विराग सागर

आचार्य विराग सागर जी महाराज का निर्वाण (समाधि) ग्राम: देवमूर्ति जिला: जालना में ४ जुलाई २०२४ गुरुव

विराग सागर जी एक दिगम्बर जैन साधु थे।

आचार्य श्री विरागसागर जी महाराज
नाम (आधिकारिक) आचार्य श्री विरागसागर जी महाराज
व्यक्तिगत जानकारी
जन्म नाम अरविन्द
जन्म 2 May 1963
पथरिया जिला- दमोह (म.प्र.)
निर्वाण 04 July 2024
Jalna, Maharashtra
माता-पिता श्री कपूरचंदजी और श्रीमती श्यामा देवी
शुरूआत
सर्जक आचार्य श्री विमलसागरजी

'विराग सगर जी' का जन्म २ मई ,१९६३ को [पथरिया] जिला दमोह (म.प्र) मे हुआ था |

उनके पिता का नाम श्री कपूरचंद जी (समाधिस्थ क्षुल्लक श्री विश्ववन्ध सागर जी) व माता का नाम श्रीमती श्यामा देवी (समाधिस्थ श्री विशांत श्री माता जी) है |

आचार्य श्री १०८ सन्मति सागर जी महाराज द्वारा [क्षुल्लक] दीक्षा (२ फरवरी १९८० ग्राम बुढार ,जिला-शहडोल ,म.प्र.) एवम्ं 

आचार्य श्री १०८ विमलसागर जी महाराज द्वारा मुनि [दीक्षा] (९ दिसंबर १९८३ औरंगाबाद)


एवमं आचार्य पद (८ नवम्बर १९९२ सिद्ध क्षेत्र द्रोणगिरी जिला [छतरपुर]) प्राप्त किया



आचार्य श्री एक सृजनशील गणेषक तथा चिन्तक है।अपने गहरे चिंतन की छाप प्रकट करने वाला उनका साहित्य निम्न उल्लेखित है- शुद्धोपयोग ,आगम चकखू साहू ,सम्यक दर्शन ,सल्लेखना से समाधि ,तीर्थंकर ऐसे बने,कर्म विज्ञान भाग १ व् २ ,चैतन्य चिंतन ,साधना,आरधना आदि|

२२७ दीक्षित साधु (आचार्य ९ ,मुनि ८३ ,गणिनी ४ ,आर्यिका ६९ , क्षुल्लक २५ , एलक ५ , क्षुल्लिका २५)

आचार्य विमर्श सागर, आचार्य विशुध्द सागर, आचार्य विशद सागर, आचार्य विभव सागर, आचार्य विहर्ष सागर ,आचार्य विनिश्चय सागर व आचार्य विमद सागर सात आचार्य है |