रोकोत्तस बोलने वाले लोग

रोकोटा भाषा: एक अद्वितीय भाषाई धरोहर

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रोकोटा भाषा, जिसे कभी-कभी "रोकोटा" या "रोकोट" के नाम से जाना जाता है, एक अद्वितीय और महत्वपूर्ण भाषा है जो भारतीय उपमहाद्वीप के कुछ क्षेत्रों में बोली जाती है। यह भाषा विशेष रूप से छत्तीसगढ़ राज्य के कुछ जनजातीय समुदायों द्वारा उपयोग की जाती है। इस लेख में, हम रोकोटा भाषा के इतिहास, संरचना, वर्तमान स्थिति और इसके संरक्षण के प्रयासों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।[1]

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

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उत्पत्ति और विकास

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रोकोटा भाषा का इतिहास प्राचीन काल से जुड़ा हुआ है। यह माना जाता है कि इस भाषा की जड़ें भारतीय उपमहाद्वीप की प्राचीन भाषाओं में हैं। हालांकि, इसकी उत्पत्ति के बारे में स्पष्ट जानकारी उपलब्ध नहीं है, लेकिन यह निश्चित रूप से उन जनजातीय समुदायों की सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा रही है जो इसे बोलते हैं।रोकोटा भाषा का उपयोग मुख्यतः आदिवासी क्षेत्रों में होता है, जहाँ यह समुदाय की सांस्कृतिक और सामाजिक पहचान को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

भाषाई वर्गीकरण

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रोकोटा भाषा को द्रविड़ भाषा परिवार का हिस्सा माना जाता है। यह अन्य द्रविड़ भाषाओं जैसे कि तेलुगु, तमिल और कन्नड़ से भिन्नता रखती है। हालांकि, इसकी अपनी विशेषताएँ हैं जो इसे अन्य भाषाओं से अलग बनाती हैं।

व्याकरणिक संरचना

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रोकोटा भाषा की व्याकरणिक संरचना अन्य द्रविड़ भाषाओं के समान है, लेकिन इसमें कुछ विशिष्टताएँ भी हैं। यह एक सक्रिय-स्थैतिक (active-stative) प्रणाली का अनुसरण करती है। [2]

शब्दावली और उच्चारण

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रोकोटा की शब्दावली में स्थानीय तत्वों, जानवरों और दैनिक जीवन से संबंधित शब्द शामिल हैं। इसमें कई विशेष ध्वनियाँ होती हैं जो इसे अन्य भाषाओं से भिन्न बनाती हैं। उदाहरण के लिए:

  • "मां" का अर्थ "माँ" होता है।
  • "जंगल" का अर्थ "वन" होता है।

वर्तमान स्थिति

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जनसंख्या और उपयोग

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वर्तमान में रोकोटा भाषा लगभग 50,000 लोगों द्वारा बोली जाती है। यह संख्या पिछले कुछ वर्षों में स्थिर रही है, लेकिन इसे खतरे में डालने वाले कारक भी मौजूद हैं, जैसे कि शिक्षा प्रणाली में हिंदी और अंग्रेजी का बढ़ता प्रभाव।

आधिकारिक स्थिति

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रोकोटा को भारतीय संविधान के तहत मान्यता प्राप्त नहीं है, और इसे आधिकारिक भाषा का दर्जा नहीं मिला है। इसके कारण, यह भाषा धीरे-धीरे विलुप्त होने के खतरे में है।

संरक्षण के प्रयास

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शिक्षा और साहित्य

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रोकोटा भाषा के संरक्षण के लिए विभिन्न प्रयास किए जा रहे हैं। कुछ गैर-सरकारी संगठन स्थानीय समुदायों में जागरूकता बढ़ाने के लिए कार्यक्रम चला रहे हैं। इसके अलावा, स्कूलों में इस भाषा को पढ़ाने की कोशिशें हो रही हैं ताकि युवा पीढ़ी इसे सीख सके।

सांस्कृतिक कार्यक्रम

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स्थानीय समुदायों द्वारा विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है ताकि युवा पीढ़ी को इस अद्वितीय भाषा और संस्कृति से जोड़ा जा सके। इसके अंतर्गत संगीत, नृत्य और लोककथाएँ शामिल हैं।

निष्कर्ष

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रोकोटा भाषा केवल एक संचार का माध्यम नहीं है; यह उस समुदाय की संस्कृति, पहचान और इतिहास का अभिन्न हिस्सा भी है। जब हम ऐसी भाषाओं के विलुप्त होने की कहानी सुनते हैं, तो यह हमें हमारी सांस्कृतिक विविधता और धरोहर की रक्षा करने की आवश्यकता की याद दिलाता है।रोकोटा जैसी भाषाओं का संरक्षण न केवल भाषाई दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह उन समुदायों की पहचान और संस्कृति को भी बनाए रखने में सहायक होता है जो इन भाषाओं का उपयोग करते थे। इसलिए हमें रोकोटा जैसी विलुप्त होती भाषाओं के प्रति जागरूक रहना चाहिए और उनके संरक्षण के लिए सक्रिय कदम उठाने चाहिए।इस प्रकार, रोकोटा भाषा न केवल एक अद्वितीय भाषाई धरोहर है बल्कि यह मानवता की सांस्कृतिक विविधता का प्रतीक भी है। हमें इसे बचाने के लिए प्रयासरत रहना चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ियाँ भी इस अद्भुत भाषा और इसकी समृद्ध संस्कृति को जान सकें।

  1. "Rotokas alphabet, prounciation and language". www.omniglot.com. अभिगमन तिथि 2024-12-16.
  2. "Rare language spotlight: Rotokas – The Language Shop" (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2024-12-16.