विजयलक्ष्मी पंडित

भारतीय राजनीतिज्ञ

विजय लक्ष्मी पंडित भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु की बहन थीं। भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में विजय लक्ष्मी पंडित ने अपना अमूल्य योगदान दिया।

विजयलक्ष्मी पंडित
जन्म18 अगस्त 1900
इलाहाबाद
मौतदिसम्बर 1, 1990(1990-12-01) (उम्र 90 वर्ष)
जीवनसाथीरणजीत सिताराम पण्डित और सैय्यद हुसैन
बच्चेनयनतारा सहगल

इनका जन्म 18 अगस्त 1900 को नेहरू परिवार में हुआ था। उनकी शिक्षा-दीक्षा मुख्य रूप से घर में ही हुई। 1921 में उन्होंने काठियावाड़ के सुप्रसिद्ध वकील रणजीत सीताराम पण्डित से विवाह कर लिया।[1] गांधीजी से प्रभावित होकर उन्होंने भी आज़ादी के लिए आंदोलनों में भाग लेना आरम्भ कर दिया।[2] वह हर आन्दोलन में आगे रहतीं, जेल जातीं, रिहा होतीं और फिर आन्दोलन में जुट जातीं। उनके पति को भारत की स्वतंत्रता के लिए किये जा रहे आन्दोलनों का समर्थन करने के आरोप में गिरफ्तार करके लखनऊ की जेल में डाला गया जहाँ कठोर कारावास के कारण जेल से रिहा होते ही उनके पति का निधन हो गया। वो भारत के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की बहन थी जिनकी पुत्री इन्दिरा गांधी लगभग 13 वर्षों तक भारत की प्रधानमंत्री रहीं।[3][2]

 
इंदिरा गांधी और नेहरू के साथ विजया लक्ष्मी पंडित अल्बर्ट आइंस्टीन से मिलने गए

श्रीमती विजय लक्षमी ने १९५२ में ग्रामीण सभ्यता व संसकृति से परिचय हेतु राजस्थान के बाडमेर जिले के सांस्कृतिक गांव बिसाणिया में 'मालाणी डेलूओं की ढाणी' का ऐतिहासिक दौरा किया था।

व्यक्तिगत जीवन

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जब विजया लक्ष्मी 19 साल की थीं, तब उन्हें सैयद हुसैन से प्यार हो गया,[4] जो बाद में मिस्र में पहले भारतीय राजदूत बने। हुसैन उनसे 12 वर्ष बड़े थे।[5] जब उन्होंने मुस्लिम रीति-रिवाज के अनुसार चुपचाप शादी कर ली, तो महात्मा गांधी और नेहरू परिवार के दबाव में उन्हें शादी रद्द करने के लिए मजबूर होना पड़ा।[6][7] 1921 में, उनकी शादी रंजीत सीताराम पंडित (1921-1944) से हुई, जो काठियावाड़, गुजरात के एक सफल बैरिस्टर और शास्त्रीय विद्वान थे, जिन्होंने कल्हण के महाकाव्य इतिहास राजतरंगिणी का संस्कृत से अंग्रेजी में अनुवाद किया था। उनके पति एक महाराष्ट्रीयन सारस्वत ब्राह्मण थे, जिनका परिवार महाराष्ट्र में रत्नागिरी तट पर बम्बुली गाँव का रहने वाला था। उन्हें भारतीय स्वतंत्रता के समर्थन के लिए गिरफ्तार कर लिया गया और 1944 में लखनऊ जेल में उनकी पत्नी और उनकी तीन बेटियों चंद्रलेखा मेहता, नयनतारा सहगल और रीता डार को छोड़कर उनकी मृत्यु हो गई।

1990 में उनकी मृत्यु हो गई। उनके परिवार में उनकी बेटियां चंद्रलेखा और नयनतारा सहगल हैं। विजयलक्ष्मी सैय्यद हुसैन से बहुुुत प्यार करती थी। उससे उसने निकाह भी कर रखा था। सैय्यद हुसैन ढाका का रहने वाला जाना माना पत्रकार था।

राजनैतिक जीवन

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1937 में वो संयुक्त प्रांत की प्रांतीय विधानसभा के लिए निर्वाचित हुईं और स्थानीय स्वशासन और सार्वजनिक स्वास्थ्य मंत्री के पद पर नियुक्त की गईं। 1946-50 तक आप भारतीय संविधान सभा की सदस्य चुनी गई। 1953 में संयुक्त राष्ट्र महासभा की अध्यक्ष बनने वाली वह विश्व की पहली महिला थीं।[8][9] वे राज्यपाल और राजदूत जैसे कई महत्त्वपूर्ण पदों पर रहीं।

उन्होंने इन्दिरा गांधी द्वारा लागू आपतकाल का विरोध किया था और जनता दल में शामिल हो गईं थी।[10]

1 दिसम्बर 1990 को देहरादून के उत्तरी प्रान्त में उनका निधन हो गया। उनके निधन के समय उपन्यासकार नयनतारा सहगल सहित 3 पुत्रियाँ थी।[2]

  1. भया कबीर उदास. राजकमल प्रकाशन. पृ॰ 416. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9788126713691.
  2. संजय हजारिका (2 दिसम्बर 1990). "Vijay Lakshmi Pandit, Politician and Nehru's Sister, Is Dead at 90" [विजय लक्ष्मी पंडित, राजनीतिज्ञा एवं नेहरू की बहन का ९० की आयु में निधन] (अंग्रेज़ी में). न्यूयॉर्क टाइम्स. मूल से 16 अक्तूबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 14 अक्टूबर 2013.
  3. रेहान फ़ज़ल (27 मई 2013). "जब नेहरू ने बहन का बिल किस्तों में चुकाया!". बीबीसी हिन्दी. मूल से 2 सितंबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 14 अक्टूबर 2013.
  4. "आज़ादी के हीरो सैयद हुसैन और विजयलक्ष्मी पंडित की कहानी - विवेचना".
  5. "Syud Hossain: A Fascinating Footnote from India's Freedom Struggle".
  6. "'A Forgotten Ambassador in Cairo: The Life and Times of Syud Hossain' review: A diplomat and a Gandhian".
  7. "Book Review Why India forgot Syud Hossain, its first ambassador to Cairo".
  8. "1953:Pandit Elected Head of UN" [१९५३: पण्डित यूएन की अध्यक्ष चुनी गईं] (अंग्रेज़ी में). न्यूयॉर्क टाइम्स. 16 सितम्बर 2003. मूल से 16 अक्तूबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 14 अक्टूबर 2013.
  9. "1950 - 1959" (अंग्रेज़ी में). बीबीसी. मूल से 28 जून 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 14 अक्टूबर 2013.
  10. दीपा गणेश (23 मई 2011). "In the face of truth" [सत्य के चेहरे में] (अंग्रेज़ी में). द हिन्दू. मूल से 16 अक्तूबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 14 अक्टूबर 2013.

बाहरी कड़ियाँ

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