बजावत या वजावत एक देवड़ा राजपूत जाति का गोत्र है। बजावत राजपूत सिरोही, राजस्थान के मनदार, जडोली, लोटीवाड़ा, अंधोर, बावली, सतापुर  गांव में पाए जाते। बाजावत को डूंगरावत देवड़ा का कुल और पदिव ठिकाना के ठाकुर रुद सिंह के वंशज कहा जाता है।[1]

बावली के बजावत देवड़ा को एक मिश्र जाति माना जाता है। कहते की बावली के बजावत ५०० साल पहले के एक भील के वंशज है।  बावली के बजावत पहले झाडोली में रहा करते थे, ऐसा मानना है की झाडोली देवड़ा राजपूतों मैं से एक राजपूत कन्या ने एक भील के व्यक्ति  के साथ भाग के विवाह रचाया था और फिर बावली को अपना आशियाना बनाया ,इससे बावली के बजावतो की उत्पत्ति हुई है, बावली के बजावत खुद की उत्पत्ति की यही कहानी बताते हैं और एवं अपने मूल क्षेत्र को झाडोली बताते हैं।

राजपूत और भील रक्त के इस मिलन से पैदा हुई संतान ने खुद को बाजवत राजपूत कहां, धीरे-धीरे उन्होंने निम्न श्रेणी के राजपूतों के साथ विवाह करना शुरू करदिया ,वे धीरे धीरे फिर से खुद को 'राजपूतीसाईड' (Rajputisation) कर बैठे। आज बावली के बजावतो की हालत बहुत खराब है सामाजिक और आर्थिक रूप से , बावली में कोई भी असली राजपूत अपनी कन्या नहीं देता है इसलिए उन्हें अपने पुराने भीलो वाले रीती रिवाज निभाने पड़ते हैं जैसे कि भाई-बहन विनिमय विवाह ,दुल्हन के परिवार को पैसे देकर शादी करवाना आदि, इस रुप से बावली के बजावतो को भिलाला जाति का गोत्र माना जा सकता है।

संदर्भ संपादित करें

  1. "Padiv Thikana".