विकिपीडिया:पृष्ठ हटाने हेतु चर्चा/लेख/अर्चना पैन्यूली
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परिणाम: हटाया। अजीत कुमार तिवारी बातचीत 04:57, 4 जून 2022 (UTC)[उत्तर दें]
- अर्चना पैन्यूली (संपादन|वार्ता|इतिहास|कड़ियाँ|ध्यान रखें|लॉग)
- अर्चना पैन्यूली -विकिपीडिया -wikipedia के लिये गूगल परिणाम: खोज • समाचार • पुस्तक • विद्वान •
नामांकन के लिये कारण:
वर्तमान में प्रयाप्त उल्लेखनीय नहीं प्रतीत हो रही हैं। रोहितबातचीत 05:11, 19 मई 2022 (UTC)[उत्तर दें]
- रोहित जी, लगता है चर्चित प्रवासी वरिष्ठ साहित्यकार अर्चना पैन्यूली के लेखन और उपलब्धियों पर आपकी जानकारी बहुत सीमित है. आपका विकिपीडिया का सफर 2019 से हुआ, जबकि अर्चना जी को हम 1995 से पढ़ रहे हैं. ज्ञापपीठ, रूपा पब्लिकेशन, राजपाल जैसे देश के प्रतिष्ठित प्रकाशकों द्वारा उनके उपन्यास प्रकाशित हो चुके हैं. अनेक पुरस्कारों से उनका लेखन विभूषित है. कथादेश, हंस, गगांचल, वागर्थ आदि अनेक पत्रिकाओं में हम उनकी कहानियाँ पढ़ने का अवसर मिलता रहता है. देश की कोई भी ऐसी प्रतिष्ठित पत्रिका नहीं है, जिसमें हमें उनकी कहानियाँ और आलेख पढ़ने को न मिलते हों. उनके उपन्यास और कहानियाँ रोचक ही नहीं वरन ज्ञानवर्धक भी होती है. उनके द्वारा लिखे आलेखों से शोधार्थी लाभांवित होते रहते हैं. उनके विषय में मैं ज्यादा क्या लिख सकती हूँ, जिनकी वरिष्ठ साहित्यकार चित्रा मुद्गल जी जैसी हस्ती प्रशंसक हो. 203.220.129.212 (वार्ता) 01:22, 20 मई 2022 (UTC)[उत्तर दें]
- अर्चना पैन्यूली किसी भी साहित्यिक मंच के लिए नामांकित होने के लिए योग्य है. उनके पास पर्याप्त सामग्री है, पर्याप्त लेखन है, गुणवत्ता और मात्रा में भी समृद्ध है.
- जो विरोध करता है, वह बेतुका है। एक बात और, दावेदर (Challenger) लिख रहे हैं अर्चना पैन्यूली, 'वर्तमान में प्रयाप्त उल्लेखनीय नहीं प्रतीत हो रही हैं।' आपकी जानकारी के लिए प्रयाप्त नहीं, पर्याप्त होता है. 2A05:F6C2:5525:0:28F3:3729:89D:FFC8 (वार्ता) 08:55, 21 मई 2022 (UTC)[उत्तर दें]
- सरोजिनी नौटियाल Sarojini Nautiyal (वार्ता) 14:23, 30 मई 2022 (UTC)[उत्तर दें]
- रोहित जी, अर्चना के बारे में कुछ और जानकारी ये है।
- 1. प्रमुख प्रवासी हिंदी साहित्यकारों में, नोर्डिक देशों में एकमात्र प्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार अर्चना पैन्यूली निरंतर लेखन में सलंग्न हैं। उनके लेखकीय खाते में ४ उपन्यास, ३ कहानी संग्रह और एक पुस्तक-अनुवाद है। उनका डेनिश से हिन्दी भाषा में अनुवाद किसी डेनिश कृति का प्रथम हिन्दी अनुवाद है ।
- 2. उनका उपन्यास "व्हेयर डू आई बिलॉन्ग" डेनिश समाज पर लिखा प्रथम हिंदी उपन्यास है।
- हिंदी में उनके उपन्यास "व्हेयर डू आई बिलॉन्ग" की लोकप्रियता के बाद, रूपा पब्लिशर्स द्वारा यह अंग्रेजी में प्रकाशित हुआ। इसके अलावा, विभिन्न प्रतिष्ठित हिंदी साहित्यिक पत्रिकाओं में उनके कई कहानियाँ और शोध लेख प्रकाशित हो चुके हैं। अधिकांश लेखकों के लिए उपन्यास लिखना और प्रतिष्ठित प्रकाशनों द्वारा प्रकाशित होना उनका सपना है। ऐसा इसलिए है क्योंकि कहानी संग्रह के विपरीत, एक उपन्यास के लिए पूर्ण समर्पण की आवश्यकता होती है और प्रतिष्ठित प्रकाशक अत्यंत चयनात्मक होते हैं।
- 3. उनके प्रकाशकों में भारतीय ज्ञानपीठ https://en.wikipedia.org/wiki/Bharatiya_Jnanpith , राजपाल https://en.wikipedia.org/wiki/Rajpal_%26_Sons ,
- रूपा प्रकाशन https://en.wikipedia.org/wiki/Rupa_Publications ), और,
- प्रभात प्रकाशन https://en.wikipedia.org/wiki/ शामिल हैं.
