वंचिनाथन
वांचिनाथन अय्यर (तमिल: வாஞ்சிநாதன்)(1886 - 17 जून 1911) भारत के स्वतंत्रता सेनानी थे। उनका वास्तविक नाम 'शंकरन अय्यर' था। 'वांचि' उनका लोकप्रिय नाम था। उन्होंने तिरुनेलवेली के कलेक्टर ऐश की हत्या कर दी थी जिसने भारतीय स्वदेशी जलयान कम्पनी (स्वदेशी स्टीम नेविगेशन कंपनी) के प्रति बहुत ही दमनकारी नीति अपनाकर उसे बन्द होने के लिये मजबूर किया था। वांचिनाथन ने गिरफ्तारी से बचने के लिए आत्महत्या कर ली थी।
वन्चिनाथन | |
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जन्म |
शंकरन् 1886 सेनगोट्टै |
मौत |
17 जून 1911 |
मौत की वजह | आत्महत्या |
जीवनसाथी | पोन्नम्मा |
व्यक्तिगत जीवन
संपादित करेंवांचिनाथन का जन्म 1886 में शेनकोट्टाई में रघुपति अय्यर और रुक्मणी अम्मल के घर हुआ था। उनका वास्तविक नाम शंकरन था। उन्होंने शेनकोट्टाई से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की और तिरुवनंतपुरम में मूलम तिरूनल महाराजा कॉलेज से एम. ए. की उपाधि प्राप्त की. कॉलेज में पढ़ते हुए ही उन्होंने पोन्नम्माळ से विवाह कर लिया और एक लाभपूर्ण सरकारी नौकरी करने लगे.
स्वतंत्रता आन्दोलन
संपादित करें17 जून 1911 को, वांचि ने ऐश की हत्या की, जो तिरुनेलवेली का जिला कलेक्टर था और जो कलेक्टर दोराई के नाम से भी जाना जाता था। उन्होंने ऐश को उस समय बहुत नज़दीक से गोली मारी जब वह मनियाची स्टेशन से मद्रास की ओर जा रहा था। उसके तुरंत बाद उन्होंने आत्महत्या कर ली. तभी से उस रेलवे स्टेशन का नाम वांचि मनियाची रख दिया गया।
उस दिन, ऐश प्रातः 9-30 तिरुनेलवेली जंक्शन से मनियाची मेल में बैठा. उसके साथ उसकी पत्नी मेरी लिलियन पैटर्सन थी, जो आयरलैंड से कुछ ही दिनों पहले आयी थी। उनका विवाह 6 अप्रैल 1898 में बरहामपुर में में हुआ था; मेरी ऐश से लगभग एक वर्ष बड़ी थी। वे कोडाईकनाल जा रहे थे जहां उनके चार बच्चे मोली, आर्थर, शेइला और हर्बर्ट एक किराए के बंगले में रहते थे। 10-38 पर ट्रेन मनियाची में रुकी. सीलोन बोट मेल 10-48 पर आने वाली थी। जब ऐश परिवार प्रथम श्रेणी डिब्बे में एक दूसरे के आमने-सामने बैठ कर बोट मेल की प्रतीक्षा कर रहे थे, बड़े करीने से कपड़े पहने हुए गुच्छेदार बालों वाला एक व्यक्ति और धोती पहना हुआ एक अन्य व्यक्ति डिब्बे के पास आये. पहले आदमी ने डब्बे में प्रवेश किया और एक बेल्जियन-निर्मित ब्राउनिंग स्वचालित पिस्टल निकाली. गोली सीधे ऐश के सीने में लगी और वह वही मर गया। गोली की आवाज़ तेज़ हवा की आवाज़ से दब गयी।
हत्या करने के बाद वे प्लेटफॉर्म के साथ दौड़ते हुए एक शौचालय में छुप गए। कुछ समय बाद उन्हें मृत पाया गया, उन्होंने स्वयं को गोली मार ली थी। उनकी जेब से यह पत्र प्राप्त हुआ:
"इंग्लैंड के इन मलेच्छों ने हमारे देश पर कब्जा करके, हिन्दुओं के सनातन धर्म को पैरों के नीचे कुचल डाला और उन्हें बर्बाद कर दिया. प्रत्येक भारतीय, अंग्रेजों को बाहर भगाने और स्वराज्य पाने और सनातन धर्म कि रक्षा करने का प्रयास कर रहा है। हमारे राम, शिवाजी, कृष्ण, गुरु गोविंद, अर्जुन ने सभी धर्मों की रक्षा करते हुए हमारी धरती पर राज किया और इस धरती पर वे जोर्ज V की ताजपोशी करने की तैयारी कर रहे हैं, जो एक मलेच्छ और गोमांस भक्षी है। तीन हजार मद्रासियों ने जॉर्ज V के हमारी भूमि पर कदम रखते ही उसे मार देने का प्रण लिया है। दूसरों को अपने उद्देश्यों से अवगत कराने के लिए, मैंने, जो कम्पनी में सबसे निम्न हूं, यह काम आज किया है। हिन्दुस्तान में सभी को इसे अपना कर्तव्य मानना चाहिए.
एसडी/- आर. वांची अय्यर शेनकोटाह"
पत्र की विषय-वस्तु ने संकेत दिया कि हत्या राजनीतिक थी और इसने घोर आशंका को जन्म दिया. हत्या के समय ने आसन्न राज्याभिषेक के खिलाफ एक विरोध का संकेत दिया.[1]
वांची, वाराहनेरी वेंकटेश सुब्रमण्या अय्यर के एक करीबी सहयोगी थे (सामान्य रूप वी.वी.एस.अय्यर या वा.वे.सु अय्यर के रूप में संक्षिप्त), एक और स्वतंत्रता सेनानी, जो ब्रिटिश को हराने के लिए हथियारों की तलाश कर रहे थे। उन्होंने इस योजना को बेहतरीन ढंग से निष्पादित करने के लिए वन्चिनाथन को प्रशिक्षित किया।[2]वे भारत माता एसोसिएशन के सदस्य थे।[3]
तमिलनाडु सरकार ने इस शहीद के जन्म-स्थान शेनकोट्टई में एक स्मारक बनाने का निर्णय लिया है।[4]
विविध तथ्य
संपादित करेंफिल्म कप्पालोट्टिया तमिड़न में अभिनेता बालाजी ने वांचिनाथन की भूमिका निभाई। शिवाजी गणेशन ने वी॰ओ॰ चिदम्बरम पिल्लै की भूमिका निभाई।
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "फ्रंटलाइन सितंबर 2009-एक आयरिश लिंक". मूल से 6 जून 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 फ़रवरी 2011.
- ↑ "द हिंदू -अगस्त 2006". मूल से 8 नवंबर 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 फ़रवरी 2011.
- ↑ "मद्रास डिस्ट्रिक्ट ग़ज़ेटीअर". मूल से 3 नवंबर 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 जून 2020.
- ↑ "तमिलनाडु सरकार". मूल से 7 अक्तूबर 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 फ़रवरी 2011.
इन्हें भी देखें
संपादित करें- वी० ओ० चिदम्बरम पिल्लै (स्वदेशी आन्दोलन के महान समर्थक एवं स्वतन्त्रता सेनानी)
- स्वदेशी स्टीम नेविगेशन कंपनी (चिदम्बरम पिल्लै द्वारा स्थापित स्वदेशी कम्पनी)