वांटेड

2009 में बनी हिन्दी फिल्म

वांटेड एक भारतीय हिन्दी फिल्म है, जिसका निर्देशन प्रभु देवा ने और निर्माण बोनी कपूर ने किया है। इस फिल्म में सलमान खान, आयशा टाकिया, प्रकाश राज, विनोद खन्ना, महेश मांजरेकर आदि ने मुख्य किरदार निभाया है। इस फिल्म में सलमान खान ने एक आईपीएस अफसर की भूमिका निभाई है। ये फिल्म एक तेलुगु फिल्म पोक्किरी का रिमेक है, जो तमिल फिल्म देवा की रीमेक है।

वांटेड

पोस्टर
निर्देशक प्रभु देवा
लेखक पुरी जगन्नाध
प्रभू देवा
पटकथा शिराज़ अहमद
निर्माता बोनी कपूर
अभिनेता सलमान खान
आयशा टाकिया
प्रकाश राज
विनोद खन्ना
महेश मांजरेकर
गोविन्द नामदेव
महक चहल
छायाकार नीरव शाह
एस. सृराराम
संपादक दिलीप देव
प्रणय पटेल
संगीतकार साजिद-वाजिद
वितरक सहारा वन मोशन पिक्चर्स
एस के फ़िल्म्स इंटरप्राइज
प्रदर्शन तिथियाँ
  • 18 सितम्बर 2009 (2009-09-18)
लम्बाई
153 मिनट
देश भारत
भाषा हिन्दी'
लागत 35 करोड़ (US$5.11 मिलियन)[1]
कुल कारोबार 91 करोड़ (US$13.29 मिलियन)[2]

इस फिल्म की कहानी राधे (सलमान खान) से शुरू होती है, जो गली का एक मामूली सा गुंडा है और पैसों के लिए लोगों को डराने, धमकाने और मारने का काम करते रहता है। इसी बीच उसकी मुलाक़ात जानवी (आयशा टाकिया) से होती है। पहली मुलाक़ात में राधे उसे एक लफंगा लगता है।

एक रात इंस्पेक्टर तलपड़े (महेश मांजरेकर) जानवी को रास्ते में रोक लेता है। उसी दौरान राधे भी वहीं होता है और वो इंस्पेक्टर का ध्यान उसकी ओर कर लेता है और जानवी को जाने का इशारा करता है। इसके बाद उन दोनों की काफी बार मुलाक़ात होती है। जानवी उससे प्यार करने लगती है और वो उससे गुंडागिरी छोड़ कर अच्छा इंसान बनने को कहती है, लेकिन वो नहीं सुनता है। इंस्पेक्टर तलपड़े को किसी तरह जानवी के घर का पता चल जाता है। वो उसकी माँ, लक्ष्मी (प्रतीक्षा लोंकर) के पास जाता है और कहता है कि अगर उसने जानवी की शादी उससे नहीं कराई तो वो उसके साथ बलात्कार करेगा। जानवी के मकान मालिक से उसे पता चलता है कि जानवी का एक प्रेमी भी है। वो राधे के पास जा कर उसे किसी झूठे मामले में फंसाने की कोशिश करता है और उसके जेब में नशीली दवा रख देता है, पर राधे उसी के खेल को उल्टा कर देता है और उसी के जेब से नशीली दवा निकाल कर उसे दिखा देता है।

गनी भाई (प्रकाश राज) जो एक अंतरराष्ट्रीय डॉन है, वो अपने गैंग को भारत के बाहर रह कर चलाते रहता है। गोल्डन भाई (असीम मरचंट) उसके मुंबई में स्थित गैंग का लीडर है। मुंबई में उसके गैंग के अलावा भी एक और गैंग दत्ता पावले (राजू मवणी) का होता है। वे दोनों मुंबई के दो सबसे बड़े गैंग हैं। इन दोनों गैंग के और इनके बीच की आपसी दुश्मनी के कारण भी मुंबई में काफी अपराध होते रहते हैं। इस अपराध को रोकने के लिए पुलिस कमिश्नर अशरफ तौफीक खान (गोविंद नामदेव) पूरी तरह अपराध मिटाने का फैसला करता है। इसी बीच जब गनी भाई भारत आता है तो अशरफ उसे पकड़ लेता है और एक बहुत ही बड़े से नाव में उसे बंदी बना कर रख लेता है और पूछताछ करते रहता है।