- 4. चित्रा मुद्गल, नसीरा शर्मा, ममता कालिया, और हिमांशु जोशी, डॉ कमल किशोर गोयनका जैसे प्रसिद्ध साहित्यकारों ने उनकी पुस्तकों की भूमिका लिखी हैं और संदर्भ में उनसे संपर्क किया जा सकता है।
- 5. उन्हें पद्मविभूषण डॉ॰ मोटूरि सत्यनारायण पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। यह प्रतिवर्ष दिये जाने वाले 14 हिंदी सेवी पुरस्कारों में से एक है जो भारत सरकार द्वारा, केन्द्रीय हिंदी संस्थान द्वारा मनोनीत करने के बाद दिये जाते हैं। यह साल में केवल एक व्यक्ति को दिया जाता है.। प्रोटोकॉल के अनुसार यह पुरस्कार भारत के राष्ट्रपति द्वारा दिया जाता है।
- 6. वर्तमान में 17 छात्र उनके लेखन में शोध कर रहे हैं, जिसमें भारत के विश्वविद्यालयों के अलावा लातविया और उप्पसला (स्वीडन) विश्वविद्यालयों के शोधार्थी भी शामिल हैं, जो उनके काम की गुणवत्ता का संकेत है। जरूरत पड़ने पर संपर्क संदर्भ प्रदान किए जा सकते हैं।
- 7. अर्चना पैन्यूली विश्व हिन्दी सम्मेलन, मॉरिशस, साहित्य अकादमी जैसे प्रतिष्ठित मंचो पर वक्ता रहीं हैं। इसके अलावा वे भारत, डेनमार्क और स्वीडन के विश्वविद्यालयों द्वारा आयोजित कई साहित्यिक कार्यक्रमों में नियमित वक्ता रही हैं। जरूरत पड़ने पर संदर्भ दिए जा सकते हैं।
- 8. हिंदी साहित्य में उनके योगदान के लिए अर्चना पैन्यूली को विदेश मंत्रालय द्वारा प्रमुख प्रवासी भारतीयों की सूची में शामिल किया गया था। उनकी पुस्तकें डेनमार्क में भारतीय राजदूतों द्वारा विमोचित की गई हैं (पुस्तक “आगे की बात करें” राजदूत: श्रीमती पूजा कपूर: https://business.facebook.com/photo.php?fbid=322751549885690&set=a.208264861334360&type=3&theater; पुस्तक “हाईवे E-47” राजदूत: श्री अजित गुप्ते; https://indiavision.dk/pravasi-bhartiya-divas.php
- 9. उनकी पुस्तकें साहित्य अकादमी जैसे प्रतिष्ठित मंचों ऐवम भारत के विश्वविद्यालयों के साथ-साथ विदेशों में भी विभिन्न मंचों पर चर्चा का विषय रही हैं, जिसमें हैम्बर्ग विश्वविद्यालय, जर्मनी, आरहूस विश्वविद्यालय, डेनमार्क, कोपेनहेगन विश्वविद्यालय, डेनमार्क और लातविया विश्वविद्यालय शामिल हैं.
