लल्लू बाजपेई एक भारतीय लोक गायक व लोक कलाकार थे। उन्होने न सिर्फ़ उत्तर प्रदेश में बल्कि देश के कई अलग अलग भागों में भारतीय लोकगीत आल्हा को अपने विशेष गायन शैली से प्रचलित कराया। उनका आल्हा गायन लखनऊ दूरदर्शन के चौपाल कार्यक्रम में अक्सर आया करता था। वे एक ओर तो अपने जोशीले गायन के लिए जाने जाते थे, दूसरी ओर तलवार और मूँछों के लिए। आल्हा गाते हुए वे अपने हाथ में एक तलवार रखते थे और गाते-गाते उसे भाँजते रहते थे। दुबले-पतले शरीर पर खूब बड़ी-बड़ी मूँछें उन्हें एक अलग व्यक्तित्व प्रदान करती थीं।[1]

लल्लू उन्नाव जिले के नारायणदासखेड़ा गाँव के रहने वाले थे, 2 मई 2013 को उनकी मृत्यु हुयी है। उनका असली नाम पं. चन्द्रनाथ था। पर लोग उन्हें लल्लू बाजपेयी नारायण दास खेड़ा के नाम से जानते थे। उन्होने लोक गायकी को एक प्रदर्शनकारी कला के रूप में विख्यात किया है।[2]

  1. "लल्लू बाजपेई का आल्हा". मूल से 9 अगस्त 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 अगस्त 2017.
  2. "आल्हा गाकर दी श्रद्धांजलि". मूल से 9 अगस्त 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 अगस्त 2017.(अमर उजाला)

बाहरी कड़ियाँ

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