वरदमुद्रा, वह मुद्रा है जिसमें हाथ की स्थिति वर देते हुए होती है। वर देने के लिए दाहिने हाथ का उपयोग होता है। वर देते समय हथेली ऊपर की ओर होती है अंगुलियाँ नीचे की तरफ होती हैं। अधिकांश देवप्रतिमाएँ वरदमुद्रा में या अभयमुद्रा में होतीं हैं।

वरद मुद्रा में बोधिसत्व (१२वीं शताब्दी, पाल राजवंश के समय की प्रतिमा

प्रायः खुली हथेली के मध्य में कमल की कली दर्शायी जती है।