- 10. उनका उपन्यास 'पॉल की तीर्थयात्रा' फेमिना सर्वे द्वारा २०१६ के दस शीर्ष उपन्यासों में शामिल किया गया था. 212.237.135.185 (वार्ता) 21:19, 24 मई 2022 (UTC)[उत्तर दें]
- प्रवासी साहित्य जगत में लेखिका अर्चना पैन्यूली एक बहुत बड़ा हस्ताक्षर अर्चना है. विकिपीडिया में बहुत से स्थापित प्रवासी साहित्यकारों के नाम में है. वरिष्ठ साहित्यकार अर्चना पैन्यूली का कद उन साहित्यकारों से कहीं भी कम नहीं है बल्कि विकिपीडिया पर कुछ प्रवासी साहित्यकार तो उनके समकक्ष भी नहीं है. ऐसे में विकिपीडिया में उनका नामांकन निराश ही आश्चर्य चकित भी करता है, साथ ही कई प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है.
- धन्यवाद! 203.220.129.212 (वार्ता) 11:05, 26 मई 2022 (UTC)[उत्तर दें]
- आधुनिक हिन्दी साहित्य के वर्तमान क्रम में कथाशिल्पी अर्चना पैन्यूली एक सुपरिचित और प्रतिष्ठित नाम है। तीन कहानी संग्रहों, चार उपन्यासों तथा समसामयिक विषयों पर अनेक लेखों व निबंधों के साथ उनका साहित्यिक व्यक्तित्व इतना बड़ा हो गया है कि उसकी अनदेखी नहीं की जा सकती। यही कारण है कि जैसे ही उनकी कोई नई रचना सम्मुख आती है, देश-विदेश के शैक्षिक और साहित्यिक मंचों पर अर्चना पैन्यूली का नाम मुखरित होने लगता है। राष्ट्रीय साहित्य अकादमी, नई दिल्ली व दिल्ली विश्वविद्यालय से लेकर देश-विदेश के विश्वविद्यालयों, साहित्यिक मंचों और पत्र-पत्रिकाओं में उनकी कृति, विषय-विमर्शों और अभिव्यक्ति कौशल को लेकर साहित्य मर्मज्ञों और पाठकों में एक किस्म की वैचारिक हलचल मच जाती है। यह अकारण नहीं है।
- अर्चना पैन्यूली के लेखन से हिन्दी साहित्य में एक नई बयार बही है। विगत पच्चीस वर्षों से डेनमार्क में रहते और विश्व भ्रमण करते उन्होंने मानव, मानवीय संबंधों और समाज की जटिल संरचनाओं को जिस प्रकार हृदयंगम किया है और जिस प्रकार अपने कथा साहित्य में विश्लेषित और प्रस्तुत किया है, वह उन्हें अपने पूर्ववर्ती और समकालीन लेखकों से अलग करता है। उनकी रचनाएँ हिन्दी साहित्य में एक नए युग का सूत्रपात करने का सामर्थ्य रखती हैं। ऐसे स्थापित रचनाकार का उल्लेख व नामांकन किसी भी मंच कके लिए गौरव की बात है।
- सरोजिनी नौटियाल
- 176, आराघर, देहरादून ( भारत) Sarojini Nautiyal (वार्ता) 03:15, 30 मई 2022 (UTC)[उत्तर दें]
- रोहित जी ..अर्चना जी तीन दशक से भी अधिक से हिंदी साहित्य से जुड़ी हुई हैं ।ऐसा लगता है कि आपको उनके बारे में जानकारी नहीं है ।डेनमार्क में रहते हुए भी उन्होंने हिंदी साहित्य में उल्लेखनीय योगदान दिया है ।उनके बहुत सारे उपन्यास एवं कहानी संकलन प्रकाशित हो चुके हैं जिन्हें काफ़ी प्रशंसा मिली है ।वह भारत में एवं विदेशों में कई पुरस्कारों से सम्मानित हो चुकी हैं ।उनके लेखन में नारी केंद्रित विषयों की प्रधानता रहती है को समाज के ज्वलंत समस्याओं पर पाठकों को मंथन करने के लिए विवश करते हैं ।