लुसाने की संधि (Le traité de Lausanne) स्विट्जरलैण्ड के लुसाने नगर में २४ जुलाई १९२३ को किया गया एक शान्ति समझौता था। इसके परिणामस्वरूप तुर्की, ब्रिटिश साम्राज्य, फ्रेंच गणराज्य, इटली राजतंत्र, जापान साम्राज्य, ग्रीस राजतंत्र, रोमानिया राजतंत्र तथा सर्व-क्रोट-स्लोवीन राज्य के बीच प्रथम विश्वयुद्ध के आरम्भ के समय से चला आ रहा युद्ध औपचारिक रूप से समाप्त हो गया। यह सेव्रेस की संधि के टूट जाने के बाद शान्ति की दिशा में किया गया दूसरा प्रयास था।

लॉज़ेन की संधि पर हस्ताक्षर

सेव्रेस की संधि की शर्तें तुर्की के सुल्तान द्वारा स्वीकार की गईं लेकिन मुस्तफा कमाल पाशा द्वारा चलार्इ जा रही एक समानांतर सरकार द्वारा स्वीकृत नहीं हुईं। वे सेवानिवृत्त होकर अंकारा चले गए और एक प्रतिपक्षी सरकार बनार्इ तथा एक विशाल सेना का संगठन भी किया। यूनानियों द्वारा मुस्तफा कमाल को हराने के लगातार प्रयास असफल हुए और बड़ी संख्या में यूनानी मारे गये। बचे-खुचे यूननी एशिया माइनर से निष्कासित कर दिये गये। सेव्रेस की संधि को लागू करनेवाला वहाँ कोर्इ नहीं था। फ्रांसीसी व इतालवी सैनिक वहाँ से वापस बुला लिये गए थे। छोटी सी बि्रटिश सेना अपने पड़ावों पर रह गर्इ थी और इस पर आक्रमण करने के बजाय मुस्तफा कमाल ने संधिवार्ताएँ कीं जिससे लुसाने की संधि हुर्इ।

सन्धि ने तुर्की गणराज्य की स्वतंत्रता के लिये अवसर प्रदान किया। इसके अलावा तुर्की में जातीय यूनानी अल्पसंख्यक वर्ग की सुरक्षा व खासकर यूनान में जातीय तुर्की मुसलमान अल्पसंख्यक वर्ग की सुरक्षा के लिये भी अवसर प्रदान किया। तुर्की की यूनानी जनसंख्या की एक बड़ी तादाद की अदला-बदली यूनान की तुर्की जनसंख्या के साथ हुर्इ। संधि ने यूनान, बुल्गारिया, व तुर्की की सीमाएँ परिसीमित कर दीं, साइप्रस, इराकसीरिया पर सभी तुर्की दावों को औपचारिक रूप से मान लिया। संधि ने नए तुर्की गणराज्य को मृत ओटोमन साम्राज्य के उत्तराधिकारी राज्य के रूप में अंतरराष्ट्रीय मान्यता भी दिलार्इ।