वेदों के अन्‍तर्गत संहिता, ब्राह्मण, आरण्‍यक और उपनिषद सभी आते हैं। लेकिन चूंकि यहां पर ऋग्‍वेदादि से तात्‍पर्य केवल संहिता भाग से है, अत: ऋग्‍वेद संहिता, सामवदे संहिता आदि लिखा जाना चाहिये।

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संपादन को पूर्ववत करने का आधार

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संजीव कुमार जी, कृपया बताने का कष्ट करेंगे कि किस आधार पर मेरे द्वारा किए गए संपादन को पूर्ववत किया गया है? क्या किसी स्त्रोत की आवश्यकता है? अगर ऐसा है तो स्त्रोत उपलब्ध कराया जा सकता है। वैसे पुर्वलिखित लेख में भी स्रोत की आवश्यकता है या वह बस आपलोग निर्णय करेंगे कि क्या मानना है? Vis14620 (वार्ता) 04:55, 18 अगस्त 2021 (UTC)उत्तर दें

आपके द्वारा बिना स्रोत के किया गया मूल शोध हटाया गया था। ☆★संजीव कुमार (✉✉) 19:19, 18 अगस्त 2021 (UTC)उत्तर दें

आज का युवा

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आज का युवा : आज का युवा बहुत शक्तिशाली और प्रगतिशील हैं। आज हर देश में सबसे ज्यादा संख्या युवा वर्ग की है। लेकिन आज कल के युवा में एक बदलाव देखा जा सकता है। वैसे तो हर नई पीढ़ी को पुरानी पीढ़ी इसी नजरिए से देखती है । के नई पीढ़ी के विचार उनके विचारों से मेल नहीं खाते पर आज के युवा में मनोविकारों के बढ़ रहे प्रभाव से ये सब कहा जा सकता है के 1995 से2000 के बीच और उसके बाद के जो भी जनरेशन है । उनके मानसिकता में बहुत तेजी से एक बदलाव आया है और वो बदलाव है ।

जल्दबाजी, सब कुछ जल्दी जल्दी कर लेने की सोच । 

आप कहीं भी जाए और आज के सामाजिक परिवेश में देखे के यहां आप को आज के युवा और कुछ अधेड़ लोगो के व्यवहार के जल्दबाजी नजर आ जायेगी ।

 ओर यही जल्दबाजी हमारे जीवन को बहुत प्रभावित करती है । जैसे हम कही जाना चाहते है और अपने मनोविकार जिसे में जल्दबाजी का मनोविकार कह सकता हूं । उसके कारण हम अपना वाहन तेजी से दौड़ा देते हैं और इस जल्दबाजी के कारण हमें अपनी ड्राइविंग पर ध्यान नहीं रहता और कहीं अपना ध्यान हटने के कारण एक एसिडेंट हो सकता है । आज आप गहराई में नोट करे तो सब से ज्यादा एसीडेंट तेज गति से होते हैं। ओर ये तेज गति हमारी जल्दबाजी के कारण होती हैं । ओर ये जल्दबाजी एक मनोविकार बन कर हमारे युवा वर्ग में छा गई हैं। 

मैं इस बात को महसूस करता हु के जब कोई तेज गति से ड्राइव करता है तो वो दिल से क्या महसूस करता है।

 ओर वो एक जबरदस्त मानसिक दबाव में होता है। 

उसे बहुत दबाव होता है के वो जल्दी अपने स्थान पर पहुंचे जहा उसे जाना है। ओर यही मानसिक प्रेशर उसके एसीडेंट का कारण बनता है । मैं jj Rajasthani ये लेख जब लिख रहा हु तो मुझे लगता है आज के युवा को मेरी बात सही नहीं लगे पर सच ये है के मैं भी युवा ही हु । ओर मैने इस जल्दबाजी को मनोरोग का नाम इस लिए दिया क्यों के इसके कारण बहुत लोगो की मौत होती है। फेक्चर होते है। ओर अंधे होते है। तो ये एक तरह का रोग है। JJ Rajasthani (वार्ता) 03:13, 7 मार्च 2022 (UTC)उत्तर दें

धर्म की परिभाषा को

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धर्म ही सत्य शास्वत नियम है।जो हमने परिभाषा जोड़ी है वही असल सत्य परिभाषा है।इसलिए कृपया उपरोक्त परिभाषा को जोड़े रखें। Manish dw9 (वार्ता) 14:17, 13 फ़रवरी 2023 (UTC)उत्तर दें

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