काफ़ी समय बाहर रहने के बाद भी उनके लेखन में भारतीयता की प्रत्यक्ष छाप दिखायी देती है ।उन्होंने अपने कई लेखों एवं कहानियों में प्रवासी भारतीयों की विदेशी सभ्यता के साथ संघर्ष और सामंजस्य के बारे में बखूबी वर्णन किया है ।यदि आप उनके बारे में इंटर्नेट पर जरा भी खोज करते तो आपको पूरी जानकारी मिल जाती ।उनके लेख ना केवल बहुत रोचक होते हैं जो पाठकों को बांध कर रखते हैं ,बल्कि साथ साथ सामाजिक संदेश भी देते हैं ।उन्होंने प्रवासी हिंदी साहित्य में काफ़ी ख्याति अर्जित की है ।उनका विकीपीडीया जैसे मंच पर होना हम सभी के लिए गर्व की बात है । Shailendra Pandey 17 (वार्ता) 17:39, 30 मई 2022 (UTC)[उत्तर दें]
अर्चना जी हिंदी प्रवासी साहित्य में सशक्त हस्ताक्षर हैं। उनकी रचना व्हेर डू आयी बिलोंग पूरे प्रवासी साहित्य को समग्रता में रखती है।। इनका इस पटल पर होना हम पाठकों को लाभान्वित करेगा।।— इस अहस्ताक्षरित संदेश के लेखक हैं -2401:4900:40fc:1cb0:157c:115f:b44:6642 (वार्ता • योगदान) 17:24, 20 मई 2022 (UTC)[उत्तर दें]
- विकिपीडिया पर सम्पादन का मतलब है, हमें जो ग़लत लिखा हुआ मिले, उस को सही करना। यहाँ पर आप ऐसा ना कर के एक जागरूक सदस्य को उस की गलती बता रहे है।
- क्या आप विकिपीडिया पर अर्चना जी की पुस्तकों का प्रचार करना चाहते है? आप ने इस लेख में ९ बार amazon के संदर्भ का जिक्र किया है। इस से तो ऐसा ही लगता है की ये लेख प्रचार के लिए ही बनाया गया है। यदि ऐसा नहीं है, तो इस लेख में सुधार करें। ताकि जो आप सब ने यहाँ लिखा है, वो इस लेख में देखने को मिले।☆★चाहर धर्मेंद्र--ॐ राम राम जी-- 09:51, 21 मई 2022 (UTC)[उत्तर दें]
- चाहर जी, आपकी बात सही है कि जागरूक सदस्य गलती बताये ताकि उसे ठीक किया जा सके. अमेज़ॅन लिंक के माध्यम से प्रचार करने का कोई इरादा नहीं था- यह सबूत का एक हिस्सा था. पर अगर अमेज़ॅन लिंक विकिपीडिया की नीति के खिलाफ हैं तो तो इन्हें हटा दिया जाएगा। विकिपीडिया में अर्चना का नाम डालने वाले व्यक्ति ने बताया कि उसने कोशिश की लेकिन लिंक को हटा न पाया. उसने बताया कि उसने विकिपीडिया को ये जानकारी भेज दी कि वो लिंक्स हटाना चाहता है। जैसा आपने सुझाव दिया है, यंहा जो कुछ लिखा है उसके आधार पर लेख में सुधार किया जायेगा. प्रसाद६९ (वार्ता) 20:13, 29 मई 2022 (UTC)[उत्तर दें]
- विकिपीडिया पर सम्पादन का मतलब है, हमें जो ग़लत लिखा हुआ मिले, उस को सही करना। यहाँ पर आप ऐसा ना कर के एक जागरूक सदस्य को उस की गलती बता रहे है।
- हटायें - नामांकन अनुसार। कोई भी ऐसा तटस्थ स्रोत नहीं दिया जा सका है जहाँ लेख के विषय के बारे में सविस्तार पर्याप्त चर्चा उपलब्ध हो। विकिपीडिया संश्लेषण करके लेख निर्मित करने की जगह नहीं है। --SM7--बातचीत-- 06:09, 25 मई 2022 (UTC)[उत्तर दें]
