लैमार्कवाद
लैमार्कवाद, फ्रांस के जीववैज्ञानिक लैमार्क द्वारा प्रतिपादित विकासका सिद्धान्त (विकासवाद) था जो किसी समय बहुत मान्य हुआ था किन्तु बाद में इसे अस्वीकार कर दिया गया। संक्षेप में लामार्क का विकासवाद (या, लैमार्कवाद) यह है - वातावरण के परिवर्तन के कारण जीव की उत्पत्ति, अंगों का व्यवहार या अव्यवहार, जीवनकाल में अर्जित गुणों का जीवों द्वारा अपनी संतति में पारेषण। इस मत और डार्विन के मत में यह अंतर है कि इस मत में डारविन के प्राकृतिक वरण के सिद्धांत का अभाव है।
परिचय
संपादित करेंलामार्क ने अपने विकासवाद के संबंध में निम्नलिखित दो नियम प्रतिपादित किए हैं :
(1) उस प्रत्येक जीव में, जिसने अपने विकास की आयु पार नहीं की है, किसी अंग का सतत व्यवहार उस अंग को विकसित एवं दृढ़ बनाता है और यह दृढ़ता उस काल के अनुपात में होती है जितने काल तक यह अंग व्यवहार में लाया गया है। इसके विपरीत यदि किसी अंग का व्यवहार नहीं किया जाता है, तो वह निर्बल होने लगता है और शनै: शनै: उसकी कार्यकारी क्षमता कम होती जाती है और अंत में वह अंग विलुप्त हो जाता है।
(2) दीर्घकाल से किसी परिस्थिति में रहनेवाली प्रजाति के जीवों को, परिस्थिति के प्रभाव के कारण, अनेक बातें अर्जित करनी पड़ती हैं, या भुला देनी होती है। किसी अंग का प्रभावी व्यवहार, अथवा उस अंग के व्यवहार में सतत कमी, आनुवंशिकता के द्वारा सुरक्षित रहती है और ये बातें इन जीवों से उत्पन्न होनेवाले जीवों में अवतरित होती हैं, पर शर्त यह है कि अर्जित परिवर्तन नर और मादा दोनों में हुआ हो, अथवा उन नर मादा में हुआ हो जिनसे नए जीवों की उत्पत्ति हुई है।
लामार्क को विश्वास था कि जीवित जीवों के स्पीशीज़ में या तो प्राकृतिक शृंखला रहती है या अंतर रहता है। जीवित प्राणियों के सांतत्य के विचार ने उन्हें यह विचारने के लिए प्रेरित किया कि जीवन और वनस्पति श्रेणी किसी बिंदु पर अवश्य ही संतत होने चाहिए और इन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जीवित प्राणियों का समग्र रूप में अध्ययन होना चाहिए।
लामार्क तीन महत्वपूर्ण एवं परस्पर संवधित संकल्पनाओं पर पहुँचे :
- (1) परिवर्तनशील बाह्य प्रभावों के अंतर्गत रहनेवाले स्पीशीज़ में अंतर होता है,
- (2) स्पीशीज़ की असमानताओं में भी मूलभूत एकता अंतर्निहित रहती है तथा
- (3) स्पीशीज़ में प्रगामी विकास होता है। लामार्क की मुख्य कल्पना यह थी कि अर्जित गुण वंशानुक्रम से प्राप्त होते हैं। अब लामार्क का सिद्धांत मान्य नहीं है।
इन्हें भी देखें
संपादित करें- डार्विनवाद
- क्रम-विकास (Evolution)
- विकासवाद का इतिहास (History of evolutionary thought]]
बाहरी कड़ियाँ
संपादित करें- Nonsense in Schoolbooks - The Imaginary Lamarck:Michael T. Ghiselin recounts Lamarck's times and writings.
- Jean-Baptiste Lamarck : works and heritage: an English/French web site edited by Pietro Corsi (Oxford Univ.) and realised by CNRS (France - IT team of CRHST). This web site contents all books, texts, manuscripts and the lamarck's herbarium.
- The Sins of the Fathers, Take 2: "At tributes to Darwin, Lamarckism — inheritance of acquired traits — will be the skunk at the party." By Sharon Begley, Newsweek. From the magazine issue dated Jan 26, 2009.
- कैसे लम्बी होती गयी जिराफ की गरदन ?