९५ में निर्दलीय बरवाला से विधायक बन गए। विधायक बने तो अक्सर कहते थे कि जद भी मेरी जरूरत हो कदे भी आ जाइयो कीकर नीचै बैठ्या मिलूंगा। और हुआ भी ऐसा ही जब हलके के लोग उनसे मिलने के लिए जाते थे तब रेलू राम पूनिया अपनी कोठी के बाहर लितानी मार्ग पर कीकर के नीचे बैठे मिलते थे। क्षेत्र के लोगों को अब भी वे दिन याद हैं जब हाइवे से लितानी के लिए साधन कम थे व लोग पैदल ही जाते थे। तब लोग रेलू राम द्वारा कीकर के नीचे ठंडे पानी से भरे मटकों का पानी अवश्य पीते थे। यहीं नहीं वे स्वयं लोगों से चाय आदि के लिए भी पूछते थे और पिलाते थे। यहां चंदा लेने गया कोई खाली हाथ नहीं लौटा रेलू राम पूनिया जब दोबारा से यहां आकर रहने लगे उसके बाद दानी लोगों में उनका नाम शायद सबसे ऊपर था। क्षेत्र के लोगों के साथ-साथ बाहर के लोग भी उनके पास आर्थिक सहायता लेने के लिए आते थे।
सरकार की कन्या दान योजना के लाभ से पहले ही वे इस ओर दिल खोलकर मदद करते थे। क्षेत्र के लोग बताते हैं उन्होंने अपनी बलबूते पर ही कई कन्याओं का विवाह करने में परिवार की आर्थिक सहायता की थी व सैकड़ों गरीब लोग अपनी बेटी की शादी में उनसे मदद ले चुके हैं। पूनिया ने कभी किसी को खाली हाथ नहीं लौटाया। सामाजिक व धार्मिक संस्थाओं को भी धन देने में उन्होंने कमी नहीं छोड़ी। बरवाला क्षेत्र में जब 1995 में बाढ़ आई तो उन्होंने बाढ़ पीडि़त लोगों की मदद की। क्षेत्र के लोग बताते हैं कि वे बाढ़ के पानी में से निकलते हुए पीडि़तों के लिए अनाज व अन्य सामग्री पहुंचाने के लिए पहुंच जाते थे। इस काम में उनके फोर्ड ट्रैक्टर के टायर भी घिस गए थे। वह ट्रैक्टर आज भी पूनिया की कोठी पर मौजूद है। लोगों की सेवा करते हुए ही उन्होंने बरवाला हलके से निर्दलीय प्रत्याशी होते हुए चुनाव में जीत दर्ज की थी।
23 अगस्त 2001, सोनिया ने अपने पति संजीव के साथ मिलकर पिता रेलू राम, मां कृष्णा, बहन प्रियंका, सौतेले भाई सुनील, उसकी पत्नी शकुंतला और उनके तीन बच्चों लोकेश (4), शिवानी(2) व प्रीति महज 45 दिन की हत्या कर दी थी।