हिरण्यकशिपु लेख में थोड़ा संशोधन अपेक्षित है-

हिरण्यकशिपु कश्यप और अदिति का पुत्र था। उसने तीनों लोकों और लोकपालों को अपने वश में कर लिया था। अपने भाई हिरण्याक्ष की मृत्यु से दुखी होकर उसमें विद्वेष की भावना उत्पन्न हो गई थी। विष्णु के प्रति इसी विरोध के कारण वह अगले जन्मों में रावण और चैद्य हुआ। ब्रह्मा की घोर तपस्या करके उसने वर प्राप्त किया था कि न तो ब्रह्मा द्वारा उत्पन्न कोई प्राणी ७से मार सकेगा और न वह भीतर मरेगा ............
--आलोचक ०४:१४, ३ जुलाई २००९ (UTC)

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