गनी भाई के गिरफ्तारी की खबर उनके गैंग को लगती है तो वे लोग पुलिस स्टेशन जाते हैं। वहाँ पता चलता है कि गनी भाई गिरफ्तार ही नहीं हुए हैं। बाद में किसी तरह उन्हें पता चलता है कि गनी भाई को अशरफ ने किसी गुमनाम जगह पर कैद कर के रखा है। वे लोग उसकी बेटी का अपहरण कर उसका अश्लील वीडियो बना लेते हैं और उसे ब्लैकमेल करते हैं कि अगर उसने गनी भाई को नहीं छोड़ा तो वो उस वीडियो को सारे शहर में फैला देंगे। अपनी बेटी के लिए वो गनी भाई को छोड़ देता है। गनी भाई छूट कर वापस आ जाता है और वहीं अशरफ की बेटी नशे की हालत में उसे बता देती है कि एक पुलिस वाला उसी के गैंग में घुस कर उसे मारने वाला है।

गनी भाई राजवीर शेखावत नाम के व्यक्ति के बारे में पूरी जानकारी लाने के लिए इंस्पेक्टर तलपड़े को कहता है, पर उसे भी उसके बारे में कोई जानकारी नहीं मिलती है। पुलिस के रिकॉर्ड के अनुसार वो श्रीकान्त शेखावत (विनोद खन्ना) का बेटा है। राजवीर को पकड़ने के लिए वो श्रीकांत के ट्रेनिंग सेंटर में आ जाता है और श्रीकांत से उसके बेटे के बारे में पूछता है। गनी भाई को लगता है कि अजय (इंदर कुमार) ही राजवीर शेखावत है। वो उसे मार देता है। तभी श्रीकांत बताता है कि अजय उसका गोद लिया बेटा था। गनी भाई श्रीकांत की भी हत्या कर देता है और छुप कर राजवीर के आने का इंतजार करते रहता है।

अपने पिता के मौत की खबर सुन कर राधे, जो असल में राजवीर शेखावत है, दौड़ते हुए अपने पिता के पास आता है। राधे की असलियत का पता चलते ही गनी भाई और इंस्पेक्टर तलपड़े ही रूह तक कांप जाती है। राजवीर अपने पिता और भाई के मौत का बदला लेने का फैसला करता है और तलपड़े को अपने साथ लेकर उसे गनी भाई के ठिकाने ले जाने बोलता है। डरा हुआ तलपड़े किसी तरह गनी भाई से उसके जगह के बारे में फोन से पूछ लेता है और राजवीर को उसके पास ले जाता है। राधे उर्फ राजवीर एक एक करके सभी गुंडों को मारने लगता है और कमिश्नर की बेटी को बचा लेता है। अंत में वो गनी भाई भी मार देता है और फोन कर बोलता है कि मुठभेड़ में इंस्पेक्टर तलपड़े भी मारा गया। इसके बाद वो तलपड़े को गोली मार देता है और कहानी समाप्त हो जाती है।

  1. "Why DIL BOLE HADIPPA is a safe bet for Yash Raj!". Bollywoodtrade.com. 21 सितंबर 2009. मूल से 3 अप्रैल 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2011-05-21.
  2. "Top Lifetime Grossers Worldwide". Boxofficeindia.com. मूल से 25 मई 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 सितंबर 2010.

बाहरी कड़ियाँ

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