वर्गानुवंशिकी या फ़ाइलोजेनेटिक्स​ (phylogenetics) जीवों के बीच के क्रम-विकास (एवोल्यूशन) के सम्बन्ध के अध्ययन का नाम है। इसमें उनके आनुवांशिकी (जेनेटिक्स) लक्षणों की तुलना उनके डी॰ऍन॰ए॰ और प्रोटीन अणुओं का परीक्षण करके की जाती है और यह दावे किये जाते हैं कि कौनसी जातियाँ किन अन्य जातियों से विकसित हुई हैं। इसमें कुछ विलुप्त हुई जातियों के अध्ययन में कठिनाई आती है जिनकी कोई भी आनुवांशिक सामग्री विश्व में नहीं बची है - उन जीवों के लिए उनके जीवाश्म (फ़ॉसिल​) अवशेषों को परखकर क्रम-विकास संबंधों को समझने की कोशिश की जाती है। वर्गानुवंशिकी से पता चलता है कि विभिन्न जातियों और जीववैज्ञानिक वर्गों की क्रम-विकास द्वारा उत्पत्ति का इतिहास क्या है। आधुनिक युग में जीववैज्ञानिक इस जानकारी के आधार पर जीवों की जातियों को भिन्न क्लेडों में वर्गीकृत करके जीवन वृक्ष में आयोजित करते हैं।[1]

वर्गानुवंशिक समूह, या टैक्सोन, एकवर्गी (मोनोफ़ाइलिटिक), परवर्गी (पैराफ़ाइलिटिक), या बहुवर्गी (पॉलीफ़ाइलिटिक) हो सकते हैं

वर्गानुवंशिक वृक्ष

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क्रमविकास में जीव-जातियों (स्पीशीज़) के समुदाय समय के साथ बदलते हैं - या तो उनसे नई जातियाँ उत्पन्न होती हैं, या दो जातियाँ आपस में मिश्रित होती हैं (जिसे 'संकरण' कहते हैं), या फिर जाति विलुप्त हो जाति है। यह सभी प्रक्रियाएँ एक वर्गानुवंशिक वृक्ष (phylogenetic tree) में दर्शाई जा सकती है। ऐसे वृक्षों में तीन प्रकार के समूह बनाए जाते हैं:

  • एकवर्गी (मोनोफ़ाइलिटिक​, monophyletic) - एक सांझे पूर्वज से उत्पन्न हुई सभी जातियों के समूह को 'एकवर्गी' कहा जाता है। मसलन सभी पक्षी और सरीसृप (सांप, गिरगिट, मगरमच्छ, वग़ैराह) एक ही (विलुप्त हो चुकी) पूर्वज जाति की संतानें हैं, इसलिए उन सब का टैक्सोन (गुट) 'एकवर्गी' कहलाया जाएगा। ऐकवर्गी टैक्सोन क्लेड भी कहलाते हैं।[2][3]
  • परवर्गी (पैराफ़ाइलिटिक​, paraphyletic) - यह एक सांझे पूर्वज से उत्पन्न हुई सभी जातियों का समुदाय है जिसमें से एक ऐसे उपसमुदाय को निकाल दिया जाए जो स्वयं एक सांझे पूर्वज से पैदा हुआ है। उदाहरण के लिए यदि सरीसृप (रेप्टाइल) समूह के सांझे पूर्वज को देखें तो सभी पक्षी भी उस पूर्वज जाति के वंशज हैं, इसलिए अगर यदि केवल सरीसृप समूह को लिया जाए तो यह एक परवर्गी टैक्सोन है।[3]
  • बहुवर्गी (पॉलीफ़ाइलिटिक​, polyphyletic) - अगर सभी गर्मरक्ती प्राणियों को देखा जाए तो इसमें सभी स्तनधारी (मैमल) और सभी पक्षी आते हैं, लेकिन इन सबके निकटतम सांझे पूर्वज के बहुत से वंशज इस गर्मरक्ती गुट में शामिल नहीं हैं। ऐसे टैक्सोन को 'बहुवर्गी' कहा जाता है।[4]

इन्हें भी देखें

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  1. Bioinformatics For Dummies, Jean-Michel Claverie and Cedric Notredame, pp. 372, John Wiley & Sons, 2006, ISBN 978-0-470-08985-9, ... Phylogenetics is a special kind of phylogeny that relies on the comparison of equivalent genes coming from several species for reconstructing the genealogic tree of these species and finding out who is the closest relative of whom in the family. If necessary, you can also apply phylogenetic methods to the various genes of a gene family to reconstruct the history of the gene family by the same means ...
  2. Lizards: Windows to the Evolution of Diversity Archived 2014-01-03 at the वेबैक मशीन, Eric R. Pianka, pp. 12, University of California Press, 2006, ISBN 978-0-520-24847-2, ... According to this system, groups must be monophyletic, which means that each recognized group must include an ancestor plus all of its descendants. A monophyletic group is called a "clade," and each member is a taxon ...
  3. Life: The Science of Biology, William K. Purves, David Sadava, Gordon H. Orians, H. Craig Heller, pp. 436, Macmillan, 2000, ISBN 978-0-7167-3873-2, ... If only monophyletic taxa were permitted, birds would be included with crocodilians, turtles, and their ancestors in a single taxon separate from snakes and lizards. Retaining birds as a separate class (that is, retaining reptiles as a paraphyletic group) emphasizes that brd have undergone rapid evolution since they separated from reptiles ...
  4. Evolution of the Insects Archived 2012-07-25 at the वेबैक मशीन, David Grimaldi, Michael S. Engel, pp. 27, Cambridge University Press, 2005, ISBN 978-0-521-82149-0, ... The most problematic groupings are polyphyletic, which are those that contain some of the descendants of a common ancestor but not the common ancestor itself ...