विदेश्वरस्थान बिहार राज्य के मधुबनी जिला के अन्तर्गत झंझारपुर प्रखंड का एक अतिप्राचीन तीर्थस्थान है। यह मंडन मिश्र रेलवे हाल्ट से २ किलोमीटर उत्तर दिशा में स्थित है। विदेश्वरस्थान राष्ट्रीय राजमार्ग 57, लोहना चौक से 1.5 किलोमीटर दक्षिण दिशा में स्थित है। यह मंदिर झंझारपुर से 5 किलोमीटर पश्चिम में स्थित है। विदेश्वरस्थान में प्रतिवर्ष होने वाले मकर एवं शिवरात्री का मेला प्रार्ंभ से ही विशिष्टता के लिये प्रसिद्ध है। शिव भक्त हजारों लाखों की संख्या में पूजा -आराधना करते है।

मिथिला में सृष्टि के प्रारंभ से ही शिव-शक्ति की कृपा बनी रही है। मिथिला हिमालय की गोद में अवस्थित है और हिमालय पर्वत पर अनादि अनन्त आशुतोष भगवान शिव विराजमान हैं। देवाधिदेव भगवान शिव के हिमालय पर विराजमान होने से संपूर्ण हिमालय पर एक अदभुत अदॄश्य उर्जा फैली है जिसे अनुभव किया जा सकता है। हिमालय पर्वत संपूर्ण मिथिला को अपने उर्जावान एव्ं तेजस्वी प्रभाव से आच्छादित किया है। यहाँ के कण-कण में शिव-शक्ति का एक अद्भुत उर्जा प्रवाहित हो रही है जिससे मन प्रशन्न हो जाता है और आत्मा पवित्र् एवं शुद्ध हो जाती है। जिससे मिथिला का प्रत्येक व्यक्ति अपने आपको उर्जावान एवं तेजस्वी अनुभव करते हैं। भगवान शिव की कृपा दॄष्टि से मिथिला में शिव-शक्ति की ओज से युक्त अनेक शिवलिंगों का प्रादुर्भाव हुआ है जो अपने आप में अद्वितीय है ऐसे अनेक शिवलिंगों में से एक शिवलिंग है विदेश्वरनाथ शिवलिंग ।विदेश्वरस्थान शिव लिंग के संबन्ध में पौराणिक प्रमाण भी उपलब्ध है। मनुस्मृति ६२वाँ परिच्छेद का मिथिला तीर्थ खंण्ड में देवालय सब का जो परिचय दिया गया है, जिसमें स्पष्ट उल्लेख है कि कपिलमुनि का आश्रम कपिलेश्वर स्थान से पाँच गव्य भूमि अग्नि कोण में लोहिनी देवी के श्मसान क्षेत्र में विदेश्वरनाथ नाम का एक विशिष्ट शिवलिंग है। एवं स्कन्द पुराण के नागर-खण्ड में १०० अध्याय का मिथिला-खण्ड है, जिसमें उल्लेख है कि कपिलेश्वर स्थान से "गव्यूति"(चार गव्य = १ योजन) आग्नेय कोण में लक्ष्मणा नदी के पूर्वी तट पर लोहिनी देवी एव्ं विदेश्वरनाथ शिवलिंग अवस्थित है।[तथ्य वांछित]पुराणों में वर्णन किया गया है कि यह शिवलिंग हिमालय से ही प्रकट हुआ है,इनके चरण हिमाच्छादित हैं। सभी इनकी स्तुति करते हैं। इनकी पूजा, आराधना करने से मन शान्त और प्रशन्न हो जाता है।

इन्हें भी देखें

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