विरहांक
विरहाङ्क, एक प्राचीन भारतीय छन्दशास्त्री थे जो गणितीय कार्य के लिए भी प्रसिद्ध हैं। उनका समय ६ठी शताब्दी ईसवी होने का अनुमान है किन्तु ऐसी भी सम्भावना है कि वे ८वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में सक्रिय थे।
उन्होने पिंगल (चतुर्थ शताब्दी) के छन्दसूत्र पर आधारित 'वृत्तजातसमुच्चय' नामक ग्रन्थ की रचना की जिस पर १२वीं शताब्दी के गणितज्ञ गोपाल ने टीका लिखी है।
सन्दर्भ
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संपादित करेंबाहरी कड़ियाँ
संपादित करें- The So-called Fibonacci Numbers in Ancient and Medieval India by Parmanand Singh