लक्ष्मण मन्दिर, खजुराहो

पंचायतन शैली का यह सांघार प्रसाद, विष्णु को समर्पित है। बलुवे पत्थर से निर्मित, भव्य: मनोहारी और पूर्ण विकसित खजुराहो शैली के मंदिरों में यह प्राचीनतम है।

लक्ष्मण मन्दिर, खजुराहो
Lakshmana temple at Khajuraho
खजुराहो में लक्ष्मण मंदिर
धर्म संबंधी जानकारी
सम्बद्धताहिन्दू धर्म
देवताVaikuntha Vishnu[1]
अवस्थिति जानकारी
अवस्थितिKhajuraho[1]
ज़िलाChattarpur, Khajuraho[1]
राज्यMadhya Pradesh
देशIndia
लक्ष्मण मन्दिर, खजुराहो is located in मध्य प्रदेश
लक्ष्मण मन्दिर, खजुराहो
Location in Madhya Pradesh
लक्ष्मण मन्दिर, खजुराहो is located in भारत
लक्ष्मण मन्दिर, खजुराहो
लक्ष्मण मन्दिर, खजुराहो (भारत)
भौगोलिक निर्देशांक24°51′7.7″N 79°55′18.1″E / 24.852139°N 79.921694°E / 24.852139; 79.921694निर्देशांक: 24°51′7.7″N 79°55′18.1″E / 24.852139°N 79.921694°E / 24.852139; 79.921694
वास्तु विवरण
निर्माताYashovarman,[1] (Chandella Ruler)
निर्माण पूर्णल. 930 CE[1]
मंदिर संख्या1 (+4 small temples on corners)
९८' लंबे और ४५' चौड़े मंदिर के अधिष्ठान की जगती के चारों कोनों पर चार खूंटरा मंदिर बने हुए हैं। इसके ठीक सामने विष्णु के वाहन गरुड़ के लिए एक मंदिर था। गरुड़ की प्रतिमा अब लुप्त हो गयी है। वर्तमान में इस छोटे से मंदिर को देवी मंदिर के नाम से जाना जाता है। लक्ष्मण मंदिर से ही प्राप्त एक अभिलेख से पता चलता है कि चन्देल वंश की सातवीं पीढ़ी में हुए यशोवर्मण (लक्षवर्मा) ने अपनी मृत्यु से पहले खजुराहो में बैकुंठ विष्णु का एक भव्य मंदिर बनवाया था। इससे यह पता चलता है कि यह मंदिर ९३०- ९५० के मध्य बना होगा, क्योंकि राजा लक्षवर्मा ने ९५४ में मृत्यु पायी थी। इसके शिल्प और वास्तु की विलक्षणताओं से भी यही तिथि उपयुक्त प्रतीत होती है। यह अलग बात है कि यह मंदिर विष्णु के बैकुंठ रूप को समर्पित है, लेकिन नामांकरण मंदिर निर्माता यशोवर्मा के उपनाम लक्षवर्मा के आधार पर हुआ है।

शिल्प और वास्तु की दृष्टि से लक्ष्मण मंदिर खजुराहो के परिष्कृत मंदिरों में सर्वोत्कृष्ट है। इसके अर्द्धमंडप, मंडप और महामंडप की छतें स्तुपाकार हैं, जिसमें शिखरों का अभाव है। इस मंदिर- छतों की विशेषताएँ सबसे अलग है। कुछ विशेषताएँ निम्नलिखित हैं :-

  1. . इसके मंडप और महामंडप की छतों के पीढ़े खपरों की छाजन के समान है,
  2. . महामंडप की छत के पीढ़ो के सिरों का अलंकरण अंजलिबद्ध नागों की लघु आकृतियों से किया गया है।
  3. . मंडप की छत पर लटकी हुई पत्रावली के साथ कलश का किरिट है।
  4. . इस मंदिर के मंडप और महामंडप की छतें स्तूपाकार है।
  5. . मंदिर के महामंडप में स्तंभों के ऊपर अलंवन बाहुओं के रूप में अप्सराएँ शिल्प कला की अनुपम कृतियाँ हैं।

इस मंदिर की मूर्तियों की तरंगायित शोभा गुप्ताशैली से प्रभावित है। मंदिर के कुछ स्तंभों पर बेलबूटों का उत्कृष्ट अलंकन है। मंदिर के मकर तोरण में योद्धाओं को बड़ी कुशलता से अंकित किया गया है। खजुराहो के मंदिरों से अलग, इस देव प्रासाद की कुछ दिग्पाल प्रतिमाएँ द्विभुजी है और गर्भगृह के द्वार उत्तीर्ण कमलपात्रों से अलंकृत किया गया है।

  • इस मंदिर के प्रवेश द्वार के सिरदल एक दूसरे के ऊपर दो स्थूल सज्जापट्टियाँ हैं।
  • निचली सज्जापट्टी के केन्द्र में लक्ष्मी की प्रतिमा है।
  • इसके दोनों सिरों के एक ओर ब्राह्मण तथा दूसरी ओर शिव की प्रतिमा अंकित की गयी है।
  • इसमें राहू की बड़ी- बड़ी मूर्तियाँ स्थापित हैं।
  • द्वार शाखाओं पर विष्णु के विभिन्न अवतारों का अंकन हुआ है।
  • गर्भगृह में विष्णु की त्रिमुख मूर्ति प्रतिष्ठित है।

मंदिर के जंघा में अन्य मंदिरों की तरह एक- दूसरे के समानांतर मूर्तियों दो बंध है। इनमें देवी- देवताओं, शार्दूल और सुर- सुंदरियों की चित्ताकर्षक तथा लुभावनी मूर्तियाँ हैं। मंदिर की जगती पर मनोरंजक और गतिशील दृश्य अंकित किया है। इन दृश्यों में आखेट, युद्ध के दृश्य, हाथी, घोड़ा और पैदल सैनिकों के जुलूस, अनेक परिवारिक दृश्यों का अंकन मिलता है।

चित्रदीर्घा संपादित करें

सन्दर्भ संपादित करें

  1. "Archaeological Survey of India (ASI) - Lakshmana Temple". Archaeological Survey of India (ASI). अभिगमन तिथि 21 मार्च 2012.