विरात्रा वांकल माता मंदिर

शक्ति पीठ बाड़मेर

विरात्रा वांकल माता मंदिर, राजस्थान के बाड़मेर ज़िला में विरात्रा नामक पहाड़ी की चोटी पर स्थित देवी वांकल का लगभग 900 साल पुराना मंदिर है ।[1][2][3]

विरात्रा वांकल माता मंदिर
વિરાત્રા વાંકલ માતા મંદિર
धर्म संबंधी जानकारी
सम्बद्धताहिन्दू धर्म
अवस्थिति जानकारी
अवस्थितिचौहटन, बाड़मेर
राज्यराजस्थान
देशभारत

मंदिर का इतिहास

संपादित करें

राजस्थान के बाड़मेर जिला मुख्यालय से 55 किलोमीटर दूर स्थित विरात्रा वाकल माता मंदिर का चमत्कार इतना है कि भक्त बाड़मेर नहीं राजस्थान ही नहीं, बल्कि पूरे देश से मां के दरबार में आते हैं.वहीं, बताया जाता है कि 2000 साल पहले विक्रमादित्य[4] ने राक्षसों का नाश करने के लिए मां से प्रार्थना की थी और उसके बाद उज्जैन के राजा विक्रमादित्य ने हिंगलाज माता से कहा कि वह मां को अपने साथ ले जाना चाहता है. वहीं, मां ने उससे कहा कि मैं तो नहीं चल सकती हूं, लेकिन मेरी शक्तिपीठ जरूर चल सकती है, लेकिन अगर तू पीछे मुड़ कर देखेगा तो यह शक्तिपीठ वहीं पर स्थापित हो जाएगा. इसी दौरान राजा विक्रमादित्य विरात्रा की पहाड़ियों पर रात्रि विश्राम करते है और सुबह पीछे मुड़कर पश्चिम दिशा में देख लेते हैं तो भविष्यवाणी होती है, कि अब यह प्रतिमा आगे नहीं जाएगी और इसी दिन से यह प्रतिमा यहीं स्थापित हो गई. ऐसे कई चमत्कार इस मंदिर से जुड़े हुए हैं.हिंगलाज माता की कृपा सुदूर पश्चिम में बलूचिस्तान के पास बेला क्षेत्र में मकरान पर्वतमाला की गुफा में हिंगलाज मां के नाम से विख्यात है. भारत में हिंगलाज माता की सर्वाधिक मान्यता रही है कि इसी आदि शक्ति पीठ से विरात्रा माता का जुड़ाव रहा है. साथ ही ऐसी मान्यता है कि वीर विक्रमादित्य जब बलूचिस्तान के अभियान में गया तो उसमें माता हिंगलाज से प्रार्थना करते हुए कहा यदि वह विजय रात को आराधना करने के लिए माता को अपने साथ उज्जैन ले जाएगा तो हिंगलाज माता की कृपा से उसकी विजय होगी| देवी की गर्दन है टेढ़ी रात्रि को वीर विक्रमादित्य ठहरा इसलिए इसका नाम विरात्रा पड़ा और इस पहाड़ी की चोटी पर देवी का मंदिर बनाया गया. भक्तजनों को इस पहाड़ पर चढ़ने में कठिनाई होती थी तो भक्तों की प्रार्थना करने पर विरात्रा माता की मूर्ति नीचे आ गई और वहीं पर नया मंदिर बनाया गया. देवी की गर्दन टेढ़ी होने के कारण इनका नाम वांकल माता विरात्रा पड़ गया. यहां भारत के विभिन्न क्षेत्रों से श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं. आज भी जो भी पाकिस्तान में बलूचिस्तान हिंगलाज माता के नहीं जा पाते हैं. वह भक्त अपनी मनोकामना के साथ इसी मंदिर में पहुंचते हैं और मां से आराधना करते हैं|[5]

इन्हें भी देखें

संपादित करें

बाहरी कड़ियाँ

संपादित करें
  1. "चौहटन: विरात्रा वांकल माता मंदिर विरात्रा मेले में लाखों की संख्या में पहुंचे भक्त, मांगी मन्नतें". Zee News. अभिगमन तिथि 2023-08-09.
  2. "वैरमाता मंदिर व विरात्रा मंदिर में तेरस पर भरा मेला, उमड़े श्रद्धालु | Fair filled at Ver mata and Viratra temple". Patrika News. 2020-02-08. अभिगमन तिथि 2023-08-09.
  3. "Drug smuggler held during visit to Viratra Mata temple in Barmer". The Times of India. 2023-04-07. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 0971-8257. अभिगमन तिथि 2023-08-09.
  4. "Rajasthan में बसा पाकिस्तान का एक ऐसा मंदिर, जहां देवी की गर्दन है टेढ़ी". Zee News. अभिगमन तिथि 2023-08-10.
  5. "Rajasthan में बसा पाकिस्तान का एक ऐसा मंदिर, जहां देवी की गर्दन है टेढ़ी". Zee News. अभिगमन तिथि 2023-08-10.