मानवों और कुछ अन्य प्राणियों के मुँहों में वर्त्स्य कटक (alveolar ridge) या दंतउलूखल कटक जबड़ों के सामने वाली बाढ़ होती है जो ऊपर के दांतों के ऊपर व पीछे तथा नीचे के दांतों के नीचे व पीछे होती है। इसमें दाँत समूहने वाले गढढे होते हैं। वर्त्स्य कटकों को जिह्वा से छुआ जा सकता है और उनमें छोटे उतार-चढ़ाव महसूस किए जा सकते हैं।[1]

मानव मूँह का चित्रण, जिसमें ऊपरी वर्त्स्य कटक 4 और 5 द्वारा नामांकित स्थानों के बीच स्थित है

भाषा में वर्त्स्य कटकों का प्रयोग कई ध्वनियों के उच्चारण में होता है। जीभ के अंत या धार को वर्त्स्य कटक से छू कर उच्चारित होने वाले व्यंजनों में त, द, स, ज़, न, ल, इत्यादि शामिल हैं जो सामूहिक रूप से वर्त्स्य व्यंजन कहलाते हैं।[2]

इन्हें भी देखें संपादित करें

सन्दर्भ संपादित करें

  1. "Mosby's Dental Dictionary," Elsevier Health Sciences, 2007, ISBN 9780323058445
  2. Roach, Peter: English Phonetics and Phonology. Cambridge University Press, 2004