विराग सागर
विराग सागर जी एक दिगम्बर जैन साधु थे।
आचार्य श्री विरागसागर जी महाराज | |
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नाम (आधिकारिक) | आचार्य श्री विरागसागर जी महाराज |
व्यक्तिगत जानकारी | |
जन्म नाम | अरविन्द |
जन्म |
2 May 1963 पथरिया जिला- दमोह (म.प्र.) |
निर्वाण |
04 July 2024 Jalna, Maharashtra |
माता-पिता | श्री कपूरचंदजी और श्रीमती श्यामा देवी |
शुरूआत | |
सर्जक | आचार्य श्री विमलसागरजी |
जीवनी
संपादित करें'विराग सगर जी' का जन्म २ मई ,१९६३ को [पथरिया] जिला दमोह (म.प्र) मे हुआ था |
उनके पिता का नाम श्री कपूरचंद जी (समाधिस्थ क्षुल्लक श्री विश्ववन्ध सागर जी) व माता का नाम श्रीमती श्यामा देवी (समाधिस्थ श्री विशांत श्री माता जी) है |
आचार्य श्री १०८ सन्मति सागर जी महाराज द्वारा [क्षुल्लक] दीक्षा (२ फरवरी १९८० ग्राम बुढार ,जिला-शहडोल ,म.प्र.) एवम्ं
आचार्य श्री १०८ विमलसागर जी महाराज द्वारा मुनि [दीक्षा] (९ दिसंबर १९८३ औरंगाबाद)
एवमं आचार्य पद (८ नवम्बर १९९२ सिद्ध क्षेत्र द्रोणगिरी जिला [छतरपुर]) प्राप्त किया
सृजन
संपादित करेंआचार्य श्री एक सृजनशील गणेषक तथा चिन्तक है।अपने गहरे चिंतन की छाप प्रकट करने वाला उनका साहित्य निम्न उल्लेखित है- शुद्धोपयोग ,आगम चकखू साहू ,सम्यक दर्शन ,सल्लेखना से समाधि ,तीर्थंकर ऐसे बने,कर्म विज्ञान भाग १ व् २ ,चैतन्य चिंतन ,साधना,आरधना आदि|
शिष्य गण
संपादित करें२२७ दीक्षित साधु (आचार्य ९ ,मुनि ८३ ,गणिनी ४ ,आर्यिका ६९ , क्षुल्लक २५ , एलक ५ , क्षुल्लिका २५)
आचार्य विमर्श सागर, आचार्य विशुध्द सागर, आचार्य विशद सागर, आचार्य विभव सागर, आचार्य विहर्ष सागर ,आचार्य विनिश्चय सागर व आचार्य विमद सागर सात आचार्य है |