वर्मन राजवंश
वर्मन वंश (350-650 ई) कामरूप राज्य का प्रथम ऐतिहासिक राजवंश था। इसकी स्थापना पुष्यवर्मन द्वारा की गयी थी जो समुद्रगुप्त के समकालीन थे। वर्मन वंश के आरम्भिक शासक गुप्त साम्राज्य के अधीनस्थ थे, किन्तु जैसे-जैसे गुप्त साम्राज्य की शक्ति घतती गयी, महेन्द्रवर्मन (470-494) ने दो अश्वमेध यज्ञ किए और कामरूप राज्य की 'स्वतंत्र' छबि बनी रही। समुद्रगुप्त की प्रयाग प्रशस्ति के अनुसार कामरूप के राजा को 'प्रत्यन्त नृपति' (सीमान्त राजा) कहा गया है। अदित्यसेन के अप्सद शिलालेख के अनुसार सुस्थिवर्मन को महासेनगुप्त ने लौहित्य के किनारे पराजित किया।
कामरूप राज्य वर्मन राजवंश |
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राजधानी | प्राग्ज्योतिषपुर | |
राजभाषा(एँ) | संस्कृत, कामरूपी प्राकृत | |
धर्म | हिन्दू | |
सरकार | राजतंत्र |
वर्मन राजवंश के पतन के बाद म्लेच्छ राजवंश सत्ता में आया और उसके पश्चात पाल राजवंश।