लिपुलेख ला
लिपुलेख ला (Lipulekh Pass) या लिपुलेख दर्रा या लिपुलेक भञ्ज्याङ हिमालय का एक पहाड़ी दर्रा है। यह भारत के उत्तराखण्ड राज्य के पिथौरागढ़ ज़िले और चीन द्वारा नियंत्रित तिब्बत के न्गारी विभाग के बीच हिमालय में स्थित है। यह भारत के कुमाऊँ क्षेत्र को तिब्बत के बालाकोट (पुरंग) शहर से जोड़ता है। यह प्राचीनकाल से व्यापारियों और तीर्थयात्रियों द्वारा भारत और तिब्बत के बीच आने-जाने के लिये प्रयोग किया जा रहा है। यह दर्रा भारत से कैलाश पर्वत व मानसरोवर जाने वाले यात्रियों द्वारा विशेष रूप से इस्तेमाल होता है।[1] यह नेपाल की सीमा के समीप भी स्थित है और नेपाल इस क्षेत्र को अपना होने का दावा करता है। नेपाल के अनुसार यह दार्चुला ज़िले की ब्यास गाँउपालिका में है।[2][3]
लिपुलेख ला | |
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Lipulekh Pass | |
ऊँचाई | 5334 |
स्थान | चीन-नेपाल-भारत सीमा |
पर्वतमाला | हिमालय |
निर्देशांक | 30°14′03″N 81°01′44″E / 30.234080°N 81.028805°Eनिर्देशांक: 30°14′03″N 81°01′44″E / 30.234080°N 81.028805°E |
ला और दर्रा
संपादित करेंध्यान दें कि 'ला' शब्द तिब्बती भाषा में 'दर्रे' का अर्थ रखता है। क़ायदे से इस दर्रे को 'लिपुलेख दर्रा' या 'लिपुलेख ला' कहना चाहिये। इसे 'लिपुलेख ला दर्रा' कहना 'दर्रे' शब्द को दोहराने जैसा है, लेकिन यह प्रयोग फिर भी प्रचलित है।
नेपाल द्वारा सम्प्रभुता का दावा
संपादित करेंनेपाल लिपुलेख-धारचूला सड़क का विरोध क्यों कर रहा है?
- नेपाल दावा करता है कि 1816 की सुगौली संधि के अनुसार, लिपुलेख दर्रा उसके इलाके में पड़ता है, इसलिए यहाँ पर भारत का सड़क बनाना गलत है। सुगौली संधि 1816 में ईस्ट इंडिया कंपनी और नेपाल के बीच हुई थी।
- नेपाल कहता है कि सुगौली संधि (Sugauli Treaty) भारत के साथ उसकी पश्चिमी सीमा का निर्धारण करती है. सुगौली संधि के अनुसार, महाकाली नदी के पूरब का इलाक़ा जिसमें; कालापानी, लिम्पियाधुरा और लिपुलेख शामिल हैं, नेपाल के क्षेत्र हैं.
- हालांकि 1962 भारत-चीन युद्ध के बाद से ही कालापानी में भारतीय सैनिक तैनात हैं क्योंकि 1962 के भारत और चीन युद्ध में भारतीय सेना ने कालापानी में चौकी बनाई थी। ज्ञातव्य है कि काली नदी का उद्गम स्थल कालापानी ही है। पिछले साल भारत ने कालापानी को अपने नक्शे में दिखाया जिसे लेकर भी नेपाल ने विरोध जताया था।
- नेपाल के हजारों लोग उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में; माल ढुलाई का काम, पहाड़ों के एक्सपीडिशन में आए लोगों के साथ गाइड और कैलाश मानसरोवर यात्रियों के साथ वोटर का काम करते हैं। इस कारण अब जब यह सड़क बन जाएगी तो इन नेपाली लोगों को अपना व्यवसाय छिनने का खतरा नजर आ रहा है।
चूंकि दोनों पक्षों के पास अपने तर्क हैं और मामला दोनों की नेशनल सिक्यूरिटी का है, इसलिए इस विवाद को आपसी बातचीत से सुलझाना ज्यादा बेहतर विकल्प है। दोनों देशों को इस बात का भी ख्याल रखना चाहिए कि कहीं ऐसा ना हो कि दो बिल्लियों के बीच की लड़ाई में बन्दर बाजी मार ले जाये।
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ Man And Development In The Himalayas, pp. 149, Academic Foundation, 1996, ISBN 9788171880560, ... the Gunji-Lipulekh (5105 m) route to the famous Kailash-Mansarovar pilgrimage. The Kailash-Mansarovar pilgrimage is as ancient as our culture ...
- ↑ "Why Kalapani is a bone of contention between India and Nepal". मूल से 5 मई 2020 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 11 मई 2020.
- ↑ "Why Nepal is angry over India's new road in disputed border area".