विद्युत्‌ भट्ठियाँ (Electric Furnace) सामान्यत: धातु खनिजों और धातुओं को पिघलाने के लिए प्रयुक्त की जाती हैं।

विद्युत्‌ ऊर्जा से उत्पन्न हुई ऊष्मा विद्युतधारा के वर्ग के अनुपात में होती है। विद्युत्‌ भट्ठियाँ कोयले की भट्ठियों से अधिक ऊष्मा उत्पन्न कर सकती हैं और आकार में भी छोटी होती हैं। ये हानिकारक धुएँ अथवा गैसें नहीं उत्पन्न करतीं, परंतु इनका मुख्य लाभ इनमें सरलता से ऊष्मा नियंत्रण करने का है। धारा का परिवर्तन कर ऊष्मा का नियंत्रण बहुत सरलता से किया जाता है। इनका दूरस्थ नियंत्रण (remote control) और स्वत: चालन (automatic action) भी किया जा सकता है। इन कारणों से विद्युत्‌ भट्ठियाँ सामान्य उपयोग में आ गई हैं।

विद्युत्‌ भट्ठियों के बहुत से परिष्कृत रूप अब सामान्य हो गए हैं और ज्यों ज्यों विद्युत्‌ शक्ति संभरण आर्थिक दृष्टिकोण से सस्ता होता जाता है, विद्युत्‌ भट्ठियों का प्रयोग निरंतर बढ़त ही जाता है।

विद्युत्‌ भट्ठियों के तीन मुख्य प्ररूप हैं -

1. प्रतिरोध भट्ठियाँ (Resistance Furnaces)।

2. चाप भट्ठियाँ (Arc Furnaces)

3. प्रेरण भट्ठियाँ (Induction Furnaces) तथा

4. आधुनिक मफिल भट्ठी (muffle furnace)

भट्ठी (Furnace), ओवेन (oven) से इस अर्थ में अलग है कि ओवेन प्रायः कम ताप तक ही पहुँचती है।