- हरित जी तटस्थ श्रोत से आपका क्या अभिप्राय है ? ऊपर अंक (points) ऐक से दस देखे विस्तार के लिए. वंहा आपको बहुत से तटस्थ श्रोत दिख जायेगे. वरना आप फिर विकिपीडिया से ही किसी प्रवासी साहित्यकार के लेख से कोई उदIहरण दें दें तो वैसा सुधार किया जा सकता है. और कुछ तथ्य ऐसे भी हैं, जिनके लिए किसी प्रमाण की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि इसे विकिपीडिया से ही सत्यापित किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, अर्चना नॉर्डिक देशों में सबसे प्रमुख लेखिका हैं। आप विकिपीडिया, गूगल या जो कुछ भी देखें, आपको नॉर्डिक देशों में उसके स्तर का कोई लेखक नहीं मिलेगा। इसी तरह डेनिश समाज पर हिंदी में यह (व्हेर डू आयी बिलोंग )पहला उपन्यास है। इस बात का खुलासा प्रोफेसर केनेथ यूस्क ने किया था जब उन्होंने डेनमार्क में एक कार्यक्रम में उपन्यास का विमोचन किया था। आप गूगल कर सकते हैं या विकिपीडिया या कुछ भी देख सकते हैं, आपको डेनिश समाज पर इससे पूर्व का कोई हिन्दी का उपन्यास नहीं मिलेगा। इस तरह की चीजों के लिए सबूत देने का कोई दूसरा तरीका नहीं है। या कॉल करें और प्रोफेसर से बात कर लें. आरहूस विश्वविद्यालय में प्रोफेसर विवेक शुक्ला, कोपेनहेगन विश्वविद्यालय में प्रोफेसर अलमार, उप्पसला विश्वविद्यालय स्वीडन में प्रोफेसर हाँइन्स ने अर्चना के उपन्यासों पर चर्चाये आयोजित की हैं. ये सब भी लेख में जोड़ा जायेगा .
- विकिपीडिया से अर्चना का नाम हटाने से पहले आपको google, Amazon आदि से उनका नाम हटाने के लिए कहना होगा। यदि आप अर्चना पेन्युली (Archana Painuly) को गूगल करते हैं, तो आपको 9 पृष्ठ मिलेंगे, जिसमें उनकी पुस्तकों से संबंधित 67 लिंक होंगे, उनके साहित्य कार्य से संबंधित वीडियो और प्रिंट समाचार कवरेज होंगे। Google खोज के भीतर, छवियों , वीडियो और समाचार उप-श्रेणियों पर भी जाएं। आपको उसके काम के पर्याप्त सबूत मिलेंगे। ये तटस्थ श्रोत नहीं है क्या ? ये सही स्थानों पर जोड़ दिये जायेंगे।
- यह भी ध्यान दें कि इस चर्चा पृष्ठ पर बहुत से लिंक (या संदर्भ जहां इसे पाया जा सकता है) के माध्यम से सबूत दिए गएँ हैं जो मुख्य पृष्ठ में नहीं हैं. पर अब आप लोगों के सुझाव के अनुसार यंहा का बहुत कुछ मुख्य पृष्ठ पर लिख दिया जायेगा था।
- यह स्पष्ट नहीं है कि इस क्षेत्र में एक लेखक का आकलन करने का आपके पास क्या मापदंड है, जो हटाये लिख रहे हैं। अब इस लिंक पर जाएँ फिर बताएं । https://hi.wikipedia.org/wiki/श्रेणी:प्रवासी_हिन्दी_साहित्यकार
- प्रसाद६९ (वार्ता) 20:17, 29 मई 2022 (UTC)[उत्तर दें]
- ये सब हिंदी को लेकर बात हो रही है l तो वो नोर्डिक देशों में हिंदी की प्रमुख लेखिका है। प्रसाद६९ (वार्ता) 20:21, 29 मई 2022 (UTC)[उत्तर दें]
- ऊपर की चर्चा इस पृष्ठ पर हुए विचार-विमर्श का पुरालेख है। कृपया इसमें किसी तरह का बदलाव न करें। अनुवर्ती टिप्पणियाँ उपयुक्त वार्ता पृष्ठ पर करनी चाहिए (जैसे कि लेख का वार्ता पृष्ठ या पृष्ठ हटाने हेतु चर्चा का वार्ता पृष्ठ)। इस पृष्ठ पर किसी भी प्रकार का कोई संपादन नहीं होना चाहिए।